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तो डॉक्टर ने ही स्वीकार कर लिया गुनाह!

भागलपुर: अनुमंडल अस्पताल कहलगांव के प्रभारी के सरकारी आवास पर 17 फरवरी की सुबह हाइड्राेसिल का आपरेशन के बाद युवक की मौत हो गयी. हंगामा, बवाल के बाद डेड बॉडी का बिना पोस्टमार्टम कराये दाह संस्कार कर दिया गया. आनन-फानन में जांच टीम गठित हुई, जिसे 25 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक सप्ताह […]

भागलपुर: अनुमंडल अस्पताल कहलगांव के प्रभारी के सरकारी आवास पर 17 फरवरी की सुबह हाइड्राेसिल का आपरेशन के बाद युवक की मौत हो गयी. हंगामा, बवाल के बाद डेड बॉडी का बिना पोस्टमार्टम कराये दाह संस्कार कर दिया गया. आनन-फानन में जांच टीम गठित हुई, जिसे 25 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक सप्ताह लग गये.

चर्चाओं की माने तो अगर जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि लोकल एनेस्थिया देने के बाद इन्फेक्शन के कारण मरीज की मौत हुई तो यह बात टीम काे मालूम कैसे हुआ. अब तो लोग जांच टीम की तथाकथित जांच रिपोर्ट पर चर्चा करने लगे हैं कि आपरेशन करने वाले डॉक्टर ने अगर ये बात नहीं बतायी तो बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के जांच टीम ने कैसे जान लिया. चिकित्सकों की माने तो लोकल एनस्थिया के तहत मरीज को जाइलोकेन दिया जाता है.

इसमें शरीर का जिस हिस्से का आपरेशन किया जाता है, वहीं सुन्न हो जाता है. इसमें मौत होने का खतरा बहुत ही कम होता है. जबकि बड़े आॅपरेशन में कैटामिन संग डाइजोपॉम का डोज आइवी (इंट्रा वैस्कुलर) के जरिये दिया जाता है. इसमें एक एनेस्थेटिक्स की जरूरत होती है. हां संभव है कि लोकल एनेस्थिया देने के बाद इंन्फेक्शन से मरीज की मौत हो सकती है. लेकिन इस बात को जांच टीम को बताने वाला कौन है. बरहहाल जांच टीम के रिपोर्ट के औपचारिक रूप से खुलासे का इंतजार है. इस बाबत सीएस का कहना है कि जांच टीम की रिपोर्ट को डीएम भागलपुर एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव को भेज दी जायेगी. जैसा आदेश-निर्देश दिया जायेगा, वैसा ही कार्रवाई होगी.

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