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गोली कांड के पीछे छिपे हैं कई राज

गोलीकांड के पीछे कई तरह की कहानियां भी है. उन कहािनयों की कड़ी पुिलस जोड़ने में लगी हुई है. लोगों का कहना है कि रतन चौधरी को गोली लगने के पीछे का कारण भी जुआ ही है. कमोबेश हर कोई एक ही चर्चा और आनेवाले पहचान के नये लोगों से एक ही सवाल कि क्यों […]

गोलीकांड के पीछे कई तरह की कहानियां भी है. उन कहािनयों की कड़ी पुिलस जोड़ने में लगी हुई है. लोगों का कहना है कि रतन चौधरी को गोली लगने के पीछे का कारण भी जुआ ही है. कमोबेश हर कोई एक ही चर्चा और आनेवाले पहचान के नये लोगों से एक ही सवाल कि क्यों मारी गयी गोली. कारण जो भी रहा हो, लेिकन आम शहरी इस सुरक्षित समझे जाने वाने क्षेत्र में घटी इस घटना ने सबको चिंता में डाल दिया है. अधिवक्ताओं में भी यह चर्चा होने लगती है कि इस खुले परिसर में किसे और कब गोली मार दे, कोई नहीं जानता है. खुले परिसर में अधिवक्ता, मुव्वकिल के भी जान को खतरा है.

भागलपुर: गोलीकांड के पीछे अभी भी कई राज िछपे हुए हैं. इसके पीछे कई तरह की कहानियां भी है. उन कहािनयों की कड़ी पुिलस जोड़ने में लगी हुई है. पुिलस के मुतािबक अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कुल्लो का बेटा मनीष उससे भोलानाथ पुल पर सुबह 11 बजे मिला था और उससे हाल चाल पूछा था. अमरेंद्र ने कहा कि मनीष के हाल पूछने पर संदेह हुआ था.

घायल रतन को अस्पताल लाने के बाद वहां कुल्लो का छोटा बेटा उनीस मौजूद था. उसके वहां होने का कारण पूछा गया तो उसने कहा कि वह किसी से मिलने आया है. अमरेंद्र के बयान पर पुलिस उनीस को पकड़ कर ले गयी. अस्पताल में डीएसपी सिटी शहरयार अख्तर के अलावा बरारी थाना प्रभारी केके अकेला, आदमपुर थाना प्रभारी शत्रुघ्न कुमार और तिलकामांझी थाना प्रभारी रंजन कुमार मौजूद थे.

मुझे मारने आये थे, गोली लग गयी रतन को
सूर्यलोक कॉलोनी बागबाड़ी के रहने वाले और प्लॉटिंग का काम करने वाले अमरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि हमलावर उसे मारना चाहते थे. अमरेंद्र ने बताया कि अपराधी ने जब उसकी कनपटी पर पिस्तौल सटाया तो रतन चौधरी ने उसे धक्का देकर पीछे कर दिया जिससे गोली रतन के दाहिने हाथ में लगी. अमरेंद्र ने बताया कि गोली चलाने वाले ने काले रंग की शर्ट और जींस पहना था. वह लाल रंग की पैशन प्रो मोटरसाइकिल से भागा.

डिम्मा यादव ने 1990 में की थी बमबारी
कोर्ट परिसर में 1990 में कुख्यात अपराधी डिम्मा यादव ने भी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए धुआंधार बमबारी की थी. डिम्मा के बमबारी से पूरा कोर्ट परिसर थर्रा गया था. कोर्ट परिसर में लोग बेहताशा अपनी जान बचा कर इधर उधर भाग रहे थे. हालांकि उस वक्‍त भी कोर्ट परिसर में कई जगह पुलिस तैनात थी, लेकिन किसी ने डिम्मा को पकड़ने की हिम्मत नहीं की थी. डिम्मा यादव साहेबगंज का रहने वाला था और वह चौकी नियामतपुर के कुख्यात अपराधी आमी मंडल गिरोह का सक्रिय सदस्य था. उस वक्‍त आमी मंडल गिरोह का पूरे भागलपुर क्षेत्र में आतंक था. दंगा के समय इस गिरोह ने नाथनगर स्टेशन से कई लोगों को पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया था.

कौन है सोनी मियां
सोनी मियां पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कुख्यात रहा है. उस पर कई केस दर्ज हैं. सोनी मियां का नाम बबरगंज थाने में मासिक दागी पंजी में दर्ज है जो 2010 में खुला है. उसकी हर महीने रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उस पर बबरगंज थाने में इतने केस दर्ज हैं – साल – 1994, केस नंबर – 29/94 – हत्या की कोशिश , साल – 2000 – केस नंबर – 117/2000 – आर्म्स एक्ट, साल – 2001 – केस नंबर – 19/2001 – आर्म्स एक्ट, साल – 2015 – हत्या की कोशिश.

घटना के पीछे का कारण भी जुआ तो नहीं ?
सूत्रों की मानें तो रतन चौधरी को गोली लगने के पीछे का कारण भी जुआ ही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति की टोली स्थित एक घर में जुआ होता है. वह घर जिसका है वह रतन चौधरी का संबंधी है. यहां तक बताया जा रहा है कि उस घर में जुआ को लेकर ही बिजली का भी कनेक्शन लिया गया. पहले वहां मुर्गी पालन किया जाता था जिसे बंद कर दिया गया. उस घर में होने वाले जुए से रोज लभग 50 हजार रुपये नाल कटता है. उस पैसे में सभी का हिस्सा बंधा हुआ है. जिसमें घर वाले को भी 6-7 हजार रुपये महीने दिया जा रहा. ऐसा कहा जा रहा है कि उसी पैसे के बंटवारे को लेकर इस घटना को अंजाम दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस घर में जुआ होने की खबर पुलिस को कई बार की गयी है पर पुलिस ने कुछ नहीं किया.

अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
कोर्ट परिसर में रतन चौधरी को गोली मारने के ामले में घायल रतन चौधरी के बयान पर अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. रतन ने बताया है कि उसे पीछे से गोली मारी गयी और वह किसी को देख नहीं पाया. उसने किसी से दुश्मनी नहीं होने की बात कही है. उसने यह भी कहा है कि हमलावर को अमरेंद्र कुमार सिंह पहचानता है.

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