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एनएच 80 : आश्वासन पर आश्वासन, सड़क के नाम पर बची पगडंडी

एनएच 80 : आश्वासन पर आश्वासन, सड़क के नाम पर बची पगडंडी दावों के बाद भी सुधरी नहीं हालत -जिलाधिकारी ने लगातार विभागीय इंजीनियरों को बुलाकर लगायी फटकार. फिर भी न तो बनी सड़क और न इसका हुआ मरम्मत -सिरदर्द बन चुकी नेशनल हाइवे को लेकर डीएम ने भेजा त्राहिमाम संदेश, फिर भी पटना में […]

एनएच 80 : आश्वासन पर आश्वासन, सड़क के नाम पर बची पगडंडी दावों के बाद भी सुधरी नहीं हालत -जिलाधिकारी ने लगातार विभागीय इंजीनियरों को बुलाकर लगायी फटकार. फिर भी न तो बनी सड़क और न इसका हुआ मरम्मत -सिरदर्द बन चुकी नेशनल हाइवे को लेकर डीएम ने भेजा त्राहिमाम संदेश, फिर भी पटना में बैठे उच्चाधिकारियों को नहीं पड़ा कोई फर्क ————————-इंट्रो : अगले तीन माह में एनएच-80 के गड्ढे भरे जायेंगे! इसके अगले छह माह में सड़क बन जायेगी और ये चकाचक दिखेगी! सड़क नहीं बनी, तो दिल्ली नहीं जायेंगे. धरना दिया जायेगा! प्रदर्शन करेंगे! विधानसभा में मुद्दा उठाये जायेंगे! वगैरह-वगैरह! विभागीय अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों व मंत्री के दावों को सुनते-सुनते लोगों के कान पक गये हैं. इधर, नेशनल हाइवे की हालत तो नहीं सुधरी, राजनीतिक भट्ठी सुलग रही है. भागलपुर का लाइफ लाइन कहलानेवाली एनएच 80 सड़क से होकर गुजरना डरावना अनुभव है. यहां के लोग तो सड़क को लेकर परेशान हैं ही, बाहर से आनेवाले सैलानी भी यहां आने से कतराने लगे हैं. इसका बुरा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ रहा है. सड़क से एनटीपीसी भी परेशान है. उनका सामान सड़क से समय पर नहीं पहुंच पाता है. कभी-कभी बिजली उत्पादन पर भी इसका असर पड़ता है. इस सड़क से होकर वाहनों का चलना काफी हद तक कम हो गया है. लोग भागलपुर से पीरपैंती रोड के बजाय रेल मार्ग से जाना पसंद करते हैं.संवाददाता, भागलपुर घोरघट से मिरजाचौकी तक नेशनल हाइवे-80 की सड़क सालों से जर्जर है. अब तो इस रास्ते में कई जगहों पर सड़क के नाम पर पगडंडी बची है. निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया. जिला प्रशासन ने सख्ती दिखायी. लेकिन सड़क नहीं सुधरी और जर्जर होती गयी. डीएम ने लगातार विभागीय इंजीनियरों को बुलाकर फटकार लगायी. इसके बावजूद न तो सड़क बनी और न मरम्मत किया गया. जिलाधिकारी ने त्राहिमाम संदेश भी भेजा. फिर भी पटना में बैठे उच्चाधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा. ऐसे तो घोरघट से लेकर मिरजाचौकी तक सड़क की हालत खराब है. मगर, सबसे ज्यादा खराब स्थिति भागलपुर-कहलगांव-पीरपैंती सेक्शन में है. रमजानीपुर से पीरपैंती के बीच 14 किमी लंबी सड़क नहीं बनी है. भैना पुल से कहलगांव बाजार और मथुरापुर के पास सड़क सबसे ज्यादा खराब है. पक्कीसराय से रमजानीपुर के बीच यहां अब तक सड़क नहीं बन सकी है. कुल मिला कर सड़क निर्माण के प्रति विभाग से लेकर मंत्री तक गंभीर नहीं हैं. वर्तमान में सड़क का निर्माण कार्य की जरूरत है, मगर विभाग द्वारा रमजानीपुर से पीरपैंती और पीरपैंती