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जब भागलपुर की महिलाओं ने उखाड़ फेंकी थी शराब की दुकान

जब भागलपुर की महिलाओं ने उखाड़ फेंकी थी शराब की दुकान-परबत्ती में लंबे दिनों तक चला था शराब की दुकान हटाने का आंदोलन-आंदोलन में जुड़ गयी थी 250 से अधिक महिलाएंफोटो नंबर : छोटू दीपक राव, भागलपुरबिहार सरकार की ओर से शराब को प्रतिबंधित करने की घोषणा से जहां हरेक ओर खुशी है, तो परबत्ती […]

जब भागलपुर की महिलाओं ने उखाड़ फेंकी थी शराब की दुकान-परबत्ती में लंबे दिनों तक चला था शराब की दुकान हटाने का आंदोलन-आंदोलन में जुड़ गयी थी 250 से अधिक महिलाएंफोटो नंबर : छोटू दीपक राव, भागलपुरबिहार सरकार की ओर से शराब को प्रतिबंधित करने की घोषणा से जहां हरेक ओर खुशी है, तो परबत्ती की महिलाओं व प्रबुद्ध जनों में आशा की नयी किरण दिख रही है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनके आंदोलन का ही नतीजा है कि पूरे प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. छह वर्ष पहले परबत्ती में शुरु हुए आंदोलन के कारण पांच हजार की आबादी वाले परबत्ती में छोटी-छोटी कई दुकानें बंद हो गयी थी. इतना ही नहीं एक बड़ी दुकान भी उनके आंदोलन के दवाब में कुछ दिनों तक ही सही, ताला लग गया था. इतना ही नहीं खुद पूर्व मंत्री सह तत्कालीन नगर विधायक अश्विनी चौबे व डिप्टी मेयर डॉ प्रीति शेखर को यहां आकर महिलाओं का अनशन तोड़वाना पड़ा. इसके बाद कुछ दिनों तक शराब की दुकान बंद भी रही, लेकिन नियम में ढील पड़ने पर पुन: खुल गयी.नहीं उठ पा रहा है जीवन स्तरछह वर्ष पहले संजय कुमार दास ने शराबबंदी आंदोलन की शुरुआत की. इसके बाद आंदोलन से प्रमिला देवी जुड़ी और फिर एक के बाद एक महिलाएं जुड़ती चली गयीं और यह काफिला 250 की संख्या से भी आगे निकल गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के लोगों का जीवन स्तर इस शराब दुकान व कलाली के कारण नहीं उठ पा रहा है. इसका मूल कारण शराब दुकान व कलाली गली है. परबत्ती के पास ही कई जिलों का शैक्षणिक केंद्र विश्वविद्यालय व देश स्तर का संस्थान टीएनबी कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज व अन्य स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थान होने के बाद भी यहां के बच्चों में शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं होना यहां के प्रबुद्ध जनों को कचोटता रहता. यहां के लोग वर्षों से पिछड़े ही बने रहे.कब-कब चला आंदोलनपरबत्ती में पहली बार छह वर्ष पहले संजय कुमार दास के नेतृत्व में आंदोलन हुआ. इसके बाद तीन वर्ष पहले प्रमिला देवी के नेतृत्व में आंदोलन हुआ. इसमें यहां के युवाओं ने साइकिल जुलूस निकाला, पुतला दहन आदि कार्यक्रम चलाया. दो वर्ष पहले ठंड के दिनों में महिलाओं ने सामूहिक अनशन किया, जो लगातार 10 दिनों तक चला. जिद पर अड़ी महिलाओं को अनशन तोड़वाने के लिए तत्कालीन विधायक सह वर्तमान बक्सर सांसद अश्विनी चौबे एवं डिप्टी मेयर प्रीति शेखर को आगे आना पड़ा. उस समय शराब दुकान को बंद करना पड़ा था. पांच हजार की आबादी है पीड़ितपरबत्ती में शराब दुकान व कलाली गली में शराबखोरी से पांच हजार की आबादी सीधे रूप से पीड़ित है. लोगों का कहना है कि इसमें खासकर यहां की महिलाएं अधिक परेशान होती थी. हर समय गाली-गलौज, मारपीट आदि का माहौल रहता था. आंदोलन के बाद बहुत हद तक ऐसी घटनाओं पर रोक लगी है. बावजूद इसके घरेलू कलह कम नहीं हुआ है. मिला था सहयोगशराबबंदी के इस आंदोलन में निषाद सुधार समिति, काली पूजा समिति, दुर्गा पूजा समिति समेत नाथनगर व शहर के विभिन्न संगठनों का समर्थन मिला था. धीरे-धीरे आंदोलन का रुख बढ़ता ही जा रहा था. बीच में नेताओं के हस्तक्षेप पर आंदोलन रोकना पड़ा. प्रबुद्ध व आंदोलनकारी महिलाओं की प्रतिक्रियापरबत्ती व आसपास का मुहल्ला गरीब व पिछड़े लोगों का है. महिलाएं व बच्चों को इस शराबखोरी से अधिक परेशान होना पड़ता है. परिवार के मुखिया 75 फीसदी कमाई शराबखोरी में उड़ा देते हैं. यहां पर आकर बाहर के बच्चे पढ़-लिख कर बड़े लोग बन रहे हैं. यहां के अधिकतर बच्चे पिछड़े ही रह जाते हैं. प्रशासन की मिलीभगत से फिर से शराब दुकान खुल गयी है.महेश दास, संरक्षक, परबत्ती दुर्गा पूजा समिति———-महुआ शराब की दुकान बंद हो गयी है. एक बंद हुई दुकान फिर से खुल गयी है. शराब की दुकान से अधिकतर महिलाएं ही परेशान रहती है. घर की जिम्मेवारी हो या बच्चों की परवरिश महिलाओं को ही करना पड़ता है. राज्य सरकार द्वारा जारी घोषणा स्वागत योग्य है. अब तो दुकान निश्चित बंद हो जायेगी.प्रमिला देवी, आंदोलन का नेतृत्वकारी——–शराबबंदी को लेकर 250 महिलाओं को एकजुट किया था. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय का भी समर्थन मिला था. ठंड के दिन भी सड़क किनारे अनशन पर बैठे थे. शराब दुकान को बंद करा कर जीत हासिल की थी, लेकिन फिर से एक दुकान खुल गयी है. अब पहले जैसा हंगामा और असामाजिक तत्वों का जुटान नहीं होता है.रजनी देवी, आंदोलन में शामिल महिला

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