घोघा : कहलगांव प्रखंड के घोघा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ईंट का कारोबार होता है. लेकिन, ईंट निर्माण के लिए यहां की उपजाऊ जमीन की अंधाधुंध कटाई हो रही है. मजबूरी, प्राकृतिक प्रकोप व अधिक पैसे मिलने के लोभ में बड़ी संख्या में किसान अपनी उपजाऊ जमीन ईंट भट्ठा मालिकों को अनुबंधित कर रहे हैं या जमीन की बिक्री भी कर रहे हैं.
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घोघा में उपजाऊ जमीन की हो रही कटाई
घोघा : कहलगांव प्रखंड के घोघा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ईंट का कारोबार होता है. लेकिन, ईंट निर्माण के लिए यहां की उपजाऊ जमीन की अंधाधुंध कटाई हो रही है. मजबूरी, प्राकृतिक प्रकोप व अधिक पैसे मिलने के लोभ में बड़ी संख्या में किसान अपनी उपजाऊ जमीन ईंट भट्ठा मालिकों को अनुबंधित कर रहे […]
ईंट निर्माण के लिए न सिर्फ यहां के खेत खाई में तब्दील हो रहे हैं बल्कि भट्ठों से उड़ने वाला राख आसपास की जमीन में लगी फसल को भी नुकसान पहुंचा रहा है. खोतों में लगी फसलों पर राख की मोटी परत जम जाती है, जिससे उपज प्रभावित होती है. जानकारों का कहना है कि फसलों पर राख जम जाने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अवरूद्ध हो जाती है, जिससे पौधौं का विकास रुक जाता है. इससे पैदावार बहुत कम हो जाती है. कभी -कभी तो पौधों में फलन भी नहीं हो पाता है और वे सूख जाते हैं. इस कारण भी किसान मजबूर होकर भट्ठा मालिकों के पास जमीन बेच रहे हैं.
प्राकृतिक प्रकोप : घोघा पुल व भैना डायवर्सन के उत्तर की ओर का क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है. बरसात के समय यहां के खेत पानी में डूब जाते हैं. सावन-भादो के समय की फसल जिसे भदैया फसल कहते है, बाढ़ में हर वर्ष डूब जाती है. इससे परेशान किसान भी अपनी जमीन ईंट भट्ठा मालिकों को दे रहे हैं.
मिलता है प्रलोभन : भट्ठा मालिक किसानों को फसलों से एक साल में होने वाली आय की अपेक्षा कई गुना अधिक पैसा देने का प्रलोभन देते हैं. इससे वसीभूत हो किसान अपनी जमीन भट्ठा मालिकों को लीज पर दे देते हैं.
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