से मिरजाचौकी और सबौर के पास केवल मरम्मत किया जा रहा है. उड़ती धूल कर रही लोगों को बीमार नेशनल हाइवे पर चलना आज की तारीख में दुश्वार हो गया है. इस मार्ग में गड्ढा ज्यादा और सड़क कम रह गयी है. इस मार्ग पर कई जगह तीन फुट गहरा और कई फीट लंबा गड्ढा बना है, जिससे वाहन हिचकोले खाने लगते हैं. जहां निर्माण का कार्य चल रहा है, वहां उड़ते धूल नेशनल हाइवे के किनारे बसे गांव के लोगों को बीमार कर रहा है. अधिकतर लोग दमा से पीड़ित हैं. बाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय (136-153 किमी) के बीच नेशनल हाइवे का मरम्मत लगभग एक करोड़ 13 लाख रुपये तीन पार्ट में हो रहा है. फरवरी में काम शुरू हुआ है. बाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय (136-153 किमी) के बीच तीन पार्ट में अलग-अलग राशि का टेंडर निकाला गया था. बाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय के बीच बाढ़ मरम्मत कार्य योजना के प्राक्कलन में 138 से 141 किमी के लिए 39.99 लाख, 142 से 146 किमी के लिए 41.22 लाख एवं 147 से 152 किमी के लिए 32.02 लाख रुपये शामिल है. रमजानीपुर से पीरपैंती तक 1.47 करोड़, तो पीरपैंती से मिरजाचौकी के बीच 2.89 करोड़ की लागत से मरम्मत हो रहा है. जानें सड़कों का हालघोरघट से अकबरनगर (93 से 113 किमी) :घोरघट से अकबरनगर के बीच करीब 20 किमी लंबी सड़क का बाबा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने निर्माण कराया है. यह सड़क मेंटेनेंस अवधि में है. बावजूद मेंटेनेंस नहीं कराया जा रहा है. सड़क टूटने लगी है. गड्ढे भी बनने लगे हैं. सड़क के निर्माण पर पर लगभग नौ करोड़ रुपये की लागत आयी थी. अकबरनगर से भागलपुर रेलवे स्टेशन (114 से 128 किमी): अकबरनगर से भागलपुर रेलवे स्टेशन के बीच लगभग 12 किमी लंबी सड़क का भी निर्माण बाबा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने कराया है. मेंटेनेंस अवधि में रहने के बाद भी ठेकेदार की ओर से इसका मेंटेनेंस नहीं कराया जा रहा है. एनएच के इस हिस्से की सड़क भी टूटने लगी है. सड़क के निर्माण पर पांच करोड़ से अधिक राशि खर्च हुई है. भागलपुर रेलवे स्टेशन से बाबूपुर मोड़ (129 से 135 किमी) :भागलपुर रेलवे स्टेशन से बाबूपुर मोड़ के बीच करीब सात किमी लंबी सड़क का निर्माण पटना के बादल युवराज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने कराया है. सड़क टूट गयी है. सड़क पर गहरे गड्ढे बन गये हैं. सबसे ज्यादा खराब स्थित घंटाघर और जेल रोड के बीच है. पहले मिली चेतावनी पर ठेकेदार ने मेंटनेंस कराया था. मगर मेंटेनेंस के नाम पर केवल खानापूरी की गयी थी. सड़क निर्माण पर 10.50 करोड़ की लागत आयी थी. बाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय (136 से 152 किमी) : बाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय के बीच 17 किमी लंबी सड़क का निर्माण बाबा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने कराया है. निर्माण के बाद से सड़क का मेंटेनेंस नहीं हुआ है. मेंटेनेंस के बिना सड़क बदहाल होकर रह गयी है. इस पर चलना नामुमकिन सा हो गया