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अंगुली में डंसले बिया नगनियां रे ननदी से लूट ली महफिल

अंगुली में डंसले बिया नगनियां रे ननदी से लूट ली महफिलअलविदा भागलपुर महोत्सव अगले साल फिर मिलेंगे !-भागलपुर महोत्सव के अंतिम शाम रही भोजपुर गायिका वर्षा तिवारी के नामसंवाददाता, भागलपुरभागलपुर महोत्सव की आखिरी शाम भोजपुरी गायिका वर्षा तिवारी के गीतों के नाम रहा. अपनी दो घंटे की प्रस्तुति में वर्षा तिवारी ने एक से बढ़कर […]

अंगुली में डंसले बिया नगनियां रे ननदी से लूट ली महफिलअलविदा भागलपुर महोत्सव अगले साल फिर मिलेंगे !-भागलपुर महोत्सव के अंतिम शाम रही भोजपुर गायिका वर्षा तिवारी के नामसंवाददाता, भागलपुरभागलपुर महोत्सव की आखिरी शाम भोजपुरी गायिका वर्षा तिवारी के गीतों के नाम रहा. अपनी दो घंटे की प्रस्तुति में वर्षा तिवारी ने एक से बढ़कर एक भोजपुरी गीतों की प्रस्तुति दी. इस दौरान बाहर कोहरे में रात लिपट रहीं थी तो अंदर पंडाल में वर्षा के गीत की बारिश में दर्शक भींग रहे थे. वर्षा के गीतों का खुमार दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा था. वर्षा को नजदीक से सुनने-देखने के लिए दर्शक इस कदर बेताब थे कि वह पंडाल में लगे हर बैरियर को हटाने पर आमादा थे. सही मायने में पुलिस-प्रशासन के समक्ष वर्षा तिवारी के दीवानों से निबटने का दिन आज ही था. अपनी गीतों का सफर वर्षा तिवारी ने मां की स्तुति जा ताड़ा बजरिया जन भुलहिया से पिया से की. इसके बाद उन्होंने दो और दुर्गा माई के देखली ह और दुअरिया देवी माई पुजरिया नाचे लागल गाकर माहौल को भक्ति के रंग में रंग दिया. इसके बाद वर्षा ने अपना चिर-परिचित तकिया कलाम ‘क्या बात है’ बोला तो दर्शक ने ताली बजाकर स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने कहां बितउला ना तु रतिया कहां बितउला ना गाया तो भीड़ के सिर पर वर्षा की खुमारी चढ़ गयी. अब दर्शकों के और भी बेताब होने का पल था. जब वर्षा तिवारी ने ‘कमर में उठे दरदिया तनी, हरदिया मला ए रजऊ’ सुनाया तो दर्शक झूम उठे. इसके बाद वर्षा ने ट्रैक बदला और जइसन सोंचले रहिली पिया ओइसन पियवा मोर बा सुना कर खूब तालियां बटोरी. इसके बाद वर्षा तिवारी ने हिंदी फीचर फिल्म पर आधारित पैरोडी गीत सुनाकर पंडाल में मौजूद दर्शकों को अपने सुरों का दिवाना बना लिया. पैरोडी गीत के बाद एक बार फिर वर्षा तिवारी भोजपुरी के ट्रैक पर पहुंची. अब दर्शक आनंद के सांतवें आसमान पर थे. इस दौरान पंडाल में अपने पसंद की गीत की फरमाइश के लिए शोर और तालियाें की गड़गड़ाहट सुनायी दे रही थी. भाेजपुरी गीत चोख लागे समान दादा के बाद वर्षा ने जब ‘अंगुली में डंसले बिया नगनियां रे ननदी’ गाया तो पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इसके बाद वर्षा ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन चैता, कजरी गीतों की श्रृंखला पेश की जिसमें डूबे दर्शकों को पता ही नहीं चला कि कब कार्यक्रम के समापन की बेला आ पहुंची.

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