भागलपुर : श्री चंपापुर दिगंबर जैन मंदिर सिद्धक्षेत्र में चल रहे दशलक्षण महापर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा पर्व की उपासना आस्था, निष्ठा व भक्ति भाव से की गयी. श्रद्धा, आस्था व पवित्र माहौल में आयोजित इस समारोह में मौजूद श्रद्धालुओं ने 24 तीर्थंकरों की बेदियों तथा मानस्तंभ की परिक्रमा की. इस अवसर पर गूंज रहा ‘तुम वंदन जिन देवजी, नित नव मंगल होय’ ने माहौल को भक्ति के रंग में रंग दिया. प्रवचन में पंडित जागेश शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व के 10 दिन हमारे लिए ज्ञान-वैराग्य के अभ्यास के लिए बेहतरीन अवसर है.
कभी-कभी एक पलप का संस्कार भी हमारी भावी जन्म परंपरा में मोड़ ला देता है.
मन निर्मल हो तो जगता है क्षमा मांगने का भाव: कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में महादश लक्षण पर्व पर आर्यिका सुबोधमती माताजी ने कहा कि आज हम उत्तम क्षमा पर्व की उपासना कर रहे हैं. मन में निर्मलता होने पर ही क्षमा मांगने का भाव जागृत होता है. परोपकार के प्रभाव से संकट कम हो जाते हैं और मनुष्य सुकून की जीवन व्यतीत करता है. क्षमा रूपी बल जिसके साथ है, दुर्जन उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. क्रोध, धर्म को नष्ट कर देता है.
वर्षों की मित्रता को कठोर वचन क्षण भर में नष्ट कर देता है. दशलक्षण महापर्व आध्यात्मिक पर्व और क्षमा अमृत है. पंडित आराध्य शास्त्री ने कहा कि क्रोध से किसी व्यक्ति का भला नहीं हुआ है. क्रोधी व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है. क्षमा महानता का परिचायक है. क्षमा करने से हृदय सरल हो जाता है. मौके पर श्रद्धालुओं का स्वागत सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने किया. इस अवसर पर विजय रारा, पदम पाटनी, गंभीर मल बड़जात्या, जय कुमार काला, अशोक पाटनी, सुमित बड़जात्या, सुमंत पाटनी, पवन गंगवाल, संजय विनायक्या आदि मौजूद रहे.