कागज पर एनएच, हकीकत में पगडंडी कहलगांव से मिरजाचौकी : नयी सरकार से उम्मीद, दुरुस्त होगी सड़क तो बेहतर होगा आवागमन-खराब सड़क से एनटीपीसी भी परेशान, बिजली उत्पादन पर भी पड़ता असर-विक्रमशिला आने वाले कोसते हैं अधिकारियों को, कीचड़ में चलने की बनी है मजबूरी संवाददाता, भागलपुरकहलगांव से मिरजाचौकी तक राष्ट्रीय उच्चमार्ग केवल कागज पर रह गया है. हकीकत में यह पगडंडी बना है. इसी जर्जर और पगडंडीनुमा सड़क से रोजाना अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सक, चिकित्सा विभाग के कई वरीय पदाधिकारी, अनुमंडल कार्यालय, डीएसपी कार्यालय के के संबंधित पदाधिकारी भी जाते हैं. यही नहीं, इस जर्जर सड़क से लोग इलाज कराने अनुमंडलीय अस्पताल सहित अन्य चिकित्सक जाते हैं. अक्सर रोगी लेकर जाने वाले रिक्शा, ऑटो चालक व एंबुलेंस भी दुर्घटना का शिकार होते हैं. चार चक्का के अलावा बाइक व साइकिल सवार लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मगर इस जर्जर मार्ग से लग्जरी वाहन से गुजरने वाले अधिकारियों की निगाह इस ओर नहीं जा रही है. कुछ किमी छोड़ कर सड़क का निर्माण केवल कागज पर ही होता रहा है. भैना पुल के बाद से मिरजाचौकी के बीच सड़क ही नहीं है, जिससे आसपास के लोग और एनटीपीसी भी जूझने काे विवश हैं. खराब सड़क के कारण कभी-कभी बिजली उत्पादन पर भी असर पड़ता है. इस बात को एनटीपीसी के समूह महाप्रबंधक भी स्वीकार कर चुके हैं. सैलानी भी जब कहलगांव आते हैं, तो उनकी परेशानी बढ़ जाती है. इसका खराब असर पर्यटन उद्योग पर भी पड़ रहा है. फिर भी विभाग बेफिक्र हैं और जनप्रतिनिधि खामोश हैं. दरअसल, कहलगांव से मिरजाचौकी के बीच कागज पर सड़क का पोजीशन बेहतर दर्शाया गया है. वास्तविक स्थिति यह है कि सड़क जर्जर है. रमजानीपुर से पीरपैंती के बीच सड़क बनी नहीं है. भैना पुल से कहलगांव बाजार और मथुरापुर के पास सड़क सबसे ज्यादा खराब है. पक्कीसराय और रमजानीपुर के बीच भी अबतक सड़क ही नहीं बनी है. कुल मिला सड़क बनाने के प्रति विभाग से लेकर मंत्री तक गंभीर नहीं रहे हैं. नयी सरकार से अब उम्मीद बनी है कि सड़क दुरुस्त होगी और आवागमन बेहतर हो सकेगा. रमजानीपुर -मिरजाचौकी : दोबारा नहीं अपनायी गयी टेंडर की प्रक्रिया रमजानीपुर से मिरजाचौकी तक 24 किमी लंबी सड़क के मजबूतीकरण कार्य होना है. इसको लेकर टेंडर की प्रक्रिया अपनायी गयी, मगर किसी भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं डाला था, जिससे विभाग ने यह कह कर टेंडर रद्द किया गया था कि दोबारा टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जायेगी. लगभग दो माह बीत चुका है. इसके बावजूद दोबारा टेंडर नहीं निकाला गया है और न ही इसकी कोई प्रक्रिया अपनायी गयी है. मालूम हो कि पहले चरण में रमजानीपुर से पीरपैंती और दूसरे चरण में पीरपैंती से मिरजाचौकी के बीच सड़क मरम्मत होनी है. रमजानीपुर से पीरपैंती तक मरम्मत पर 1.47 करोड़ एवं पीरपैंती से मिरजाचौकी तक मरम्मत पर 2.88 करोड़ लागत तय की गयी है.