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अब तक जिले में चौथी बार क्लीन स्वीप

अब तक जिले में चौथी बार क्लीन स्वीप-सन 1951,1962 व 1980 में कांग्रेस ने अपने बूते भागलपुर जिले की सभी सीटोें पर जीत हासिल की थी तो 2015 में गंठबंधन के प्रत्याशियों ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दियासंवाददाता, भागलपुरबिहार विधान सभा 2015 के चुनाव में गंठबंधन ने एक तरफ बड़ी जीत हासिल की है […]

अब तक जिले में चौथी बार क्लीन स्वीप-सन 1951,1962 व 1980 में कांग्रेस ने अपने बूते भागलपुर जिले की सभी सीटोें पर जीत हासिल की थी तो 2015 में गंठबंधन के प्रत्याशियों ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दियासंवाददाता, भागलपुरबिहार विधान सभा 2015 के चुनाव में गंठबंधन ने एक तरफ बड़ी जीत हासिल की है तो भागलपुर जिले में एक ऐसा रिकार्ड बनाया है जो भविष्य में शायद ही टूट सके. सूबे में हुए पहले विधान सभा चुनाव(सन् 1951) में कांग्रेस ने जिले के सभी विधान सभा सीट को अपने कब्जे में किया था. फिर यही कारनामा कांग्रेस ने दूसरी बार 1962 व तीसरी बार 1980 में दोहराया. इसके बाद यह कारनामा करने में कोई भी पार्टी या गठजोड़ ने कामयाबी नहीं पायी. लेकिन इस बार विधान सभा चुनाव में गंठबंधन की एेसी आंधी चली कि भागलपुर जिले के सभी सीटों पर गंठबंधन(राजद, जद यू और कांग्रेस) प्रत्याशियों ने एनडीए प्रत्याशियाें का सूपड़ा साफ कर दिया. 1951 में कांग्रेस ने भागलपुर जिले की सभी छह सीटों पर जीत हासिल की जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: भागलपुर शहर से सत्येंद्र नारायण अग्रवाल, बिहपुर से कुमार रघुनंदन प्रसाद, पीरपैंती से सियाराम सिंह, कहलगांव से रामजनम महतो, भागलपुर मुफस्सिल से सैय्यद मकबूल अहमद, सुल्तानगंज से रास बिहार लाल ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 1957 के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी व कांग्रेस ने तीन-तीन सीट जीती. 1962 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार जिले के सभी छह सीटे अपने पाले में कर लिया. कांग्रेस प्रत्याशियों ने क्रमश: भागलपुर विधान सभा से सत्येंद्र नारायण मंडल, बिहपुर से सुखदेव चौधरी, गोपालपुर से माया देवी, पीरपैंती से बैकुंठ राम, कहलगांव से सैय्यद मकबूल अहमद तथा सुल्तानगंज से देवी प्रसाद महतो ने जीत हासिल की थी. 1967 में हुए विधान सभा चुनाव में भारतीय जनसंघ व कम्युनिस्ट पार्टी ने दो-दो, सीपीआइ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी व कांग्रेस ने एक-एक सीट जीती. 1969 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने चार, भारतीय जनसंघ ने दो तथा कम्युनिस्ट पार्टी ने एक सीटी जीती. 1972 में कांग्रेस ने पांच व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय जनसंघ ने एक-एक सीट जीता. देश में लगे आपातकाल के बाद 1977 में जब बिहार में विधान सभा हुआ जिसमें सभी पार्टियों ने मिलकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा. बावजूद जिले से तत्कालीन एक हुए विरोधी पार्टियां कांग्रेस का सूपड़ा साफ नहीं कर सकी. इस चुनाव में सात में तीन विधान सीट पर जनता पार्टी व कम्युनिस्ट पार्टी ने तीन-तीन सीट जबकि एक सीट(कहलगांव से सदानंद सिंह) पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1980 में पुन: विधान सभा चुनाव हुआ और एक बार फिर कांग्रेस ने क्लीन स्वीप करते हुए जिले की सभी सात विधान सीट अपने कब्जे में कर ली. 1985 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच तथा निर्दल एवं लोक दल ने एक-एक सीट हासिल किया. 1990 में जनता दल ने तीन, भाजपा ने दो तथा जनता पार्टी एवं कम्युनिस्ट पार्टी ने एक-एक सीट जीता. 1995 में जनता दल की आंधी चली और इसने जिले की पांच सीट अपने कब्जे में कर लिया जबकि एक-एक सीट भाजपा व कम्युनिस्ट पार्टी के हिस्से में आयी. 2000 में हुए विस चुनाव में राजद ने तीन, समता पार्टी ने दो तथा भाजपा व कांग्रेस ने एक-एक सीट जीता. 2005 में हुए विधान सभा चुनाव भाजपा एवं जद यू साथ-साथ लड़े और तत्कालीन राजद सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था. इस चुनाव में जद यू-भाजपा गंठबंधन ने जिले की चार(जद यू ने तीन तथा भाजपा ने एक) सीट जीता जबकि राजद व कांग्रेस ने एक-एक सीट जीता. 2010 में भी जद यू और भाजपा गंठबंधन कायम रहा और दूसरी बार नीतीश कुमार की अगुवाई में यह गंठबंधन दुबारा सरकार में आयी. इस चुनाव में इस गंठबंधन की आंधी पूरे सूबे में चली बावजूद यह भाजपा व जदयू की आंधी को कहलगांव में कांग्रेस प्रत्याशी सदानंद सिंह ने रोक दिया. इस चुनाव में गंठबंधन ने छह (भाजपा व जद यू ने तीन-तीन) सीट जीता जबकि कहलगांव कांग्रेस के खाते में गया. अबकी विधान सभा चुनाव(2015) में समीकरण बदला और भाजपा गंठबंधन के खिलाफ राजद, जद यू व कांग्रेस गंठबंधन ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और भागलपुर जिले की सभी सात सीट जीत ली.

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