भागलपुर : जिले का सदर अस्पताल कहने का सदर अस्पताल है, लेकिन सुविधा की दृष्टि से देखा जाये तो यहां पीएचसी जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल रही है. वैसे भी लोग सदर अस्पताल को रेफर अस्पताल कहना ज्यादा पसंद करते हैं. डॉक्टराें व सुविधा की कमी के कारण सिर्फ गर्भवती महिलाओं का ही इलाज होता है. सोमवार को जब प्रभात खबर की टीम सदर अस्पताल पहुंची तो जो मंजर देखा वह चौकाने वाला था.
नेत्र विभाग में पैसा ऐंठने का खेल
सदर अस्पताल के नेत्र विभाग में काफी संख्या में मरीज आंख जांच कराने आये थे. विभाग के दोनों डॉक्टर कलिमुर्रर रहमान और मनोज सिंह मरीजों के आंख जांच कर रहे थे. इसी बीच देखा कि जिन मरीजों के आंख में समस्या होती थी, उसे चश्मा के लिए 300 से 350 रुपये लिया जा रहा था. रोगी कल्याण समिति की ओर से मरीजों को कार्बन फ्रेम चश्मा 135 और मेटल फ्रेम 150 रुपये रेट अंकित था. इतना ही नहीं विभाग परिसर में ही कई प्राइवेट चश्मा दुकान के दलाल मंडरा रहे थे. डॉक्टर मरीजों से कहते थे कि चश्मा बनाकर यही से दे दिया जायेगा. आप अमुक आदमी जो वहीं पर मौजूद रहते हैं से मिल लें. मोदीपुर की शीला देवी, खिरीबांध की नसीमा, आफरीन, शहीदा आदि ने बताया कि चश्मा के नाम पर उनलोगों से 300 रुपये लिया गया है.
ओपीडी में नहीं मिले डॉक्टर
सदर अस्पताल में ओपीडी में सोमवार को डॉ विनय कृष्ण सिंह व डॉ आरके पांडे की ड्यूटी थी. डॉ आरके पांडे के नहीं रहने से ओटी डाॅ मनोज कुमार को ओपीडी में बैठा दिया गया था. जब डॉ विनय कृष्ण से पूछा कि ओपीडी में आज डॉक्टर नहीं आये हैं, ओपीडी के डाॅक्टर मरीजों को देख रहे हैं, तो बताया कि कहीं गये होंगे, जबकि कोई डॉक्टर आये ही नहीं थे. इसी प्रकार सिविल सर्जन कार्यालय में उपस्थिति बोर्ड पर अुनपस्थित शून्य और विलंब भी शून्य लिखा था, लेकिन ऑफिस के अंदर का दो टेबल छोड़ सभी टेबुल खाली पड़ा था. इसके अलावा अगर आप सदर अस्पताल में बेस फोन से किसी से संपर्क करना चाहेंगे तो नहीं हो सकेगा, क्योंकि सिविल सर्जन कार्यालय का लैंड लाइन टेलीफोन सालों से खराब पड़ा है.
प्लाइवुड शेड में ऑपरेशन थियेटर
सदर अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर देख कर आप हैरत में रह जायेंगे. सीढ़ीनुमा जगहों पर प्लाइवुड शेड में ऑपरेशन थियेटर चल रहा है. इमरजेंसी वार्ड बंद पड़ा था. सदर अस्पताल में एक्स-रे खराब पड़ा है. हां ब्लड प्रेशर जांच व इसीजी की सुविधा मरीजों को मिल रही थी. वार्ड में भरती मरीज खाली बेड पर पड़े थे, जबकि प्रतिदिन के हिसाब से बेड पर चादर देने का प्रावधान है. प्रसूता बेड के नजदीक गंदगी का अंबार मिला. गंदगी व बदबू के बीच प्रसूता का इलाज किया जा रहा था. इसके अलावा महिला शौचालय खराब पड़ा था. पुरुष शौचालय का इस्तेमाल महिलाएं करती दिखीं.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डाॅ विजय कुमार को जब इस बात की जानकारी दी तो उनका कहना था कि वे लगातार अस्पताल को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेत्र विभाग में मरीजों का चश्मा कैसे प्राइवेट दुकानदार बना रहे हैं और तय रेट से अधिक रुपये क्यों लिये जा रहे हैं, उसकी जांच करेंगे. इसके अलावा जो डॉक्टर व कर्मचारी कार्यालय से गायब थे, उनसे पूछताछ करेंगे. प्रसव वार्ड का भी दौरा कर स्थिति को दुरुस्त करेंगे. एक्स-रे चालू कराने, ब्लड बैंक, ऑपरेशन थियेटर, इमरजेंसी वार्ड आदि के निर्माण के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग को लिखा गया है.