है. सड़क के निर्माण पर लगभग 12 करोड़ लागत आयी थी. फिलहाल, बाढ़ क्षतिग्रस्त योजना से मरम्मत हो रहा है. पक्कीसराय से रमजानीपुर (153 से 166 किमी): पक्कीसराय से रमजानीपुर के बीच 13 किमी लंबी सड़क का निर्माण एसएंडपी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा कराया गया है. इसके निर्माण पर नौ करोड़ से ज्यादा लागत आयी थी. निर्माण के बाद से मरम्मत नहीं हो सका है. सड़क गड्ढों में तब्दील हो गया है. लगातार चेतावनी के बाद भी सड़क का मेंटनेंस नहीं कराया जा रहा है. रमजानीपुर से पीरपैंती (167 से 180 किमी) :रमजानीपुर से पीरपैंती के बीच सड़क बनी नहीं. तकरीबन 35 करोड़ का डीपीआर पिछले डेढ़ साल से मंत्रालय में पड़ा है. मंत्रालय से अगर स्वीकृति मिल जाये, तो यह सड़क 35 करोड़ की लगात से बन सकेगी. इधर, विभाग ने अल्पकालीन मरम्मत कार्य योजना के तहत मरम्मत कराना शुरू किया है. इस पर लागत 1.47 करोड़ आयेगी.पीरपैंती से मिरजाचौकी (181 से 190 किमी)पीरपैंती से मिरजाचौकी के बीच तकरीबन 9.95 करोड़ की लागत से यह सड़क कई साल पहले बनी थी. अब यह जर्जर हो गयी है. निर्माण की जरूरत है. मगर, विभाग केवल मरम्मत करा रहा है. मरम्मत कार्य शुरू हो गया है. इस पर लगभग 2.89 करोड़ रुपये खर्च आयेगा.रमजानीपुर-पीरपैंती मार्ग : चार साल से लंबित पड़ी सड़क निर्माण की योजना वर्ष 2013 में आधा-अधूरा सड़क बना कर छोड़ देने के बाद 35 करोड़ रुपये की योजना बनी. प्राक्कलन को मंजूरी के लिए मंत्रालय भेजा गया. जिसे अब तक मंजूरी नहीं मिल सकी है. एनएच विभाग अब निर्माण कराने के बजाय मरम्मत करा रहा है. वर्ष 2012 में निर्माण की जिम्मेदारी एस एंड पी इंफ्रास्ट्रक्चर को मिली थी. लगभग 8.60 करोड़ की लागत से सड़क बननी थी. आधा-अधूरा निर्माण पर 7.25 करोड़ रुपये तक खर्च किया गया. यानी, सड़क पूरी तरह से बनी नहीं थी और कार्य की उपलब्धता के आधार पर कांट्रैक्टर को भुगतान कर दिया गया था. इसके बाद से स्थिति जस की तस है. पटल बाबू से इंजीनियरिंग कॉलेज मार्ग : चेतावनी मिली, तो मिट्टी से भर दिया गड्ढे हाल में बनी पटल बाबू से इंजीनियरिंग कॉलेज के बीच लगभग सात किमी लंबी सड़क बनने के साथ टूट गयी थी और अब यह चलने लायक भी नहीं रह गयी है. विभागीय अधिकारी द्वारा जब कांट्रैक्टर को चेतावनी मिली, तो उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के आने से पहले जल्दबाजी में गड्ढों को मिट्टी से भर दिया. बारिश हुई और मिट्टी बह गयी. इसके बाद स्थित जस की तस बन गयी है. यानी, गड्ढों में सड़क तब्दील है. वाहन हिचकोले खाते हैं. दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. खराब सड़क के कारण अक्सर जाम लगा रहता है. खराब सड़क के कारण अब तक कई लोगों की दुर्घटना में मौत हो चुकी है. इसके बावजूद किसी भी अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. उक्त मार्ग के निर्माण पर लगभग 10.59 करोड़ की लागत आयी थी. पटल बाबू रोड : ऊंची सड़क से परेशान हो रहे लोग, मामला हाइकोर्ट मेंपटल बाबू रोड नेशनल हाइवे का हिस्सा है, जो शहर से होकर गुजरती है. पटना उच्च न्यायालय ने पटल बाबू रोड की