14 मंजिला होगा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल- 200 करोड़ से होगा भागलपुर में सुपर स्पेशिएलिटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निर्माण – 100 सीटों की जगह अब 250 सीटों का बनेगा सुपर स्पेशिएलिटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल – पूर्वी बिहार में सुपर स्पेशिलिटी की सुविधा नहीं, जाना पड़ता है पटना, दिल्ली, सिलीगुड़ी व कोलकाता संवाददाता,भागलपुर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अपग्रेड कर सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल बनाया जाना है. मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डॉ अर्जुन कुमार सिंह ने बताया कि इसके लिए जगह का चयन माउंट कार्मेल स्कूल के नजदीक कर लिया गया है. डीपीआर बनाकर भी भेजा जा चुका है. सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के लिए 14 मंजिला भवन बनेगा. इस भवन में ही मेडिकल कॉलेज और मेडिकल अस्पताल शिफ्ट हो जायेगा. प्राचार्य ने कहा कि 200 करोड़ रुपये से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में सुपर स्पेशिएलिटी की सुविधा उपलब्ध होने से अंग जनपद के लोगों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली, पटना, सिलीगुड़ी व कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा. वैसे इसे पांच साल के अंदर बनाया जाना है. अब नयी सरकार गठित हो चुकी है, उम्मीद है कि जल्द ही सुपर स्पेशिलिएटी अस्पताल निर्माण की दिशा में काम शुरू होगा. प्लास्टिक सर्जरी, कैंसर व हृदय रोग के इलाज के अलावा एमआरआइ व ट्रॉमा सेंटर की भी होगी सुविधाआज भागलपुर मेडिकल कॉलेज में पूर्वी बिहार के 10-12 जिले के अलावा झारखंड जिले के भी कई जिले के मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में इस्टर्न बिहार में पटना व दिल्ली की एम्स अस्पताल की तर्ज पर सुपर स्पेसिएलिटी चिकित्सा सुविधा को विकसित हो जायेगा. आजकल लोगों में हार्ट अटैक का खतरा तेजी से बढ़ा है, ऐसे में अलग से कार्डियालॉजी विभाग, किडनी विभाग, न्यूरालॉजी विभाग, प्लास्टिक सर्जरी विभाग, आइसीयू विभाग, ट्रॉमा सेंटर, एमआरआई आदि महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. नहीं रहेगा डॉक्टरों का टोटासर्जरी विभाग, बर्न विभाग, गायनी विभाग, पैथोलॉजी टेस्ट, बायोप्सी जांच आदि का अपग्रेडेशन हो सकेगा. वर्तमान समय में इन विभागों की हालत ठीक नहीं है. डॉक्टरों का कहना है कि आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन अस्पताल के गायनी विभाग में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. डॉक्टरों का भारी टोटा है. सबसे बड़ी बात यह होगी कि आज मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी टेस्ट पर मरीजों को भरोसा नहीं होता है. डाेयन पैथोलॉली में मरीज जांच कराना नहीं चाहते हैं. ऐसे में इन विभागों का अपग्रेड हो जाने से जांच रिपोर्ट विश्वसनीय के साथ-साथ हाइटेक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. रिसर्च विंग व लाइब्रेरी भी होगा अपग्रेड मेडिकल कॉलेज में फिलहाल 25 प्रतिशत ही मेडिकल प्रोफेसर हैं. कुल 200 के स्ट्रेंथ में मात्र 46 ही उपलब्ध हैं. महत्वपूर्ण विभाग गायनी में एक भी प्रोफेसर नहीं हैं. मेडिकल छात्रों को पढ़ाने के लिए पटना से प्रोफेसर आते हैं. मेडिकल कॉलेज में 9 विभागों में पीजी की पढ़ाई होती है. फिलहाल रिसर्च विंग नहीं रहने से रिसर्च का काम ठप है. इतना ही नहीं लाइब्रेरी में देश व विदेश की बेहतर जर्नल नहीं आती है. रिसर्च व लाइब्रेरी दोनों में अपग्रेड हो सकेगा.
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14 मंजिला होगा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल
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