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कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाबध्यानार्थ : सहरसा जिले के लिए भी जरूरी-महर्षि संतसेवी सा कोई शिष्य नहीं : डॉ गुरुसंवाददाता, भागलपुर महर्षि संतसेवी परमहंस की जयंती समारोह में रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा. श्रद्धालु किशनगंज, खगड़िया, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, पटना समेत दूसरे प्रांतों उत्तर […]

कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाबध्यानार्थ : सहरसा जिले के लिए भी जरूरी-महर्षि संतसेवी सा कोई शिष्य नहीं : डॉ गुरुसंवाददाता, भागलपुर महर्षि संतसेवी परमहंस की जयंती समारोह में रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा. श्रद्धालु किशनगंज, खगड़िया, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, पटना समेत दूसरे प्रांतों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, झारखंड के भी श्रद्धालु आये थे. आश्रम परिसर में बच्चे, बूढ़े, जवान व महिलाओं ने आकर महर्षि मेंहीं व महर्षि संतसेवी महाराज के समाधि स्थल पर जाकर आशीर्वाद लिया. ब्रह्म मुहूर्त तीन से चार बजे तक ध्यानाभ्यास हुआ. प्रात: छह बजे स्तुति प्रार्थना, ग्रंथपाठ व आरती हुई. आठ बजे पुष्पांजलि व प्रसाद वितरण हुआ. श्रद्धालुओं ने भंडारा में किया प्रसाद ग्रहणहजारों श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी का भंडारा हुआ. पंक्ति में बैठ कर श्रद्धालु भंडारा में प्रसाद ग्रहण किये. दिनभर श्रद्धालुओं के आने-जाने का सिलसिला चलता रहा और दिनभर भंडारा होता रहा. शाम को दाल, भात और सब्जी का भंडारा हुआ. बाहर से आये हजारों श्रद्धालुओं के लिए आश्रम परिसर में ठहरने की व्यवस्था की गयी थी. मेला सा दिखा माहौलजयंती समारोह को लेकर आश्रम के आसपास के क्षेत्रों में खिलौने, चाट-पकौड़े, फल-प्रसाद आदि की दुकानें सजायी गयी थी. आश्रम परिसर में फूल और महर्षि मेंहीं साहित्य के स्टॉल लगाये गये थे. यहां पर श्रद्धालुओं ने संतसेवी महाराज व महर्षि मेंहीं महाराज की फोटो व पुस्तकें खरीदी, लेकिन संतों के चित्र के साथ नववर्ष कलेंडर लेने वाले लोगों की संख्या अधिक दिखी. चारों ओर मेला सा नजारा था. महर्षि संतसेवी परमहंस महाराज की जयंती पर प्रवचन कुप्पाघाट स्थित सत्संग हॉल में हुआ. प्रवचन की शुरुआत संजीवानंद बाबा ने की. शांति संदेश पत्रिका के संपादक डॉ गुरु प्रसाद बाबा ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि संतों के इतिहास में महर्षि संतसेवी सा कोई शिष्य नहीं, जिन्होंने इतने दिनों तक गुरु की सेवा में रत रहे. महर्षि संतसेवी महाराज नहीं होते, तो सद्गुरु महर्षि मेंहीं का संदेश हमलोगों को नहीं मिलता. स्वामी सत्य प्रकाश ने कहा कि महर्षि संतसेवी जीवन की खुली पुस्तक थे. वह पुस्तकालय थे, उनके ज्ञान का कोई ओर-छोर नहीं था. पंजाब के स्वामी रामजी ने कहा कि सद्गुरु महर्षि मेंहीं महाराज महर्षि संतसेवी को बोले थे कि जहां मैं रहूंगा, वहां आप रहेंगे. स्वामी प्रमोद बाबा ने कहा कि संसार में अगर संत नहीं होते, तो संसार का कल्याण नहीं होता. संत किसी मजहब के नहीं होते. महर्षि संतसेवी सभी धर्म के लोगों में लोकप्रिय थे. स्वामी नंदन, स्वामी नरेशानंद, स्वामी कमलानन्द ने भी महर्षि संतसेवी महाराज की महिमा का बखान किया. गुरुसेवी स्वामी भगीरथ बाबा ने कहा कि साधक का जीवन संयमित होना चाहिए. उत्तम आचरण से ही मानव का जीवन समुज्जवल बनता है. सदाचारी अलौकिक शक्ति संपन्न होते हैं. सदाचारी मर कर भी अमर होते हैं. वैसे ही महर्षि संत सेवी सदाचारी थे, जो अमर हैं. 105वां वार्षिक महाधिवेशन 12 मार्च सेआश्रम प्रवक्ता डॉ गुरु प्रसाद बाबा ने बताया कि अखिल भारतीय संतमत-सत्संग महासभा की ओर से 105वां वार्षिक महाधिवेशन सहरसा जिले के सौर प्रखंड अंतर्गत महुआ बाजार में 12,13 व 14 मार्च को होगा.

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