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इलाज के पैसे नहीं, मौत से जूझ रहीं हैं मीना देवी

भागलपुर: जिले के 12 स्वतंत्रता सेनानी को 11 माह से स्वतंत्रता सम्मान पेंशन नहीं मिली है. इनमें से कई बीमार हैं और गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. पेंशन भुगतान को लेकर स्वतंत्रता सेनानी के परिजन कभी ट्रेजरी तो कभी बैंक तो कभी जिलाधिकारी कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. इनमें कई ऐसे भी […]

भागलपुर: जिले के 12 स्वतंत्रता सेनानी को 11 माह से स्वतंत्रता सम्मान पेंशन नहीं मिली है. इनमें से कई बीमार हैं और गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. पेंशन भुगतान को लेकर स्वतंत्रता सेनानी के परिजन कभी ट्रेजरी तो कभी बैंक तो कभी जिलाधिकारी कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. इनमें कई ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी हैं, जो शारीरिक रूप से इधर-उधर करने में असमर्थ हैं. इनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी मीना देवी, महीनों से बीमार हैं. बिस्तर से उठना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है. पेंशन रुक जाने से वह अपना इलाज तक नहीं करवा पा रही हैं.
क्यों नहीं मिल रही पेंशन
नसरतखानी की स्वतंत्रता सेनानी मीना देवी के पुत्र ललित कला अकादमी के सदस्य ज्योतिष चंद्र शर्मा ने बताया कि पहले बिल बना कर ट्रेजरी में दिया जाता था. ट्रेजरी उसे पास करके एडवाइज के साथ एसबीआइ मुख्य शाखा में भेज देता था. मुख्य शाखा खाताधारियों के संबंधित बैंक अकाउंट में पेंशन की राशि भेज देता था. बाद में सरकारी आदेशानुसार सीधे बैंक को भुगतान का आदेश हुआ. इसके लिए खाताधारियों का पेंशन संबंधित बैंक को मुख्य शाखा के मध्यम से भेज दिया गया.
वहां से पुन: इस मामले में यह कह कर लौटा दिया गया कि स्वतंत्रता सेनानियों का यह पेंशन गृह विभाग के सामान्य पेंशन की शाखा के आदेश से ही बैंक को भेजा जायेगा. इसके लिए सभी खाताधारियों का पीपीओ (पेंशन पेमेंट ऑर्डर )नंबर व मूल अभिलेख के साथ स्वतंत्रता सेनानी पेंशन शाखा गृह विभाग, भारत सरकार, नयी दिल्ली को भेज दिया गया. लेकिन इसकी सूचना संबंधित पेंशनधारियों नहीं दी गयी. इस वजह से 11 माह से 12 स्वतंत्रता सेनानियों के पेंशन का भुगतान नहीं हुआ है. इस मामले में अब तक क्या काम हुआ इसकी सूचना भी जिला, राज्य या केंद्र स्तर से पेंशनधारियों को नहीं दी गयी है. दूसरी ओर पेंशन नहीं पानेवाले कुछ स्वतंत्रता सेनानी अर्थाभाव व बीमारी के कारण जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
आंदोलन के लिए मुठिया चावल जमा करती थीं मीना
नसरतखानी की रहनेवाली 99 वर्षीया मीना देवी ने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. स्वतंत्रता की लड़ाई में मीना ने पति लोकनाथ शर्मा का सहयोग कंधा से कंधा मिला कर किया. वह उस समय आंदोलनकारियों के लिए भोजन की व्यवस्था करती थी. वह भी घर-घर जाकर मुठिया चावल जमा करके. उस समय के ख्यातिप्राप्त सियाराम दल के स्वतंत्रता सेनानी शशि भूषण सिंह, बनारसी सिंह, पंडित हरिनारायण शुक्ल आदि के साथ मिल कर स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग किया. वे लोग चंपानगर नसरतखानी में एकत्र होते थे. समय-समय पर अंगरेजों से छुपा कर चावल व अन्य राशन आंदोलनकारियों के लिए बाहर भी भेजा करती थी. 1942 की अगस्त क्रांति में पति लोकनाथ शर्मा के साथ मीना देवी ने भी सक्रिय हिस्सा लिया था. इसलिए ब्रिटिश सरकार मीना देवी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. फिर घर की कुर्की भी करा दी गयी. बाद में उनके पति गिरफ्तार भी हो गये. उस समय अपने नौ माह के पुत्र को लेकर वर्षो तक मायके खगड़िया सिराजपुर में रही थी. नमक आंदोलन के समय नमकीन मिट्टी से खड़िया नमक भी बनाने का काम उनके यहां होता था. फिर उस नमक को कागज के छोटे-छोटे ठोंगे में भर कर, इसे सत्याग्राहियों के घर-घर बांट देते थे. वह ठोंगा खुद तैयार करती थीं. खड़िया नमक कम स्वाद वाला एवं तीखा होता था.

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