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एक प्रेक्षागृह का शीघ्र हो निर्माण

भागलपुर: सांस्कृतिक समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को प्रमंडलीय आयुक्त आरएल चोंग्थू से मिला और उन्हें अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में जिन मुद्दो की चर्चा की गयी थी. एक -एक कर आयुक्त से प्रतिनिधिमंडल की बात हुई. प्रेक्षागृह के संबंध में उन्होंने कहा कि शहर में इसका निर्माण होना चाहिए और […]

भागलपुर: सांस्कृतिक समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को प्रमंडलीय आयुक्त आरएल चोंग्थू से मिला और उन्हें अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में जिन मुद्दो की चर्चा की गयी थी. एक -एक कर आयुक्त से प्रतिनिधिमंडल की बात हुई.

प्रेक्षागृह के संबंध में उन्होंने कहा कि शहर में इसका निर्माण होना चाहिए और इस संबंध में जिला प्रशासन से बात करने और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. संग्रहालय की दुर्दशा के बारे में बताये जाने पर उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया और कहा कि स्वयं संग्रहालय जाकर वे निरीक्षण करेंगे और आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारी से बात करेंगे. इसके बाद प्रतिनिधिमंडल डीएम आदेश तितरमारे से मिला और उनको भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया. डीएम ने भी प्रेक्षागृह निर्माण की आवश्यकता बतायी और इस संबंध में अपने स्तर पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. प्रतिनिधिमंडल में दिशा के प्रो चंद्रेश, परिधि के उदय, इप्टा के संजीव कुमार दीपू, आलय के शशि शंकर, रितेश रंजन, विनय कुमार शामिल थे.

20 वर्षो से कर रहे हैं मांग. पिछले 20 वर्षो से सांस्कृतिक संगठन परिधि, दिशा, इप्टा, आलय, संबंध, माध्यम, हल्का ए अदब, कविता भागलपुर, आदि लगातार प्रेक्षागृह निर्माण की मांग करते रहे हैं. इस संदर्भ में धरना, प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान, स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन आदि का अभियान लगातार चलाया जा रहा है.

खटाई में है रवींद्र भवन बनाने का मामला. केंद्र सरकार की ओर से रवींद्र भवन के नाम पर प्रेक्षा गृह बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा था. प्रदेश में इकलौता भागलपुर से जिला प्रशासन की ओर से प्रदेश सरकार को प्रेक्षागृह का एस्टिमेट बना कर भेज दिया. प्रदेश सरकार ने भी उस एस्टिमेट को केंद्र सरकार के पास भेज दिया. इसके बाद यह मामला खटाई में है.

संस्कृतिकर्मियों का है कहना. दिशा संस्था के रंगकर्मी चंद्रेश का कहना है कि भागलपुर की काफी समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास रहा है. शरत से बनफूल तक की लंबी परंपरा है. नाटक के क्षेत्र में भी इस शहर की अपनी पहचान रही है. यहां के रंगकर्मियों ने शहर के बाहर जाकर नाम रोशन किया है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि कमिश्नरी मुख्यालय होने बाद व सांस्कृतिक गतिविधि का केंद्र होने के बावजूद शहर में एक सुसज्जित प्रेक्षागृह का ना होना गहरी चिंता का विषय है.

परिधि के संस्कृतिकर्मी उदय का कहना है कि ध्वनि व प्रकाशयुक्त आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण एक प्रेक्षागृह का निर्माण हो या भागलपुर में कुछ ऐसे संस्थान शारदा संगीत सदन, कला केंद्र आदि हैं, उन्हें भी विकसित किया जाये.

संग्रहालय, ललित भवन व अंग सांस्कृतिक भवन में फैली है अव्यवस्था कचहरी परिसर स्थित ललित भवन कभी साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था, लेकिन पिछले काफी समय से वह सरकारी उपेक्षा का शिकार है. वहीं अंग सांस्कृ तिक केंद्र गोदाम में तब्दील हो गया है. यहां पर कभी ट्राइसाइकिल रखी जाती है तो कभी चुनाव के कागज. प्रेक्षागृह निर्माण से पहले इसे व्यवस्थित किया जा सकता है. भागलपुर संग्रहालय में डाटा इंट्री व अन्य कार्य चल रहे हैं.

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