इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था. मामले को लेकर विवि ने एक कमेटी बनायी थी. कमेटी ने जांच कर एक अप्रैल 2008 में पूर्व कुलपति डॉ प्रेमा झा को रिपोर्ट सौंपी थी. कमेटी ने कर्मचारी नेता को बरखास्त करने की अनुशंसा की थी. कमेटी ने अनुशासनहीनता, सरकारी कामों में बाधा डालना, अभद्र व्यवहार आदि का आरोप कर्मचारी नेता पर लगाया था.
कुलपति डॉ प्रेमा झा ने एक कमेटी बनायी. कमेटी तमाम मामलों की जांच की, तभी कुलपति का कार्यकाल बदल गया. पूर्व कुलपति डॉ केएन दुबे के समक्ष कमेटी ने रिपोर्ट रखर. रिपोर्ट में सुशील मंडल को बहाल रखने की बात कही गयी. साथ ही दो इनक्रीमेंट काटी गयी. कर्मचारी नेता को अपने आचरण में सुधार लाने की चेतावनी दी गयी. कमेटी ने कुलपति से कहा कि कर्मचारी नेता पर क्या कार्रवाई करना है, इसका निर्णय उन्हें ही करना है. मामले लेकर 13 फरवरी 2010 को विवि की अनुशासन कमेटी की बैठक बुलायी गयी.
कमेटी की रिपोर्ट को अनुशासन कमेटी के समक्ष रखा गया. कमेटी ने कर्मचारी नेता से आचरण में सुधार के लिए लिखित आवेदन मांगी. केके एम कॉलेज जमुई में कर्मचारी नेता को पदस्थापित कर दिया गया. कमेटी ने कहा कि किसी हालत में टीएनबी कॉलेज ही नहीं, बल्कि मुख्यालय के किसी कॉलेज में वापस नहीं आने दिया जाये. दो इनक्रीमेंट काटा रहा है, लेकिन सिंडिकेट की बैठक में अनुशासन कमेटी के निर्णय को बदल दिया.
विवि से निकली अधिसूचना में पदस्थापित शब्द को विलुप्त कर प्रतिनियुक्त कर दिया गया. इस आधार पर नौ अक्तूबर 2012 को विवि ने अधिसूचना जारी कर कर्मचारी नेता को केकेएम कॉलेज जमुई से बीएन कॉलेज भागलपुर कर दिया गया. उस वक्त पूर्व कुलपति डॉ विमल कुमार थे. 16 सितंबर 2015 को विवि की ओर से अधिसूचना जारी कर बीएन कॉलेज से टीएनबी कॉलेज कर्मचारी नेता को प्रतिनियुक्त कर दिया गया. विवि सूत्रों के अनुसार कर्मचारी नेता अपने रसूख का पॉवर दिखाते हुए अनुशासन कमेटी के निर्णय को पूरी तरह से बदलवा दिया. इस बात की चर्चा आज भी विवि व कर्मचारियों में है. हालांकि सुशील मंडल का कहना है कि विवि के निर्णय को मान कर काम कर रहे हैं.