ऐसे में जब नामांकन ही गलत तरीके से हुआ है, तो आगे की कोई भी प्रक्रिया सही नहीं हो सकती. यह बातें दिल्ली पुलिस को भी लिख कर दे दी गयी है. कुलपति का कहना था कि नामांकन के दौरान छात्र अपने सर्टिफिकेट की प्रतिलिपि पर सेल्फ एटेस्टेड (स्वअभिप्रमाणित) कर देते हैं. वैसे भी नामांकन फॉर्म पर स्पष्ट उल्लेख रहता है कि छात्र द्वारा जमा किये गये कागजात भविष्य में गलत साबित होंगे, तो नामांकन रद्द कर दिया जायेगा. आगे विवि द्वारा गठित कमेटी जब जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, तो दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
Advertisement
तोमर प्रकरण, नामांकन ही गलत तो आगे की प्रक्रिया भी सही नहीं : वीसी
भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विवि (टीएमबीयू) के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने बताया कि तोमर का जब नामांकन ही गलत है, तो आगे की प्रक्रिया भी सही नहीं है. उपलब्ध कागजात के अनुसार जितेंद्र सिंह तोमर का नामांकन बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के माइग्रेशन प्रमाणपत्र के आधार पर हुआ था. विश्वविद्यालय ने हाल में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से […]
भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विवि (टीएमबीयू) के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने बताया कि तोमर का जब नामांकन ही गलत है, तो आगे की प्रक्रिया भी सही नहीं है. उपलब्ध कागजात के अनुसार जितेंद्र सिंह तोमर का नामांकन बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के माइग्रेशन प्रमाणपत्र के आधार पर हुआ था. विश्वविद्यालय ने हाल में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से संपर्क किया, तो वहां के रजिस्ट्रार ने लिख कर दिया कि उक्त माइग्रेशन प्रमाणपत्र बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने जारी नहीं किया है.
डिग्री सही या फर्जी, अब इसका इंतजार
तोमर की डिग्री जांच के मामले में अब तक बातें यहां तक पहुंच गयी है कि उनका नामांकन गलत तरीके से हुआ था. इस आधार पर नामांकन के बाद की प्रक्रिया भी सही नहीं है. अब केवल यह जानने का इंतजार है कि तोमर की डिग्री सही है या गलत.
नामांकन गलत होने में कुलपति के तर्क
1. तोमर का नामांकन बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी माइग्रेशन के आधार पर हुआ था, जबकि बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का कहना है कि उक्त माइग्रेशन उनके संस्थान ने जारी नहीं किया है.
2. नामांकन फॉर्म पर छात्रों को लिख कर देना पड़ता है कि उनके द्वारा जमा किये गये कागजात भविष्य में गलत साबित होंगे, तो नामांकन रद्द कर दिया जायेगा.
तोमर प्रकरण: टीएमबीयू की जांच कमेटी खोज रही एफिलिएशन की फाइल
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री ने जिन वर्षो में एलएलबी के तीनों खंडों की परीक्षा दी थी, उन वर्षो में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान (वीएनएस विधि संस्थान) को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को मान्यता थी या नहीं, इसका खुलासा अब तक नहीं हो सका है. इस कारण टीएमबीयू की जांच कमेटी ने एफिलिएशन की फाइल को खंगालना शुरू कर दिया है. सोमवार को भी एफिलिएशन की फाइल नहीं मिली थी. तोमर के अंक पत्र के अनुसार तोमर का रजिस्ट्रेशन 1994 में हुआ था. उन्होंने वर्ष 1995 में एलएलबी पार्ट वन, 1996 में एलएलबी पार्ट टू व 1999 में एलएलबी पार्ट थ्री की परीक्षा में भाग लिया था. जांच समिति यह जानना चाहती है कि इन वर्षो में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान को मान्यता थी या नहीं. मान्यता नहीं रहने की स्थिति में कोई भी संस्थान किसी भी छात्र का नामांकन नहीं ले सकता. विश्वविद्यालय में कुछ लोगों का कहना है कि संभवत: 1990 से 99 तक तीन कॉलेजों की मान्यता पर टीएमबीयू प्रशासन ने रोक लगा दी थी. उन कॉलेजों में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान भी शामिल है. लेकिन जब तक एफिलिएशन की फाइल नहीं मिल जाती, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता.