उंचाई को गंभीरता से लिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने सड़क निर्माण और उस पर नाला आदि बनाये जाने की जांच के लिए एडवोकेट कमश्निर की नियुक्ति की है. पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता चक्रपाणि को कोर्ट ने एडवोकेट कमश्निर नियुक्त करते हुए 26 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. राजेश चंद्र झा की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह निर्देश दिया है. एडवोकेट कमिश्नर सड़क निर्माण के दौरान कोर्ट के आदेशों के अनुपालन करने या नहीं करने तथा सड़क की उंचाई बढ़ाने और नाला निर्माण की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. कोर्ट इसके पहले भी इस सड़क की उंचाई बढ़ाये जाने पर नाराजगी जाहिर कर चुका है. सड़क की उंचाई बढ़ाये जाने से दोनों ओर की घरों में जलजमाव हो जाता है. पटल बाबू सड़क भागलपुर से सबौर तक चली जाती है और यह नेशनल हाइवे-80 है. इससे पहले सड़क ऊंचा निर्माण मामले में एनएच विभाग ने स्टेटमेंट ऑफ फैक्टस रिपोर्ट तैयार किया था. जिससे कि दो फीट ऊंची सड़क निर्माण के मामले से परदा उठा है. मामले में तत्कालीन चार जिलाधिकारी सहित निर्माण कराने में लगे अभियतांओं को नोटिस किया जा चुका है. इससे पहले ऊंची सड़क की जांच करायी गयी थी.सात किमी लंबी सड़क के निर्माण कार्य के दौरान तीन जगहों पर डेढ़ किमी में पीसीसी है और सड़क ऊंची हो गयी है. पटल बाबू रोड में लगभग 600 मीटर, बड़ी पोस्ट ऑफिस के सामने लगभग 300 मीटर एवं रानी तालाब के सामने 600 मीटर में पीसीसी सड़क बनी है. पटल बाबू रोड और जेल रोड के निर्माण को लेकर सबसे ज्यादा विरोध हुआ था. दुकानदारों द्वारा काम रोक देने के बाद अर्धनर्मिति कार्य को लेकर जाम की स्थिति बन गयी थी, जिससे कांट्रैक्टर को फिर से काम करने कहा गया था. निर्माण का कार्य 27 दिसंबर से 15 फरवरी के बीच हुआ था. सड़क जर्जर रही, तो लगेगा ही जाम शहर को जाम से छुटकारा मिलना लगभग असंभव सा दिखने लगा है. किसी न किसी कारण से शहर के किसी न किसी चौक पर रोज जाम लगता जाता है. ज्यादा तर जाम शहर से गुजरने वाली एनएच के चौक पर लगता है. इसमें सबसे बुरी स्थिति जीरोमाइल चौक की है. यहां लगने वाले जाम से सर्वाधिक परेशानी ऑफिस कर्मचारियों और स्कूली बच्चों को हो रही है.ये हैं कारण चौक के पास सड़क का जर्जर होना.चौक पास बेतरतीब सजी दुकानें.सड़क किनारे लगे वाहन. ट्रैफिक नियंत्रण की समुचित व्यवस्था नहीं.सुबह के समय वाहनों का दबाव. नेशनल हाइवे के निर्माण पर खर्च : घोरघट से अकबरनगर (93 से 113 किमी) : 8.48 करोड़ रुपये अकबरनगर से भागलपुर रेलवे स्टेशन (114 से 128 किमी): 5.08 करोड़ रुपये भागलपुर रेलवे स्टेशन से बाबूपुर मोड़ (129 से 135 किमी) : 10.59 करोड़ रुपयेबाबूपुर मोड़ से पक्कीसराय (136 से 152 किमी) : 6.07 करोड़ रुपये पक्कीसराय से रमजानीपुर (153 से 166 किमी): 9.27 करोड़ रुपये रमजानीपुर से पीरपैंती (167 से 180 किमी) : 7.25 करोड़ पीरपैंती से मिरजाचौकी (181 से 190 किमी) : 9.95 करोड़ रुपये

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