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लापरवाही: जेएलएनएमसीएच में सामान्य वार्ड के साथ बना है टीबी वार्ड

लापरवाही: जेएलएनएमसीएच में सामान्य वार्ड के साथ बना है टीबी वार्ड फोटो——–मनोज………… – दो साल पहले ही चेस्ट वार्ड के साथ खोल दिया गया टीबी वार्ड – प्राय: सभी अस्पतालों में अलग से बनाया जाता है टीबी वार्ड – मानत हैं अधीक्षक व प्रिंसिपल, इंडोर में नहीं होना चाहिए टीबी वार्ड संवाददाता, भागलपुर जवाहरलाल नेहरू […]

लापरवाही: जेएलएनएमसीएच में सामान्य वार्ड के साथ बना है टीबी वार्ड फोटो——–मनोज………… – दो साल पहले ही चेस्ट वार्ड के साथ खोल दिया गया टीबी वार्ड – प्राय: सभी अस्पतालों में अलग से बनाया जाता है टीबी वार्ड – मानत हैं अधीक्षक व प्रिंसिपल, इंडोर में नहीं होना चाहिए टीबी वार्ड संवाददाता, भागलपुर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इंडोर विभाग में सामान्य वार्ड के साथ टीबी यानी यक्ष्मा रोग के रोगियों के लिए 20 बेड का वार्ड बना दिया गया है. इस कारण चेस्ट विभाग के साथ सामान्य रोगियों के साथ ही टीबी मरीजों को रखकर इलाज किया जाता है. टीबी संक्रामक बीमारी मानी जाती है और टीबी से पीड़ित रोगी के खांसने से आसपास के लोगों को भी टीबी की बीमारी फैलने की आशंका रहती है. एमसीआइ की गाइडलाइन के अनुसार टीबी रोगियों के लिए अस्पताल में अलग से ही वार्ड बनाया जाता है. डॉक्टरों की मानें तो सूबे में जेएलएनएमसीएच पहला अस्पताल होगा जहां सामान्य रोगियों के साथ ही टीबी रोगियों को एक साथ रखा जाता है. अब यहां टीबी के प्राइमरी फेज वाले रोगी के अलावा वैसे एमडीआर रोगियों को रखने की बात चल रही है, जिन्होंने प्राइमरी स्टेज पर दवा का पूरा डोज नहीं लिया और दोबारा टीबी अटैक हुआ है. ऐसे रोगी पहली बार टीबी रोग से पीड़ित होने वाले राेगियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं. बता दें कि जेएलएनएमसीएच में चेस्ट वार्ड में टीबी वार्ड फरवरी 2013 में बनाया गया था. क्या कहते हैं अधीक्षक व प्रिसिंपल जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि सामान्य वार्ड में टीबी वार्ड एकदम नहीं होना चाहिए. पता नहीं पहले वाले अधीक्षक ने किस परिस्थिति में इंडोर विभाग के चेस्ट वार्ड में टीबी वार्ड खोलने की अनुमति प्रदान कर दी है. उनके कार्यकाल में ऐसी बात होती तो वे कभी भी टीबी वार्ड को सामान्य वार्ड में बनाने की अनुमति नहीं देते. वैसे अब जब टीबी वार्ड चल रहा है, तो देखते हैं किस तरह टीबी वार्ड को जल्द-से-जल्द सामान्य वार्ड से अलग किया जा सकता है. वहीं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अर्जुन कुमार सिंह का भी कहना है कि अस्पताल में सामान्य मरीज के साथ टीबी मरीजों को रखा जाना पूरी तरह से गलत है. प्रिंसिपल एके सिंह इस बात से इतने आहत हैं कि एक नवंबर को टीबी बीमारी पर होनेवाली कार्यशाला में शामिल होने से ही इंकार कर दिया है. टीबी रोग विषय पर वर्कशॉप आज जेएलएनएमसीएच के चेस्ट व टीबी विभाग में एक नवंबर यानी रविवार को एक कार्यशाल का आयोजन किया गया है. कार्यशाल में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. आरएनटीसीपी के चेयरमैन डॉ डीपी सिंह ने बताया कि वर्कशॉप में टीबी रोग से जुड़े नये-नये रिसर्च के साथ-साथ डायग्नोसिस व दवा की जानकारी दी जायेगी. इसके अलावा एमडीआर यानी बहु दवा रोगी यक्ष्मा या उससे जुड़े लेबोरेटरी जहां कल्चर होता है की अपडेट सीबी नेट टेस्ट आदि के बारे में जानकारी मिलेगी.

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