भागलपुर: बिहार बोर्ड में टॉपर घोटाला पर डिग्री कॉलेज कर्मचारी कल्याण संघ ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ विभु कुमार राय ने बताया कि जब तक वित्तरहित कॉलेजों में सरकार द्वारा लागू व्यवस्था नहीं बदलेगी, तब तक ऐसे कारनामों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता. सरकार की नतीजा आधारित अनुदान के वितरण की नीति बिल्कुल त्रुटिपूर्ण है. लोग परीक्षाफल को सुधारने के लिए नये-नये हथकंडे अपना रहे हैं.
इस नीति के तहत ज्यादा से ज्यादा पास कराओ, ज्यादा से ज्यादा पैसा पाओ वाली व्यवस्था चल पड़ी है. इसके कारण लोग अधिक छात्रों का नामांकन लेते हैं और उन्हें उत्तीर्ण कराने का जुगाड़ लगाते हैं. सरकार को इस व्यवस्था को बदलना चाहिए. डिग्री कॉलेज कर्मचारी कल्याण संघ शुरू से सरकार से यह मांग करता रहा कि जो भी कॉलेज स्थायी संबंधन प्राप्त हैं और जिन्हें यूजीसी ने भी पंजीकृत किया है, उनके शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों को एक तय वेतन का भुगतान किया जाये. यह आज तक नहीं हुआ. जहां तक अनुदान वितरण का सवाल है वहां भी वर्ष 2010 के बाद आज तक अनुदान की राशि महाविद्यालयों को मुहैया नहीं करायी गयी. इस मेधा घोटाला से बिहार की छवि पुन: धुमिल हुई है, यह चिंता का विषय है. इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. हमारे उच्च अंक और उच्चतम श्रेणी से पास छात्रों को भी दूसरे राज्यों में शंका की दृष्टि से देखा जाता है. इस कांड में कोई भी हो, अपराध सिद्ध हो, तो कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि बिहार की छवि दागदार न हो.
डॉ राय ने बताया कि 31 जून को गरमी की छुट्टी समाप्त हो जायेगी. इसके बाद संगठन की ओर से शिक्षा मंत्री व शिक्षा सचिव से मिल कर इस पूरे प्रकरण पर किसी ठोस निर्णय के लिए वार्ता की जायेगी. इस संदेश को हर कॉलेज व हर कर्मी तक पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा. 31 मार्च 2017 तक सरकार शिक्षकों की नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ रखी है. शिक्षकों के नियमित होते ही डिग्री कॉलेज कर्मचारी कल्याण संघ नतीजा आधारित अनुदान को समाप्त करते हुए पूर्ण वेतन भुगतान के लिए सड़क से लेकर सदन तक व्यापक आंदोलन छेड़ेगा.