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प्रोन्नति मामले में शक्षिकों में उबाल, डीपीओ को घेरा

प्रोन्नति मामले में शिक्षकाें में उबाल, डीपीओ को घेराफोटो : मनोज-प्रोन्नति कमेटी के निर्णय के खिलाफ शिक्षक संगठन तनेसंवाददाता, भागलपुरप्रोन्नति के लिए शिक्षकों की काउंसेलिंग दो बैच में की गयी और सूची भी बन गयी. लेकिन प्रोन्नति समिति ने सिर्फ एक ही बैच के शिक्षकों को प्रोन्नति देने का फरमान सुनाया, जिससे करीब 250 शिक्षकों […]

प्रोन्नति मामले में शिक्षकाें में उबाल, डीपीओ को घेराफोटो : मनोज-प्रोन्नति कमेटी के निर्णय के खिलाफ शिक्षक संगठन तनेसंवाददाता, भागलपुरप्रोन्नति के लिए शिक्षकों की काउंसेलिंग दो बैच में की गयी और सूची भी बन गयी. लेकिन प्रोन्नति समिति ने सिर्फ एक ही बैच के शिक्षकों को प्रोन्नति देने का फरमान सुनाया, जिससे करीब 250 शिक्षकों का प्रधानाध्यापक बनने का सपना टूट गया. इसी फैसले से आक्रोशित शिक्षकों ने शनिवार को स्थापना शाखा के डीपीओ का घेराव मोक्षदा बालिका विद्यालय में किया. समिति के इस निर्णय की आलोचना करते हुए शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया. प्रोन्नति मामले की हकीकत जानने के लिए जिला प्राथमिक शिक्षक संघ और बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी व शिक्षक शनिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय पहुंचे. यहां पर डीइओ व डीपीओ स्थापना को नदारद पाकर शिक्षक संगठन डीपीओ स्थापना के आवास पर गये. दोपहर करीब एक बजे शिक्षक संगठन से जुड़े लाेग व शिक्षक मोक्षदा बालिका विद्यालय में मौजूद डीपीओ स्थापना ज्योति कुमार का घेराव कर प्रोन्नति मामले में उनका पक्ष जाना. यहां पर डीपीओ स्थापना श्री कुमार ने कहा कि प्रोन्नति मामले में समिति द्वारा लिया गया फैसला ही मान्य होगा. इसके बाद शिक्षक संगठन के लोगों ने डीइओ फूलबाबू चौधरी से दूरभाष पर बात की. श्री चौधरी ने व्यस्तता का हवाला देकर मिलने में असर्थता जतायी. इस दौरान शिक्षक नेता राणा कुमार झा, मुकेश आनंद, श्याम नंदन सिंह, अशोक कुमार गुप्ता, श्याम रविदास, अशोक कुमार यादव, पंकज शर्मा, राजकिशोर ठाकुर समेत करीब 200 शिक्षक मौजूद थे.क्या है मामला मई 2012 में बिहार प्राथमिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2010 तक ऐसे शिक्षकों को प्रोन्नत कर प्रधानाध्यापक बनाने का फैसला लिया जिन्होंने 31 दिसंबर 2011 तक स्नातक या परास्नातक की डिग्री हासिल की है. इसके तहत भागलपुर जिले के 280 (स्नातक के 173 व परास्नातक के 107) शिक्षकों को प्रोन्नति दी गयी. यह मामला हाईकोर्ट में गया, तो कोर्ट ने 15 दिन बाद ही इस निर्णय को रद्द कर दिया. हाइकोर्ट ने 2014 में फैसला सुनाया कि जिन शिक्षकों ने 31 दिसंबर 2011 तक परास्नातक की डिग्री हासिल की है, उनकाे प्रोन्नति दी जाये. इसी बीच कोर्ट के इस फैसले के पूर्व ( 31 दिसंबर 2012) एक और बैच बनाकर करीब 500 शिक्षकों को प्रोन्नति दे दी गयी. शिक्षक नेता मुकेश आनंद का कहना है कि डीपीओ स्थापना ने प्रोन्नति को लेकर वर्ष 2010 व 2012 बैच को मिलाकर करीब 316 शिक्षकों की सूची बनायी थी. प्रोन्नति का आधार वर्ष 31 दिसंबर 2013 रखा गया था जिसके तहत शिक्षकों की काउंसेलिंग भी हुई थी. इसके बावजूद 31 दिसंबर 2011 को आधार मानकर करीब 65 शिक्षकों को प्रोन्नति दी गयी है.अनधिकृत दो लोगों ने समिति को बरगला दिया : श्याम नंदनबिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव श्याम नंदन सिंह ने आरोप लगाया कि प्रोन्नति समिति की बैठक में दो लोग अनधिकृत रूप से शामिल हुए. इन दोनाें ने समिति के लोगों को बरगलाकर समिति से गलत निर्णय दिला दिया जिससे शिक्षकों का अहित हो गया. समिति के लोगों को इन दोनों का नाम सार्वजनिक करना चाहिए. डीपीओ स्थापना-डीइओ की आपसी लड़ाई में हुआ शिक्षकों का नुकसान : मुकेशजिला प्राथमिक शिक्षक संघ के सचिव मुकेश आनंद ने कमेटी को अगर 2010 बैच के लोगों की भर्ती करनी थी तो फिर 2012 बैच से जुड़े शिक्षकों का प्रोन्नति के लिए काउंसेलिंग क्यों करायी गयी. श्री आनंद ने मांग की कि प्रधान सचिव के पत्रांक संख्या 697 के आधार पर ही शिक्षकाें को प्रोन्नति दी जाये. डीपीओ स्थापना ज्याेति कुमार व डीइओ फूलबाबू चौधरी अपनी-अपनी व्यक्तिगत लड़ाई में शिक्षकों का अहित कर रहे हैं. हक के लिए सड़क से कोर्ट तक लड़ेंगे शिक्षक : राना झाजिला प्राथमिक शिक्षक संघ के संगठन प्रभारी राना कुमार झा ने कहा कि 23 नवंबर को संगठन, निदेशक, प्राथमिक शिक्षक संघ बिहार से मुलाकात करने के लिए पटना जायेगा और प्रधान सचिव प्राथमिक शिक्षा बिहार के आदेश का अनुपालन न करने की शिकायत करेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षकों का हक नहीं दिया गया तो आगे संगठन सड़क से लेकर कोर्ट तक हक की लड़ाई लड़ेगा. संगठन में दरार, कमेटी का निर्णय सर्वमान्य : डीपीओ स्थापनाडीपीओ स्थापना ज्योति कुमार ने कहा कि शिक्षक संगठनों में दरार है, इसलिए अलग-अलग बातें सुनने को मिल रही हैं. डीइओ से मिली सलाह के अनुसार ही उन्होंने काम किया और सूची बनाकर कमेटी की बैठक में सौंप दी. जो मुझे उचित लगा किया और कमेटी को जैसा ठीक लगा निर्णय लिया. कमेटी का निर्णय ही सर्वमान्य होगा. जिसको जहां जाना है जाएं.

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