भागलपुर: आधा से ज्यादा विभिन्न बैंकों के शाखाओं में शुक्रवार को बड़े नोटों को 100 के नोट से बदलने का काम नहीं हुआ. बैंकिंग शाखाओं को चेस्ट बैंकिंग से 100 के नोट नहीं मिले. जिसके पास पहले से 100 के नोट उपलब्ध थे, उसी शाखामें नोट बदले गये. बैंकिंग अधिकारी की मानें, तो आरबीआइ केवल एसबीआइ चेस्ट को 100 के नोट उपलब्ध करा रहा है.
जबकि यहां एसबीआइ, यूको, इलाहाबाद, बैंक ऑफ इंडिया एवं सेंट्रल बैंक के पास चेस्ट है, जो आरबीआइ के लिए काम करता है. मालूम हो कि जिले में 29 बैंकों की 235 शाखाओं में बड़े नोटों को 100 के नोट से बदलने का काम नोटबंदी के बाद से जारी था और यह अब लगभग प्रभावित हो चुका है. शहर से लेकर गांव तक के बैंकिंग शाखाओं को चेस्ट से पैसे नहीं मिलने की वजह से वैसे लोगों को निराशा हाथ लगी, जो घंटों लाइन में खड़े रह गये. बैंकिंग अधिकारी ही बताते हैं कि गांव में सबसे ज्यादा बुरा हाल रहा. नारायणपुर में 300, रंगरा में 400 और सबाैर में भी सैकड़ों लाग लाइन में लगे रहे, मगर वे सभी बड़े नोट को 100 के नोट से नहीं बदलवा सके.
नहीं मिला खुद का पैसा, लोग हुए बेहाल : नोटबंदी से शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के लोग खासे बेहाल हैं. किसी के सामने शादी के इंतजाम की समस्या है तो किसी के खेतों में बुआई के लिए बीज और खाद का इंतजाम नहीं हो पा रहा. कुछ के घरों में तो सब्जी तक के लिए पैसा नहीं बचा है. इंतजाम को लेकर जब विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति की पड़ताल की गयी तो यह समस्याएं सामान्य तौर पर सामने आयी.
सेंट्रल बैंक में रुपये के लिए सुबह से लाइन लगाये खड़ी मंजू देवी ने बताया कि घर में एक रुपया नहीं है. सबौर में सोनी देवी ने खेती प्रभावित होने का अपना दर्द बताया. गोराडीह के विनय ने भी बताया कि घर में सब्जी के लिए पैसा नहीं है. कई किसानों ने खाद-बीज के लिए जुताई छोड़ पिछले तीन दिन से बैंकों में रकम के लिए संघर्ष करने की बात बतायी. कई इलाके में पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है. खाते में पैसा होने के बावजूद वह उसे निकासी नहीं कर पा रहे हैं. लोगों को इस बात का भरोसा ही नहीं हो रहा कि उनकी जरूरत के समय पर उनका ही पैसा मिल पायेगा. ऐसी निराशा भरी बातें शहरी क्षेत्र के डाकघर में लाइन में खड़े रंजीत, मुन्नी देवी, राकेश आदि ने कही.
कैश न पहुंचने से चारों ओर दिक्कत : ग्रामीण इलाके के बैंकों तक कैश न पहुंच पाने से लोगों में तो निराशा है ही, बैंक अधिकारी और कर्मचारी भी खासे परेशान हैं. एटीएम तो लगभग बंद ही हो गया है. ग्रामीण इलाके में स्टेट बैंक में कैश की स्थिति कुछ ठीक है. बाकी कुछ बैंकों के शाखाओं में कैश पहुंच रहा है लेकिन उसे खत्म होने में देर नहीं लग रहा. बैंकों में नयी करेंसी न आने व पुरानी करेंसी की सीमित उपलब्धता के कारण प्रक्रिया धीमी पड़ गयी है. एक-दो बैंकों में तो करेंसी के अभाव के कारण खातों का भुगतान भी ठप पड़ गया है.
ग्रामीण डाकघर में नहीं बदले जा रहे नोट : ग्रामीण इलाके के अधिकतर डाकघरों में नोट को बदलकर नोट नहीं दिये जाने का काम लगभग ठप है. काउंटर से केवल खातों में पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट जमा लिये जा रहे हैं. डाकघर को बैंक से नोट नही मिली है. डाक अधिकारी ने बताया कि नोट मिलते ही डाकघरों को भी उपलब्ध करा दिया जायेगा.
ग्रामीण इलाके में अनाज बेचकर पूरी हो रही रोजमर्रा की जरूरतें
बड़े नोट बंद हो जाने और छोटे नोट की उपलब्धता न होने से लोगों की रोजमर्रा की जरूरत पूरी होना मुश्किल हो गया है. ऐसे में लोग गांव के बाजारों में घर का अनाज बेचकर किसी तरह रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर रहे हैं. शुक्रवार को बलुआचक हाट में कोई पशु, तो कोई घर का अनाज बचने आया और इसके बाद रोजमर्रा की जरूरत वाले समान खरीद कर वापस हुए. अनाज बेचने आयी रुक्मिणी देवी ने बताया कि बैंकों में भीड़ के चलते पैसा नहीं निकाल सकी और पुराने नोट है, मगर इसे कोई बदलने को तैयार नहीं है.
आरबीआइ के लिए पांच बैंक काम करता है, जिसमें केवल एसबीआइ चेस्ट को पैसा मिल रहा है. दूसरे बैंकों के चेस्ट को पैसा नहीं मिलने से बड़े नोटों को बदलने का काम नहीं हो रहा है. आरबीआइ के उच्चाधिकारी को ध्यान देना चाहिए, नहीं देंगे तो बड़े नोटों को बदलने का काम प्रभावित ही रह जायेगा.
आनंद मोहन दास, अग्रणी
जिला बैंक प्रबंधक, भागलपुर