सदर अस्पताल से लेकर मायागंज हॉस्पिटल स्थित नशा मुक्ति केंद्र पर नशे के मरीजों का इलाज करने के लिए 30 बेड की व्यवस्था है. सदर अस्पताल स्थित केंद्र पर 20 बेड एवं मायागंज हॉस्पिटल स्थित नशा मुक्ति केंद्र पर मरीजों के लिए 10 बेड लगे हैं. आलम यह है कि अब तक सदर के नशा मुक्ति केंद्र की ओपीडी में 102 मरीज आ चुके हैं तो जेएलएनएमसीएच के नशा मुक्ति केंद्र की ओपीडी में 52 मरीज. इनमें से करीब 34 मरीज सदर के नशा मुक्ति केंद्र पर भरती हुए तो मायागंज के नशा मुक्ति केंद्र पर 40 मरीज. वर्तमान में सदर अस्पताल के दो मरीज क्रमश: जगदीशपुर एवं बरारी क्षेत्र के इलाजरत हैं.
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नशा मुक्ति केंद्र खाली कोई मरीज नहीं
भागलपुर: शराबबंदी के बाद बड़े जोर-शोर से सदर अस्पताल परिसर में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया. पुराने बिल्डिंग के मेंटनेंस, दवा से लेकर सभी जरूरी सुविधाओं के इंतजाम में करीब 20 लाख रुपये खर्च हो गये. इस नशा मुक्ति केंद्र पर शराब के आदती मरीज आ ही नहीं रहे हैं. यहां पर मरीज से ज्यादा […]
भागलपुर: शराबबंदी के बाद बड़े जोर-शोर से सदर अस्पताल परिसर में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया. पुराने बिल्डिंग के मेंटनेंस, दवा से लेकर सभी जरूरी सुविधाओं के इंतजाम में करीब 20 लाख रुपये खर्च हो गये. इस नशा मुक्ति केंद्र पर शराब के आदती मरीज आ ही नहीं रहे हैं. यहां पर मरीज से ज्यादा चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी आते हैं.
दो बार मरीज के बिना भी हो चुका है नशा मुक्ति केंद्र : सदर अस्पताल का नशा मुक्ति केंद्र पर एक बार ऐसा भी वक्त आया जब यहां पर मरीज ही नहीं थे. 21 अगस्त से लेकर 29 अगस्त तक यहां पर नशे का इलाज कराने वाला एक भी मरीज भरती नहीं था. मरीज के कम होने से यहां पर तैनात चिकित्सक की बल्ले-बल्ले है. यहां पर वर्तमान में दो चिकित्सक क्रमश: डॉ अशरफ रिजवी व डॉ एके मंडल हैं. इसके अलावा एक काउंसलर संतोष कुमार, एक एएनएम किरन कुमारी, एक हेल्थ वर्कर व अटेंडेंट है.
आखिर कहां गये 14000 से अधिक नशेड़ी
नशा मुक्ति केंद्र के खुलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे कराया था तो पाया कि जिले में 14000 से अधिक नशेड़ी हैं. इन नशेड़ियों में धूम्रपान, मद्यपान, गांजा, भांग, स्मैक समेत अन्य किस्म का नशा करने वाले लोग थे. फिर भी ये मान लिया गया था कि करीब डेढ़ हजार शराब के आदती हैं. लेकिन यहां पर आये आंशिक या पूर्ण नशे के आदती मरीजों की संख्या ही 102 तक पहुंच पायी है. ऐसे में बड़ा सवाल कि आखिर 1400 शराब के आदती मरीज कहां गये. चिकित्सकों की माने तो इन मरीजों ने नशे का दूसरा विकल्प खोज लिया है, इसलिए ये नशा मुक्ति केंद्र तक नहीं आ रहे हैं.
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