भागलपुर: तोमर के लॉ डिग्री फर्जीवाड़ा से जुड़े तार को खंगालने रविवार को सुबह करीब 11.30 बजे दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर लोकेन्द्र कुमार व जीतेंद्र कुमार तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन पहुंचे.
प्रशासनिक भवन के गेट पर करीब दो घंटे तक कंट्रोलर अरुण कुमार सिंह, पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह, कर्मचारी विनय श्रीवास्तव आदि का दिल्ली पुलिस इंतजार करती रही, लेकिन न तो रजिस्ट्रार पहुंचे न अन्य कोई पदाधिकारी. इन पदाधिकारियों को एक आदमी के मार्फत दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय में आने की सूचना भी भेजी, बावजूद इसके कोई नहीं पहुंचा. अंत में, दिल्ली पुलिस के दोनों ऑफिसर बिना कुछ बताये वापस बैरंग लौट गये.
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फर्जी लॉ डिग्री मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की दो सदस्यीय टीम शनिवार को चौथी बार भागलपुर पहुंची है. यह लोग विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में ठहरे हैं. पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर 1993 में मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से उत्तीर्ण हुए. मुंगेर लॉ कॉलेज ने दिल्ली पुलिस को जो सूची सौंपी थी, उसमें उत्तीर्ण छात्रों के नाम के साथ-साथ तोमर का भी नाम है, लेकिन विश्वविद्यालय के रजिस्टर में तोमर का नाम ही नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस को विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान, मुंगेर में मिली सूची की जांच करने के बाद साथ लेकर आयी है़ वह सूची विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के वर्ष 1999 में हुई एलएलबी परीक्षा के उत्तीर्ण छात्रों की है़ सूची में तोमर का नाम नहीं है़ ऐसे में सवाल उठता है कि तोमर को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करने वाले परीक्षा नियंत्रक या रजिस्ट्रार ने किस आधार पर जारी किया़ मालूम हो कि प्रोविजनल प्रमाण पत्र टीआर के आधार पर जारी किया जाता है़ जब तोमर उत्तीर्ण छात्रों की सूची में नहीं था, तो वह कौन सा टीआर था, जिसमें उसे उत्तीर्ण दिखाया गया़ टीआर बनाने का काम टेबलेटर का होता है़ इस स्थिति में तत्कालीन टेबलेटर और परीक्षा नियंत्रक का फंसना तय माना जा रहा है़ वर्ष 1999 में हुई एलएलबी पार्ट थ्री की परीक्षा का रिजल्ट वर्ष 2000 में प्रकाशित हुआ था़