कारगर पहल नहीं होने से सात साल से चली प्रक्रिया अब तक अधूरी
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नये सिरे से फ्लाइ ओवर ब्रिज की बनेगी डीपीआर
कारगर पहल नहीं होने से सात साल से चली प्रक्रिया अब तक अधूरी जमीन अधिग्रहण के बिना संभव नहीं होगा ब्रिज का निर्माण भागलपुर : प्रस्तावित भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के निर्माण में पेच ही पेच है. पहले एनओसी और नक्शा निर्माण के मामले को लेकर सात साल तक अटका रहा. अब डीपीआर पुराना होना […]
जमीन अधिग्रहण के बिना संभव नहीं होगा ब्रिज का निर्माण
भागलपुर : प्रस्तावित भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के निर्माण में पेच ही पेच है. पहले एनओसी और नक्शा निर्माण के मामले को लेकर सात साल तक अटका रहा. अब डीपीआर पुराना होना समस्या खड़ी कर रहा है. पुल निर्माण निगम ने फैसला लिया है कि सारी प्रक्रियाएं नये सिरे से पूरी की जायेगी. नये सिरे से डीपीआर तैयार होगा. इसे स्वीकृति के लिए मुख्यालय भेजा जायेगा. वह भी तब संभव होगा, जब रेलवे से ड्राइंग को स्वीकृति मिलेगी. मालदा रेलवे काे ड्राइंग भेजी गयी है, जिसकी स्वीकृति मिलने का इंतजार है. यहां बता दें कि पुल निर्माण निगम ब्रिज निर्माण के लिए तीसरी बार डीपीआर तैयार करेगा. इससे पहले 2009 में 34 करोड़ का, तो 2014 में 64 करोड़ का डीपीआर तैयार कर हेडक्वार्टर भेजा था. फिलहाल ब्रिज का निर्माण शुरू होने
की संभावना नहीं है. भोलानाथ पुल के नीचे सालों भर जलजमाव की समस्या रहती है.
कम चौड़ी सड़क होने से परेशानी : फ्लाई ओवर ब्रिज के लिए नये सिरे से सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाती है, तो भी इसके निर्माण में पेच फंसा रह जायेगा. दरअसल, पुल के उत्तर में जरूरत से काफी कम चौड़ी सड़क है. इस कारण नये पुल के निर्माण में परेशानी आयेगी. सड़क के दोनों किनारों पर सैकड़ों पक्के मकान बने हैं. ब्रिज निर्माण के लिए पर्याप्त जगह के लिए सरकार को भूमि अधिग्रहण करना होगा. शहर के बीचों-बीच बसे हजारों लोगों से जमीन लेना कितना आसान होगा,
यह आनेवाला वक्त बतायेगा. पुल निर्माण निगम के अधिकारियों के अनुसार भीखनुपर गुमटी नंबर दो से शीतला स्थान चौक (मिरजानहाट) के बीच 1110 मीटर लंबा ब्रिज निर्माण होना है. डिक्शन चौक से शीतला स्थान के बीच तकरीबन 50 फीट चौड़ी सड़क है. डिक्शन चौक से भीखनपुर चौक के बीच कहीं पर 40 फीट, तो कहीं 35 फीट ही सड़क है. ब्रिज को भीखनपुर चौक से लगभग 25 मीटर पहले गिराया जायेगा. जहां पर ब्रिज नीचे आयेगा, वहां सड़क लगभग 35 फीट चौड़ी है. यहां कम से कम 60 फीट चौड़ी जगह की जरूरत है. ऐसे में 550 से 600 मीटर भूमि अधिग्रहण के बिना ब्रिज निर्माण संभव नहीं होगा.
2014 में रेलवे से मिला एनओसी : प्रस्तावित फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण के लिए दिसंबर 2014 को रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिल चुका है. उस वक्त डीआरएम राजेश अर्गल थे, जिन्होंने सरकार के आग्रह पर एनओसी दी थी.
जानें, कौन सी प्रक्रिया कब अपनायी गयी
2009 में भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण को प्रस्ताव में लिया.
2010 में 34 करोड़ रुपये का डीपीआर बना कर स्वीकृति के लिए भेजा.
2013 में डीपीआर नामंजूर कर दोबारा बनाने का निर्देश मिला.
2014 के नवंबर में दोबारा 64 करोड़ का डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के
लिए भेजा
2014 के दिसंबर में मालदा रेलवे डिवीजन से एनओसी मिली.
2015 के सितंबर में रेलवे और पुल निर्माण निगम ने संयुक्त रूप से निर्माण स्थल का निरीक्षण किया.
रेलवे को ड्राइंग भेजी गयी है, जिसे स्वीकृति मिलने का इंतजार है. अगले सप्ताह में स्वीकृति मिलने की उम्मीद है. इसके बाद नये सिरे से डीपीआर तैयार किया जायेगा. स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर कर निर्माण शुरू किया जायेगा. भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के लिए हेडक्वार्टर बुलाया गया है.
मो कासिम अंसारी, वरीय
परियोजना पदाधिकारी, पुल निर्माण
निगम कार्य प्रमंडल, भागलपुर
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