पीरपैंती-मिरजाचौकी मार्ग : स्वीकृति राशि से 1.61 करोड़ ज्यादा खर्च लगभग पांच साल पहले पीरपैंती से मिरजाचौकी के बीच लगभग 10 किमी लंबी सड़क बनी है. निर्माण कार्य के दौरान विभाग ने ठेकेदार को स्वीकृत राशि 9.95 करोड़ से करीब 1.61 करोड़ ज्यादा भुगतान कर दिया है. यानी, सड़क निर्माण कार्य पर 11.56 करोड़ का बिल भुगतान किया है. दिलचस्प बात यह है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी ने निर्धारित समय से एक माह पहले सड़क बना कर तैयार कर ली थी. जबकि वास्तविक स्थिति यह थी कि सड़क अधूरा ही थी. अब स्थिति यह है सड़क है ही नहीं. पक्कीसराय से रमजानीपुर (13 किमी) : पांच साल बाद भी अधूरी, टेंडर की तैयारी पक्कीसराय से रमजानीपुर के बीच सड़क पांच साल बाद भी बन कर तैयार नहीं हो सकी है. योजना अधूरी है. इस 13 किमी लंबी सड़क में जगह-जगह निर्माण का कार्य होना बाकी है और कांट्रैक्टर को 7.25 करोड़ रुपये का बिल भुगतान हो गया है. निर्धारित तिथि वर्ष 2010 के जून से लगभग डेढ़ पांच साल ज्यादा बीत चुका है और अबतक सड़क नहीं बन सकी है. इंगलिश फरका के पास टूटी सड़क के कारण योजना काे रिवाइज किया गया. जिसके तहत टूटी सड़क समेत पक्कीसराय से रमजानीपुर के बीच 12 करोड़ की लागत से सड़क बननी थी. मगर नहीं बन सकी है और अब दोबारा टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जायेगी. रमजानीपुर से पीरपैंती (14 किमी) : बिना सड़क बने भुगतान 7.25 करोड़रमजानीपुर से पीरपैंती के बीच सड़क बनी नहीं और कांट्रैक्टर को 7.25 करोड़ रुपये का बिल भुगतान हो गया है. कांट्रैक्टर को बिल भुगतान इस साल हुआ है. पिछले साल तक करीब 4.54 करोड़ तक का बिल भुगतान हुआ था. निर्धारित तिथि वर्ष 2013 के जुलाई से डेढ़ साल ज्यादा बीत चुका है. निर्माण के नाम पर केवल आठ किमी डब्ल्यूएमएम, छह किमी बिटुमिनस, 453 मीटर में पीसी व अन्य काम ही हो सका है. यह भी धरातल पर नहीं दिख रही है. मालूम हो कि सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत राशि 8.60 करोड़ है. अब कहा जा रहा है कि फिर से टेंडर होगा. प्राक्कलन तैयार कर भेजा गया है. बॉक्स मैटर नहीं हो सका है अपग्रेडेशन का कामघोरघट से मिरजाचौकी के बीच लगभग 97 किमी लंबी इस मार्ग को नेशनल हाइवे का दर्जा मिलने से करीब दो दशक बीत चुके हैं. बावजूद सड़क का अपग्रेडेशन नहीं हो सका है. इस मार्ग पर 19.90 किमी तक 3.75 मीटर, 47.80 किमी तक 5.5 मीटर एवं 29.30 किमी तक सात मीटर चौड़ी सड़क है. जबकि नेशनल हाइवे होने के कारण सड़क की चौड़ाई 10 मीटर होनी चाहिए. बॉक्स मैटर जेल रोड : फिर से बनेगा रोडजेल रोड की सड़क काफी जर्जर हो चुकी है, जो फिर से नये सिरे से बनेगी. पीसीसी जहां से खत्म होती है, वहां से जीरोमाइल तक सड़क बनेगी. मंत्रालय की टीम वास्तविक स्थिति को देख सड़क बनाने की मंजूरी दी है. सड़क पहले जैसी ही कोलतार से बनेगी. सड़क की चौड़ाई भी पहले जैसी टू-लेन ही रहेगी. इस साल के अंत तक टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जायेगी. वास्तविक स्थिति यह है कि सड़क गड्ढों में तब्दील है. बारिश ने सड़क को और भी खस्ताहाल बना दिया है. बारिश से पहले भी इस रोड से आना-जाना कोई जंग लड़ने से कम नहीं था. खास कर हवाई अड्डा के समीप की सड़क गड्ढे में तब्दील है. इस रास्ते से गुजरने वाले छोटे-बड़े वाहन से स्थानीय लोगों को काफी कठिनाई का सामना रोजाना करना पड़ रहा है. मालूम हो कि इस सड़क के निर्माण पर 10.50 करोड़ लागत आयी थी.
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