भागलपुर: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बहुत ही बुरा है. कायाकल्प योजना में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था ने नाक कटायी तो राज्य स्तर की रैंकिग में भी भागलपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर मिली. इससे आगे तो बांका रहा. दवा की कमी से स्वास्थ्य विभाग साल भर जूझता रहा. यही कारण रहा कि मरीजों का मन जिले के सभी पीएचसी, अनुमंडल एवं सदर अस्पताल से मन उचट गया.
जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बने ओपीडी में अपना इलाज कराने के लिए वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015 में करीब पांच लाख मरीज कम पहुंचे. वर्ष 2013 में 1768567 मरीजों ने ओपीडी में अपना इलाज कराया था तो वर्ष 2014 में 2003725 इन ओपीडी तक पहुंच गये. लेकिन वर्ष 2015 में दवा की कमी ओपीडी से लेकर तमाम स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखने लगी थी. मरीजों ने भी यहां आने के बजाय मायागंज हास्पिटल या फिर प्राइवेट चिकित्सालयों की तरफ रुख करना उचित समझा. परिणामस्वरूप वर्ष 2015 में इन ओपीडी तक महज 1505409 मरीज ही पहुंचे. जाे कि वर्ष 2014 की तुलना में 498316 मरीज(लगभग 25 प्रतिशत) कम थे.
सदर अस्पताल का तो और भी हाल रहा बुरा: सदर अस्पताल में तो राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध नहीं किये जाने के कारण सदर अस्पताल की ओपीडी में वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015 में 30 फीसदी मरीज कम हो गये. वर्ष 2013 में सदर अस्पताल की ओपीडी में 170743 मरीजों ने अपना इलाज कराया तो वर्ष 2014 में यहां की ओपीडी पर 177318 मरीज इलाज के लिए पहुंचे. लेकिन यहां का ओपीडी मरीजों के लिए वर्ष 2015 वाटर लू साबित हुआ तो मरीजों ने भी यहां आने से तौबा कर ली. आलम यह हुआ कि वर्ष 2015 में महज 123502 मरीजों ने अपना इलाज कराया.
बार दो करोड़ की दवा की खरीद: इस बार दवा खरीद की नीति बदल गयी है. पहले राज्य स्वास्थ्य समिति के जरिये खरीद होती थी. लेकिन इस बार दवा खरीद जिला स्वास्थ्य समिति के जरिये दवाओं की खरीद होगी. इस बार करीब दो करोड़ रुपये की दवा की खरीद की जायेगी.
इस बार जरूरत के हिसाब से खरीदी जायेगी दवा : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने बताया है कि इस बार जरूरत के हिसाब से दवा खरीदी जायेगी. पहले जरूरी दवा एवं सेकेंडरी दवाएं समान रूप से खरीदी जाती थी लेकिन इस बार बीमारी एवं मरीजों के हिसाब से दवा खरीदी जायेगी ताकि मरीजों को मायूस न होना पड़े.