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कतरनी की महक पर मौसम की मार

कतरनी की महक पर मौसम की मार-हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने से प्रमंडल के धान बहुल क्षेत्र के किसानों में हाहाकार-खराब धान फसल होने की आशंका को लेकर खेत पर जाने से परहेज कर रहे किसान संवाददाता,भागलपुरदेश में कतरनी धान के लिए जाना जाने वाला क्षेत्र भागलपुर प्रमंडल के किसान इस बार आखिरी समय […]

कतरनी की महक पर मौसम की मार-हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने से प्रमंडल के धान बहुल क्षेत्र के किसानों में हाहाकार-खराब धान फसल होने की आशंका को लेकर खेत पर जाने से परहेज कर रहे किसान संवाददाता,भागलपुरदेश में कतरनी धान के लिए जाना जाने वाला क्षेत्र भागलपुर प्रमंडल के किसान इस बार आखिरी समय मौसम की बेरुखी से परेशान हैं. धान की फसल खराब होने की आशंका से किसान खेतों पर जाने से परहेज करने लगे हैं, ताकि उन्हें खराब फसल देख कर रोना नहीं आ जाये. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि अब भी यदि बारिश नहीं हुई या सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी, तो कतरनी धान की महक पर मौसम की मार पड़ जायेगी.75 फीसदी से अधिक की धान फसल पर असर बांका और भागलपुर के धान बहुल क्षेत्र में क्रमश: 96 हजार हेक्टेयर व 52 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की गयी है. यहां के किसानों की मानें तो यहां पर फसल लगने के समय ही बारिश नहीं हुई. इससे किसानों में मायूसी छायी हुई है. यहां पर 75 फीसदी किसानों की धान फसल खेत में ही नष्ट हो जायेगी. उनकी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि खराब धान की फसल को मजदूर कटाई करने से लेकर तैयार करने तक की मनाही करते हैं. ऐसे में यदि खास तौर पर प्रतिदिन के हिसाब से मजदूर को पैसे देकर धान की कटाई करायेंगे, तो फायदा होने के बजाय आर्थिक, शारीरिक व अन्य प्रकार का नुकसान पहुंचेगा. नाथनगर प्रखंड के किशनपुर भतौड़िया के किसान पूरन यादव, बासुकी यादव समेत 50 से अधिक किसानों की शिकायत है कि सिंचाई के अभाव में उनका धान खखरी हो जायेगा. इन क्षेत्रों में होती है कतरनीभागलपुर, बांका जिले के जगदीशपुर व रजौन क्षेत्रों के कनरी, बैजानी, रायपुरा, रूपसा, डरपा, मझगॉय, सोहानी, नरीपा, मोहनपुर आदि गांवों में मूलरूप से कतरनी की खेती होती है. पहले यहां पर बाढ़ से खेतों आये बालू के कारण कतरनी की खेती रूक गयी थी, अब सुखाड़ के कारण करतनी की खेती खराब नहीं हो जाये, यही आशंका किसानों को खाये जा रही है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सितंबर तक तो बारिश ठीक-ठाक हुई, लेकिन अक्तूबर माह में बारिश नहीं होने से 10 से 15 फीसदी बारिश का प्रतिशत कम हो गया, जिस पर कि धान की खेती टिकी होती है. इससे 15 से 20 फीसदी फसल को क्षति होगी. सरकार की ओर से डीजल अनुदान दिया जा रहा है. किसानों का कहना है कि सिंचाई का स्रोत ही कम पड़ रहे हैं.आत्महत्या कर सकते हैं किसान कनेरी के राजीव तिवारी बताते हैं कि कतरनी की छोड़िये, अभी तो अन्य किस्म की धान की फसल भी खराब हाे रही है. पटवन की सुविधा नहीं होने से धान की फसल खराब हो जायेगी. रबी फसल के समय असमय बारिश से किसानों की फसल खराब हुई थी और अभी सुखाड़ से. ऐसे में किसानों को दूसरे प्रदेश के किसानों की तरह आत्महत्या की राह पर जाना पड़ेगा. बालू उठाव से सिंचाई में दिक्कतचांदन नदी से धड़ल्ले से बालू उठाव होने के कारण किसानों को सिंचाई की दिक्कत हो रही है. अक्तूबर माह में बारिश नहीं होने पर भी बांका क्षेत्र के चांदन किनारे बसे गांव या भागलपुर के, सभी स्थानों पर सिंचाई की दिक्कत नहीं होती थी. जब से बांका के मोहनपुर, रूपसा, डरपा, मझगॉय, पत्तीचक, जगनाथपुर, भगवानपुर, कैथा, भागलपुर के कनेरी, पुरैनी, जगदीशपुर आदि क्षेत्रों में चांदन नदी से बालू उठाव के कारण सिंचाई की दिक्कत हो गयी है. क्यों नहीं हो मिलावटरजौन क्षेत्र के किसान वंशीधर सिंह, संजीव कुमार, अनुज राव, सदानंद सिंह आदि का कहना है कि कतरनी धान को बढ़ावा नहीं मिलने से मिलते-जुलते किस्म की धान में खूशबूदार धान में मिलावट की संभावना बढ़ती जा रही है. लोग कतरनी कम और अन्य किस्म के धान उपजा कर मिलावट करते हैं और अधिक से अधिक मुनाफा कमाते हैं. कोट:- ओवर ऑल बारिश अधिक हुई है. केवल अक्तूबर में कम बारिश हुई है. उसी के लिए डीजल अनुदान दिया जा रहा है. तीन स्टेज में धान की फसल होती है. एक धान की बाली फूटना, एक दूध भरना और तीसरा धान बनना. नाथनगर में नवंबर के बाद के स्टेज में खखरी की स्थिति होगी. अभी होना ठीक नहीं है. जिस क्षेत्र में हुए, वहां पर कृषि विशेषज्ञों को भेज कर जानकारी ली जायेगी कि क्या कारण है. जगदीशपुर का कनेरी कतरनी बहुल क्षेत्र है, वह भी बाद में होता है. जहां तक चांदन नदी से सिंचाई की बात है, वह सिंचाई विभाग की जिम्मेवारी है.अरविंद कुमार झा, जिला कृषि पदाधिकारी

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