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सैलानियों को कैसे मिलेगी पर्यटन संबंधी सूचनाएं

भागलपुर : संयुक्त भवन स्थित सूचना विभाग कार्यालय में पर्यटन सूचना केंद्र नाम का चल रहा है, जो अब तक फेल है. इतना ही नहीं शहर के लोगों को भी नहीं मालूम है कि पर्यटन की सूचना के लिए कोई विभाग भी है. यहां आने वाले पर्यटकों भी अपना गाइड रखकर भागलपुर पहुंचते और भ्रमण […]

भागलपुर : संयुक्त भवन स्थित सूचना विभाग कार्यालय में पर्यटन सूचना केंद्र नाम का चल रहा है, जो अब तक फेल है. इतना ही नहीं शहर के लोगों को भी नहीं मालूम है कि पर्यटन की सूचना के लिए कोई विभाग भी है. यहां आने वाले पर्यटकों भी अपना गाइड रखकर भागलपुर पहुंचते और भ्रमण के बाद लौट जाते हैं. विडंबना है कि पर्यटकों का आंकड़ा जुटाने के लिए सूचना केंद्र के कर्मी होटलों व मंदिरों का चक्कर लगाते हैं.

जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है पर्यटन सूचना केंद्र : पर्यटन सूचना केंद्र की वर्तमान स्थिति जीर्ण-शीर्ण है. संयुक्त भवन के सूचना विभाग कार्यालय के एक कोने में दो कुरसी और एक टेबुल का केंद्र बनाया गया है. वह भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में कुरसी पड़ी है और टेबुल पर धूल की परतें जमी हुई है. पर्यटन सूचना केंद्र में संविदा पर डाटा इंट्री ऑपरेटर जीतेंद्र कुमार कार्यरत हैं. श्री कुमार ने बताया कि एक प्रभारी हैं, जो मुंगेर व भागलपुर दो स्थान के प्रभारी हैं. दोनों स्थान पर ड्यूटी करते हैं.
चार वर्ष पहले कमिश्नर ने किया था निरीक्षण : चार वर्ष पहले कमिश्नर मो मिनहाज आलम ने पर्यटन सूचना केंद्र का निरीक्षण किया था और जीर्ण-शीर्ण स्थिति को देख कर आगे की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था, लेकिन अब तक विभाग की स्थिति जस की तस बनी हुई.
2005 में पर्यटन सूचना केंद्र की हुई स्थापना : मालूम हो कि भागलपुर में 2005 में पर्यटन सूचना केंद्र संयुक्त भवन स्थित सूचना विभाग कार्यालय में हीं एक कोने में बनाया गया, ताकि क्षेत्र के पर्यटन स्थलों की सूचना और देशी-विदेशी पर्यटकों को सुविधा प्रदान कर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके. आजतक शहर में पर्यटन सूचना के क्षेत्र में भी कोई विकास नहीं हुआ. न कहीं इसके लिए सूचना पट लगाये गये और न ही किसी को पर्यटन सूचना के क्षेत्र में सुविधा प्राप्त करायी गयी. इस तरह से कैसे भागलपुर परिक्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यह एक यक्ष प्रश्न है.
विक्रमशिला को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की घोषणा : भागलपुर परिक्षेत्र के पर्यटन स्थलों में दिगंबर जैन वासपूज्य सिद्धक्षेत्र, मंदार पर्वत, विक्रमशिला विश्वविद्यालय का भग्नावशेष, महर्षि मेंहीं का आश्रम, कर्णगढ़, शाहजंगी की मजार, मकदूम शाह की दरगाह, चंपानगर स्थित बिहुला-विषहरी मंदिर आदि शामिल हैं. जिनका विकास करना तो दूर वहां के रखरखाव और सुरक्षा भगवान भरोसे है. वहां पहुंचने वाला पथ और आसपास का क्षेत्र अस्तव्यस्त है. इसकी सूचना देने वाले केंद्र की सूचना किसी को नहीं है. यह पूरी तरह से फेल है. यह स्थिति तब है , जब विक्रमशिला महाविहार को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए बौद्ध सर्किट से जोड़ने की घोषणा पांच वर्ष पहले तत्कालीन पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने की थी. सूत्रों की मानें तो पर्यटन विभाग के वरीय पदाधिकारी को उपयुक्त कार्यालय के लिए अनुरोध किया गया था. इसके बाद स्टेशन के समीप कार्यालय की जगह ढूंढ़ने को कहा गया. सूचना केंद्र के कर्मी ने जब जगह ढूंढ़कर उपयुक्त स्थान की अंतिम स्वीकृति के लिए पत्र लिखा, तो कोई जबाव नहीं आया. चूंकि स्टेशन के समीप यह केंद्र होने पर पर्यटक यहां आयेंगे और पर्यटक स्थान की जानकारी लेंगे.
फेल है पर्यटन सूचना केंद्र, कैसे होगा स्मार्ट सिटी में पर्यटन का विकास
संयुक्त भवन के सूचना केंद्र कार्यालय के कोने में दो कुरसी व एक टेबल में है पर्यटन सूचना केंद्र
संविदा पर कार्यरत डाटा इंट्री ऑपरेटर रहते हैं रोजाना ड्यूटी पर
मालदा डीआरएम को पत्र भेजा जा चुका है. अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. अन्य स्थानों पर कार्यालय खोजा गया है. विभाग को भी सूचना दी गयी है. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में एक कोने में जगह मिली है. केंद्र को व्यवस्थित करना जरूरी है. विभाग विचार कर रहा है.
राजीव कुमार शर्मा, प्रभारी अधिकारी, पर्यटन सूचना केंद्र

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