विभिन्न होमियोपैथिक संगठनों की ओर से की गयी हड़ताल का दूसरा दिन
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गिरे रहे होमियोपैथिक डिस्पेंसरी के शटर, मरीज परेशान
विभिन्न होमियोपैथिक संगठनों की ओर से की गयी हड़ताल का दूसरा दिन भागलपुर : ग की ओर से हाेमियोपैथिक चिकित्सक डॉ बिनय गुप्ता की डिस्पेंसरी पर की गयी छापेमारी व कार्रवाई के खिलाफ में आहूत हड़ताल के दूसरे दिन शहर के सभी हाेमियोपैथिक डिस्पेंसरी व दवा की दुकाने बंद रही. इस दौरान इलाज के लिए […]
भागलपुर : ग की ओर से हाेमियोपैथिक चिकित्सक डॉ बिनय गुप्ता की डिस्पेंसरी पर की गयी छापेमारी व कार्रवाई के खिलाफ में आहूत हड़ताल के दूसरे दिन शहर के सभी हाेमियोपैथिक डिस्पेंसरी व दवा की दुकाने बंद रही. इस दौरान इलाज के लिए आये मरीज इलाज व दवा के लिए इधर-उधर भटकते रहे. होमियोपैथिक चिकित्सकों का कहना है कि सरकार की अव्यवहारिक व अस्पष्ट नीति तथा ड्रग विभाग की मनमानी के कारण वर्तमान में होमियोपैथिक चिकित्सा करना मुश्किल हो गया है. प्रदेश सरकार को इसमें दखल देकर देश की इस प्राचीन व सस्ती इलाज विधा को मिटने से बचाने के लिए आगे आना चाहिये, ताकि हम सब भयमुक्त वातावरण में गरीबों का इलाज कर सके.
कन्फ्यूजन की स्थिति दूर करें ड्रग विभाग : डाॅ नीतीश दुबे : होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ नीतीश दुबे का कहना है कि मार्च में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया था कि मान्यताप्राप्त औषधालय में 100 एमएल का डाइल्यूशन रखा जा सकता है. बावजूद बीते दिनों होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ बिनय गुप्ता के औषधालय पर छापा मारकर ड्रग विभाग ने कार्रवाई कर दी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ड्रग विभाग किस प्रकार के औषधालय काे मान्यता प्राप्त मानती है और किसे नहीं. विभाग की इस कार्रवाई के बाद चिकित्सक मुश्किल व पेशोपेश में हैं. विभाग को इस कन्फ्यूजन को दूर करना चाहिये, ताकि हम सब बेखाैफ होकर गरीब मरीजों की चिकित्सा सेवा कर सके. डॉ दुबे ने कहा कि होमियोपैथिक फार्माकोपिया में इस बात को बताया-सिखाया जाता है कि दो-तीन प्रकार की दवा को मिक्स करके मरीज का इलाज किया जा सकता है. ऐसे में मिश्रित दवा पर बैच नंबर लिखना संभव नहीं है, जबकि नये सर्कुलर में आदेश है कि मरीजों को दी जाने वाली होमियोपैथिक दवा पर बैच नंबर लिखा जाना चाहिये.
होमियोपैथिक दवाओं को शराब की तरह ट्रीट न करें सरकार : गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित पत्रकारवार्ता में होमियोपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ रवींद्र प्रसाद यादव,डॉ पीके सिंह आदि ने कहा कि होमियोपैथिक दवाओं को सरकार शराब की तरह ट्रीट न करें. यह दवा है जिसका देश भर के करोड़ों मरीज सेवन कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं. सरकार ने ही होमियोपैथिक कॉलेज से औषधालय तक खोल रखा है. सरकार की नजर में होमियोपैथिक दवाएं विषैली हैं, तो इन कॉलेज व औषधालय को बंद क्यूं नहीं कर देती है. चिकित्सकों ने सरकार से मांग की है कि होमियोपैथी को लेकर चिकित्सक समुदाय में भ्रम की स्थिति है. सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करते हुए मानक तय करना चाहिये, ताकि होमियोपैथिक चिकित्सक उसी दिशा-निर्देश के अनुसार चिकित्सा सेवा कर सकें. प्रेसवार्ता में डॉ एसके पंजीकार, डॉ पीएन पांडेय, डॉ अलका सिंह, डॉ एस आलम, डॉ एम मन्नान, डॉ पीके झा, डॉ बी दास, डॉ आलोक मोहन आदि मौजूद थे.
बंद रहे डिस्पेंसरी, परेशान हुए मरीज
हड़ताल के कारण एमपीडी रोड, तिलकामांझी स्थित हटिया रोड, मनालीचौक, घंटाघर, कोतवाली रोड, स्टेशन रोड स्थित शहर के सभी होमियोपैथिक डिस्पेंसरी व दवा की दुकानें बंद रही. इस दाैरान इलाज के लिए शहर पहुंचे मरीज इधर-उधर भटकते रहे.
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