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मुश्किलें कम नहीं हैं
निशि रंजन प्रसिद्ध कथाकार भगवती चरण वर्मा के उपन्यास सामर्थ्य और सीमा की पंक्ति है : वैसे तुम चेतन हो/तुम प्रबुद्ध ज्ञानी हो, तुम समर्थ, तुम कर्ता, अतिशय अभिमानी हो, लेकिन अचरज इतना/तुम कितने भोले हो ऊपर से तो ठोस दिखो, अंदर से पीले हो बनकर मिट जाने की तुम एक कहानी हो. एक तरफ […]
निशि रंजन
प्रसिद्ध कथाकार भगवती चरण वर्मा के उपन्यास सामर्थ्य और सीमा की पंक्ति है :
वैसे तुम चेतन हो/तुम प्रबुद्ध ज्ञानी हो,
तुम समर्थ, तुम कर्ता, अतिशय अभिमानी हो,
लेकिन अचरज इतना/तुम कितने भोले हो
ऊपर से तो ठोस दिखो, अंदर से पीले हो
बनकर मिट जाने की तुम एक कहानी हो.
एक तरफ जब भागलपुर स्मार्ट सिटी बनने को लेकर महत्वपूर्ण विमर्श चल रहा था, योजना बन रही थी, दूसरी तरफ नवगछिया में महामारी और जल जमाव को लेकर त्राहिमाम संदेश भेजे जा रहे थे. बाढ़ के समय और बाढ़ के बाद पीड़ितों को मिली मेडिकल सुविधाएं.
सरकारी और प्राइवेट मेडिकल सुविधाओं की स्थिति. सरकारी पर भार जबरदस्त. प्राइवेट न जाने कितनों की पहुंच से बाहर. इस बीच बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बीमार पड़ते लोग. मेडिकल के क्षेत्र में तमाम बुलंदियों का परचम लहराने के बाद भी पूर्वी बिहार का ग्रह अंग क्षेत्र मेडिकल सुविधाओं की लिहाज से पिछड़ा ही है. अभी भी हृदय या न्यूरो संबंधी रोग के पर्याप्त इलाज की सुविधा यहां नहीं है. गरीब आदमी के लिए सस्ता सुगम इलाज के बारे में कुछ कहना ही बेकार है. ले देकर जेएलएनएमसीएच है. यहां की अपनी परेशानी है.
यह तो सामान्य दिनों की बात है. बाढ़ आपदा या महमारी जैसी स्थिति के बाद मौजूद संसाधन के हिसाब से स्थिति के आकलन कर देह सिहर जाता है. हम चाहे लाख दंभ भर लें, कुछ चीजें तो हमारे सामर्थ्य और सीमा में नहीं होती है. बाढ़ ऐसी ही आपदा है, लेकिन मेडिकल क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार और मेडिकल क्षेत्र की अन्य परेशानियों को तो प्रशासन दूर कर ही सकता है. अत: प्रशासनिक अधिकारियों ने ठीक ही कहा -पहले सरकारी मेडिकल सुविधा के बारे में आम लोगों की धारणा बदलनी होगी.
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