भागलपुर : भागलपुर के जिस हवाई अड्डे के रन वे पर हवाई जहाजों को उतरना था, वहां अब बच्चे ‘रन’ लेने के लिए दौड़ते हैं. यहां परिंदा पर भी न मार सके वाली सुरक्षा होनी चाहिए की जगह टेंपो, बाइक और जानवरों की बेरोकटोक आवाजाही होती है. इसकी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार किस हद तक सतर्क हैं, इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके परिसर के अंदर ही करीब आधा दर्जन लोगों ने न केवल अपना आशियाना बना रखा है, बल्कि अपने तथाकथित दरवाजे पर गाय-भैंस भी पाल रखा है.
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हवाई अड्डे पर बना लिया आशियाना
भागलपुर : भागलपुर के जिस हवाई अड्डे के रन वे पर हवाई जहाजों को उतरना था, वहां अब बच्चे ‘रन’ लेने के लिए दौड़ते हैं. यहां परिंदा पर भी न मार सके वाली सुरक्षा होनी चाहिए की जगह टेंपो, बाइक और जानवरों की बेरोकटोक आवाजाही होती है. इसकी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार किस हद तक […]
मुख्य गेट के समीप ही घुमंतू जातियों का डेरा. एयरपोर्ट परिसर के मुख्य द्वार से जैसे ही आप अंदर प्रवेश करते हैं, वहां पर करीब ढाई दर्जन घुमंतू जातियों के लोगों ने अपना-अपना डेरा बना लिया है.
परिसर के बीचोबीच बह रहा नाला
जहां पर एयरपोर्ट का नाला बना हुआ है, उसके उत्तर-पूर्वी हिस्से (ठीक पीछे) करीब पांच फीट चौड़ा नाला बह रहा है, जो एयरपोर्ट के एक हिस्से से होकर दूसरे हिस्से की ओर बह रहा है.
बना लिया आशियाना, पाले हैं जानवर
इसी नाले के उत्तर-पूर्वी दीवाल (हटिया रोड की ओर जाने वाले रास्ते के विपरीत दिशा स्थित दीवाल) से सटे करीब आधा दर्जन लोगों ने टीनशेड से लेकर घास-फूस की झोपड़ी डाल लिया है और सपरिवार रह रहे हैं. यहीं नहीं यहीं पर ये लाेग गाय-भैंस भी पाले हुए हैं.
सबूत मिटाने के लिए नहीं कराया पोस्टमार्टम!
अनुमंडल चिकित्सालय कहलगांव के उपाधीक्षक के आवास पर 17 फरवरी की सुबह हाइड्राेसिल का आॅपरेशन करने के बाद युवक की मौत हो जाती है. परिजन से लेकर ग्रामीण तक डॉक्टर पर लापरवाहीपूर्वक आपरेशन करने का आरोप लगाते हैं. तोड़फोड़ की जाती है और छह घंटे तक हाइवे जाम भी किया जाता है. माैके पर अधिकारी व पुलिस पहुंचती भी है और मृत शरीर का बिना पोस्टमार्टम कराये ही अंतिम संस्कार करने के लिए मृतक के परिजनों को युवक का मृत शरीर दे दिया जाता है.
आखिर में सवाल यह उठता है कि छोटे-छोटे मुद्दे पर कानून के दायरे में रखने वाले प्रशासन एवं पुलिस के कानूनची आखिर पोस्टमार्टम कराये बिना क्यूं लौट आये ? चर्चाओं की मानें तो पोस्टमार्टम न कराने के पीछे का खेल लापरवाही की आखिरी सबूत को मिटाना था.
कैसे साबित होगा आरोप गलत था कि सही. जिले के सीएमओ सह सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी उपाधीक्षक डॉ हिरेंद्र कुमार सिंह काे उनके पद से हटाते हुए जांच के लिए तीन सदस्यों की एक टीम गठित कर देते हैं. इस टीम में एसीएमओ राम चंदर प्रसाद, एमओआइसी डॉ संजय कुमार व डॉ अशरफ रिजवी को रखा गया.
जांच करने के लिए गयी टीम ने तो मृतक के भाई व पत्नी व आरोपित चिकित्सक का बयान तो ले लिया, लेकिन टीम की जान सांसत में है कि आखिर कैसे साबित होगा कि डाक्टर दोषी है कि नहीं. जबकि इस पूरे मामले को निबटाये जाने में एक से बढ़कर एक कानूनची लगे हुए थे.
क्या था मामला. कहलगांव के पुराना बाजार निवासी 35 वर्षीय संजय कुमार चौधरी उर्फ सोनी अपने हाइड्रोसिल का आपरेशन कराने के लिए अनुमंडल चिकित्सालय कहलगांव के उपाधीक्षक सह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी हिरेंद्र कुमार सिंह पहुंचता है. जहां आपरेशन के बाद सोनी की मौत हो जाती है. खबर परिजनों तक पहुंची तो भीड़ ने डाक्टर हीरेंद्र के क्लिनिक पर तोड़फोड़ करते हुए दुकानों को बंद करा दिया. दोपहर बाद भीड़ ने एनएच 80 को जाम कर दिया.
देर शाम तक मृतक के परिजनों को बतौर मुआवजा 50 हजार रुपये और उसके बच्चों का भरण-पोषण का आश्वासन दिया गया. इस पूरे प्रकरण के दौरान मुकामी दारोगा हेमंत कुमार मौजूद रहे. बाद में अंचलाधिकारी कहलगांव राधा मोहन सिंह भी पहुंचे और भीड़ को समझा-बुझाकर शांत कराया.
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