भागलपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक सितंबर को होनेवाली रैली को लेकर सुरक्षा एजेंसियां विशेष चौकसी बरत रही हैं. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट की मानें तो प्रधानमंत्री को डेढ़ दर्जन आतंकी, कट्टरपंथी और दो उग्रवादी संगठनों से खतरा है.
रैली के दौरान जिन आतंकी संगठनों से पीएम को खतरा है उनमें लश्करे तैयबा, अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, अल-उमर-मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-जिहाद-ए-इसलामी, इंडियन मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, सिमी, तहरीक-ए-तालिबान, शाहीन फोर्स, इसलामिक संघ, खालिस्तान टाइगर फोर्स, अंतरराष्ट्रीय सिख युवा फेडरेशन के अलावा उग्रवादी संगठन उल्फा और नक्सली और माकपा(माओवादी) शामिल हैं.
इतने आतंकी और उग्रवादी संगठनों के खतरे को देखते हुए पीएम की रैली को लेकर त्रुटिहीन सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी की जा रही है. पीएम की रैली को लेकर इसलिए भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है, क्योंकि सात जुलाई 2013 को महाबोधि मंदिर बोधगया और 27 अक्तूबर 2013 को पटना स्थित गांधी मैदान में सिलसिलेवार बम धमाके करने वाले इंडियन मुजाहिदीन के कई आतंकी अब भी फरार हैं. उनके अभी भी सक्रिय रहने की आशंका व्यक्त की गयी है.
यहां रखनी होगी विशेष नजर
भागलपुर को संवदेनशील क्षेत्र माना जाता है. ऐसे में यहां पुलिस और प्रशासन विशेष सतर्कता बरत रही है. खुफिया एजेंसियों ने पहले भी बिहार और झारखंड को आतंकी संगठनों द्वारा स्लीपर सेल के रूप में उपयोग करने की बात कही है. यहां संगठित आपराधिक गिरोह, असामाजिक तत्वों, हिंसक तत्वों और राजनीतिक रूप से विरोधी तत्वों पर भी विशेष नजर रखनी होगी. इन चुनौतियों को देखते हुए ही स्थानीय पुलिस द्वारा विशेष सतर्कता बरत रही है. कार्यक्रम में आने वाले लोगों की एक्सेस कंट्रोल प्वाइंट पर कार्यक्रम से दो घंटे पहले ही जांच की जायेगी. इसके लिए दो डीएसपी को तैनात किया जायेगा.
बांग्लादेश में सक्रिय हैं आतंकी संगठन
खुफिया एजेंसियों ने हरकत-उल-जिहाद अल इस्लामी (हुजी) और लश्करे तैयबा के बांग्लादेश में सक्रिय होने की रिपोर्ट दी है. यही वजह है कि अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है. इसके अलावा नेपाल के शाहीन फोर्स, इसलामी संघ और अंतरराष्ट्रीय सिख युवा फेडरेशन जैसे आतंकी संगठनों से पीएम को खतरे की बात पहली बार सामने आ रही है.