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महामहिम से फरियाद, आरटीआइ की जानकारी दे सरकार

भागलपुर : प्रदेश में 2006 में लागू हुए सूचना का अधिकार कानून 10 साल बाद भी प्रारंभिक चरण में ही है. इसके लिए जिम्मेवार किन्हें ठहराया जाये, यह मालूम नहीं. सरकारी पदाधिकारी जहां सूचना देना अपनी जिम्मेवारी नहीं समझते, वहीं अपीलीय पदाधिकारी सुनवाई से कतराते हैं और सूचना आयुक्त सूचना से वंचित रखने के आदेश […]

भागलपुर : प्रदेश में 2006 में लागू हुए सूचना का अधिकार कानून 10 साल बाद भी प्रारंभिक चरण में ही है. इसके लिए जिम्मेवार किन्हें ठहराया जाये, यह मालूम नहीं. सरकारी पदाधिकारी जहां सूचना देना अपनी जिम्मेवारी नहीं समझते, वहीं अपीलीय पदाधिकारी सुनवाई से कतराते हैं और

सूचना आयुक्त सूचना से वंचित रखने के आदेश पारित कर सरकार का कृपापात्र बना रहना चाहता है, ताकि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी सुविधा प्राप्त होता रहे. विधायक, सांसद, राज्य सभा सदस्य, विभिन्न समितियों के सभापति या अध्यक्ष का सुख प्राप्त हो सके. इतना ही नहीं सरकार के नुमाइंदे या सरकार ही क्यों नहीं हो, हरेक की यही स्थिति है. उक्त शिकायत सूचनाधिकार कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कर की है.

आरटीआइ एक्टिविस्ट श्री सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि सरकार भी प्राय: इस कानून में संशोधन कर जनता के इस हथियार की धार को समय-समय पर कुंदा करती रही है. इस कानून को शिथिल करने में प्रशासनिक स्तर के पदाधिकारियों से लेकर सरकार तक शामिल हैं. सरकार ने सूचनाधिकार के व्यापक प्रचार-प्रसार के नाम पर सिर्फ कार्यालयों में होर्डिंग लगायी है. इसमें भी अधूरी जानकारी है. और तो और विभागीय पदाधिकारियों को भी इन्होंने प्रशिक्षित नहीं किया है.

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