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माननीयों ने भी झेली, नोटबंदी की परेशानी

भागलपुर : केंद्र सरकार की ओर से हजार व पांच साै रुपये के नोटबंदी की घोषणा के बाद रुपये एक्सचेंज से लेकर जमा करने वाले लोगों की लंबी कतार बैंकाें में दिख रही है. लोग घंटों लाइन में लग कर चंद हजार व पांच सौ रुपये जमा करने या एक्सचेंज कर रहे हैं. ऐसे में […]

भागलपुर : केंद्र सरकार की ओर से हजार व पांच साै रुपये के नोटबंदी की घोषणा के बाद रुपये एक्सचेंज से लेकर जमा करने वाले लोगों की लंबी कतार बैंकाें में दिख रही है. लोग घंटों लाइन में लग कर चंद हजार व पांच सौ रुपये जमा करने या एक्सचेंज कर रहे हैं. ऐसे में देश की बड़ी आबादी बैंक व एटीएम के बाहर कतार में लगी दिख रही है.

ऐसे में समाज के खास तबके का इन लाइनाें में न दिखना बड़ा सवाल पैदा कर रहा है. लोगों में जेहन में यह बात रह-रहकर कौंध रहा है कि क्या खास लोगों के पास हजार-पांच साै के नोट नहीं है ? अगर है तो वह लाइन में क्यूं नहीं है. इन्हीं सवालों को जबाब ढूंढने का प्रयास कर रहा है प्रभात खबर. आइये जानते हैं कि भागलपुर के माननीयों ने आखिर घर में रखे हजार व पांच साै रुपये के नोटों का क्या किया ?

16 हजार के बदलवाये पुराने नोट
नोट बंदी की घोषणा के बाद अगले दिन सुबह मेरे पास 500 व 1000 के अलग-अलग नोट मिला कर 16 हजार रुपये थे. इसके अतिरिक्त छोटे नोट में एक नोट 100, एक 50 का व शेष 20 व 10 रुपये के थे. मैंने अपने खानसामा(रसोईया) को कहा कि मेरे पास 210 रुपये हैं, इसमें से ही दूध, सब्जी आदि का खर्च चलाना होगा. वह (रसोईया) दो दिनों तक किसी तरह से ‘ उधार-पुधार’ सामान लाया. जब बैंक खुला तो मैंने 12 हजार तो खाता में जमा करा दिये और चार हजार रुपये के नोट बदलवाये. इस पैसे से सभी उधार को चुकाया.
अजय कुमार चौधरी, प्रमंडलीय आयुक्त.
पत्नी ने 10 हजार निकाले, तो लगा कुबेर का खजाना मिल गया
पांच सौ और हजार के नोट की बंदी के बाद काफी परेशानी हो गयी थी. घर पर सौ के नोट की खोज शुरू हुई. पत्नी ने घर पर 10 हजार रुपये के सौ का नोट निकाला. इसकी जानकारी मिली, तो लगा जैसे कुबेर का खजाना मिल गया. 10 हजार के सौ का नोट मिलने की बात फैली, तो कई होमगार्ड और सिपाही उसकी मांग को लेकर पहुंचने लगे. कई पुलिसकर्मियों को सौ से पांच सौ तक की मदद की. उसके बाद चार हजार के पुराने नोट काे एक्सचेंज कराया, जिससे घर का खर्चा चलने लगा. पिताजी और मां को तीर्थ पर जाना था. उन्हें कॉल कर जाने से राेका. वह तीन दिनों तक रूके. पैसे की व्यवस्था होने पर ही वह तीर्थ पर निकले.
जो था, उससे वाहनों में तेल भरवा दिया : बुलो मंडल
वैसे तो ज्यादा रुपये घर में रखे थे नहीं. जो था वह बैंक खाते में था. चंद हजार रुपये रखे थे तो उसे क्षेत्र भ्रमण के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियों में डीजल भरा दिया. बिहपुर विधायक श्रीमती वर्षा रानी के पास भी रुपये नहीं थे, जिसे एक्सचेंज कराया जा सके. घर के खर्चे को चलाने के लिए चेक से भुगतान कर रहा हूूं.
घर के रुपये से भरा रहा डीजल : अजीत शर्मा
मेरे पास 19 हजार रुपये के हजार व पांच साै के नोट थे. उसमें सात हजार रुपये का डीजल पटना में होने वाली लोक लेखा समिति की बैठक में शामिल होने के लिए जाते वक्त गाड़ियों में भरा दिया. दो हजार रुपये का डीजल रविवार को भरा दूंगा. बचे 10 हजार रुपये जल्द ही बैंक जाकर एक्सचेंज कर लूंगा. घर का खर्च चलाने के लिए विधान सभा वाले खाते से 11-12 नवंबर को 10 हजार रुपये और शुक्रवार को 14 हजार रुपये निकाला.
आठ नवंबर की रात से पुराने 500 व 1000 के नोटबंदी के बाद अगले दिन मां ने किसी को पुराने 500 का नोट देकर सब्जी लाने भेजा. वह सब्जी लेकर आ गया और मेरी मां को कहा कि यह नोट आज नहीं चल रहा है. दोपहर में ऑफिस से घर लौटा तो माताजी ने कहा के उनके पास तो 500 व 1000 का नोट है. इस नोट को बदलना होगा. उनके पास चार नोट 500 के थे, जो बैंक के खुलने के बाद मैंने बदलवाये और मां को दे दिये.
अमित कुमार, उप विकास आयुक्त
पुराने बड़े नोट खाते में जमा करा दिया. घर से मिले नोट बदलने के लिए मिला था, उसे भी खाते में जमा करा दिया. निकासी कर रोजमर्रा का सामान खरीदा जा रहा है.

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