मिट्टी के दीये तैयार करता कुम्हार.
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कुम्हारों के घर शुरू हो गयी दीवाली की तैयारी
मिट्टी के दीये तैयार करता कुम्हार. मिट्टी के तैयार होने लगे दीपक, ढिबरी, मूर्ति व सजावटी सामान भागलपुर : बाजार में बिजली के सजावटी झालरों ने कब्जा जमा लिया है, वहीं कुम्हारों के यहां मिट्टी के दीये बनाने की औपचारिक तैयारी शुरू हो गयी है, ताकि दीवाली में अधिक से अधिक दीया बेच सकें. साहेबगंज […]
मिट्टी के तैयार होने लगे दीपक, ढिबरी, मूर्ति व सजावटी सामान
भागलपुर : बाजार में बिजली के सजावटी झालरों ने कब्जा जमा लिया है, वहीं कुम्हारों के यहां मिट्टी के दीये बनाने की औपचारिक तैयारी शुरू हो गयी है, ताकि दीवाली में अधिक से अधिक दीया बेच सकें. साहेबगंज के अधिकलाल पंडित ने बताया कि पहले मिट्टी के दीये की बिक्री सालों भर होती थी, लेकिन अब दीवाली के समय ही अधिक से अधिक दीये की बिक्री होती है. पहले एक लाख मिट्टी के दीये एक-एक टोले में बिक जाते थे. झालर के जमाने में मिट्टी के दीये की लौ मंद पड़ गयी है. हालांकि धार्मिक मान्यता के कारण अब भी दीवाली पर हर घर में मिट्टी के दीये जरूर जलाये जाते हैं.
रामसर-काजीवलीचक के कारीगर ने बताया कि पहले पूरा परिवार इस धंधा से जुड़ा था. अब दूसरे धंधे की ओर मुड़ रहे हैं. अब केवल त्योहार के रूप में इसे देखते हैं. धंधा के लिए सामान्य मौसम सा ही दिखता है. लोगों के घटने से मिट्टी का दीया बनाने में मेहनत बढ़ गयी और मुनाफा घट गया.
यहां बनते हैं मिट्टी के दीये
शहर के रामसर, अंबे, गंगटी, मिरजानहाट, रामपुर, मारूफचक, नाथनगर, चंपानगर विषहरी स्थान आदि स्थानों पर लोग आज भी मिट्टी के दीये, मूर्ति, मिट्टी के बरतन आदि बना जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं.
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