सजा सुनाये जाने के बाद पूरे शहर व नाथनगर तक हंगामा हुआ, अगर पुलिस सक्रिय नहीं रहती, तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी. इस मामले के विशेष अवर लोक अभियोजक अतिउल्लाह ने बताया कि 24 अक्तूबर 89 को परवत्ती निवासी कामेश्वर यादव परवर्त्ती से निकले शिला पूजन जुलूस की अगुवायी कर रहे थे.
जुलूस जैसे ही आसानंदपुर लाइनपार पहुंची कामेश्वर यादव ने नसीर के पुत्र कैय्यूम को अपनी बंदूक से गोली मार दी. यह घटना शाम के 3.30 बजे की है. कैय्यूम की लाश को जुलूस के साथ ही लेते गये थे, जिसस् ो उसकी लाश नहीं मिली. कैय्यूम के पिता नसीर इस मामले के सूचक भी हैं नसीर ने कामेश्वर यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस मामले में कामेश्वर यादव ही एकमात्र प्राथमिक अभियुक्त हैं.
उन्होंने बताया कि उम्रकैद की सजा को चुनौती देते हुए पटना उच्च न्यायालय में कामेश्वर ने याचिका दायर किया था. गुरुवार को पटना हाई कोर्ट में दो जज की खंडपीठ ने मामले की सुनवायी की. एक न्यायाधीश ने कामेश्वर यादव की याचिका को स्वीकार किया और एक न्यायाधीश की खंडपीठ ने उस अपील को अस्वीकार कर दिया. श्री अतिउल्लाह ने बताया कि पहले इस केस के अनुसंधान को बंद कर दिया था. सरकार ने 27 मामले को फिर से री ओपन किया था, जिसमें से भागलपुर दंगा संबंधित दो मामले शामिल थे.