बड़े की तलाश कर सकती है पुलिस : दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा टीएमबीयू को सत्यापन के लिए जो प्रोविजनल सर्टिफिकेट भेजा गया था, उसमें परीक्षा विभाग के सेक्शन ऑफिसर बड़े नारायण सिंह का हस्ताक्षर है. वह हस्ताक्षर बड़े नारायण सिंह का ही है या किसी और का, इसका पता दिल्ली पुलिस लगाने के लिए श्री सिंह की खोज की जा सकती है. फिलहाल श्री सिंह का ठिकाना गया बताया जा रहा है.
तोमर ने कहां दी थी परीक्षा, समिति खोज रही फाइल
विश्वविद्यालय को अभी तक यह पता नहीं चला है कि 1995 में पार्ट वन, 1996 में पार्ट टू और 1999 में पार्ट थ्री की परीक्षा के लिए विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के छात्रों का परीक्षा केंद्र कहां बनाया गया था. इसके लिए विश्वविद्यालय ने टीएनबी कॉलेज 1990 से 2001 तक का परीक्षा से संबंधित फाइल मंगवायी थी. फाइलों को कई कर्मियों ने मिल कर खंगाला, लेकिन विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के छात्रों का परीक्षा केंद्र होने का उल्लेख नहीं मिला. अब कहा जा रहा है कि उक्त वर्षो में मुंगेर के ही जेआरएस कॉलेज या जमालपुर कॉलेज या फिर होम सेंटर परीक्षा का केंद्र हो सकता है. इन कॉलेजों में हुई परीक्षा की फाइल भी जांच समिति खंगालेगी.
परीक्षा नियंत्रकों की सूची उपलब्ध नहीं
टीएमबीयू के परीक्षा विभाग में कार्यरत रहे परीक्षा नियंत्रकों के कार्यकाल की सूची विवि के पास उपलब्ध नहीं है. परीक्षा नियंत्रक के चैंबर में भी परीक्षा नियंत्रकों की नाम व कार्यकाल पट्टी उपलब्ध नहीं है. कई फाइलों को खंगालने के बाद कुछ परीक्षा नियंत्रक के कार्यकाल का पता लगाया जा सका. इस कारण भी दिल्ली पुलिस को तोमर की डिग्री जांच के दौरान काफी दिक्कत हुई. टीएमबीयू की जांच समिति को भी परेशानी उठानी पड़ेगी.
फाइलों की बाइंडिंग शुरू
दिल्ली पुलिस द्वारा तोमर की डिग्री जांच के दौरान कागजातों को ढूंढ़ने में हुई परेशानी को देखते हुए तमाम कागजातों को टीएमबीयू प्रशासन ने सूचीबद्ध कराना शुरू कर दिया है. प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने बताया कि सभी फाइलों की बाइंडिंग करायी जा रही है. बिखरे कागजातों को सूचीबद्ध तरीके से समेटा जा रहा है. परीक्षा विभाग के नये भवन का निर्माण कार्य चल रहा है. उसमें फाइलों व कागजातों को रखने के लिए विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है.
परीक्षा विभाग के कई नाम, कभी काली कोठरी, तो कभी कांटों का घर
भागलपुर: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री जांच कर रहे जांच कमेटी के एक सदस्य प्रो आशुतोष प्रसाद एक-डेढ़ वर्ष पूर्व तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रभारी परीक्षा नियंत्रक बनाये गये थे. पिछले वर्ष 12 जुलाई को आयोजित विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में प्रो प्रसाद ने दुखड़ा सुनाया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें बीच में परीक्षा नियंत्रक का ‘कांटा’ लगा जूता पहना दिया गया था. अंत में बीमार होकर बाहर निकलना पड़ा. विश्वविद्यालय में कुछ ‘कीड़े’ हैं, जो विश्वविद्यालय को खिलने नहीं देते. इन्हें समूल नष्ट करने और बाहर फेंकने की जरूरत है. प्रो प्रसाद की बात पर विश्वविद्यालय प्रशासन कार्रवाई शुरू कर देता, तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि तोमर जैसे कई मामलों का खुलासा हो सकता था.
बंगाल के छात्रों का शोषण : परीक्षा विभाग कई नामों से पुकारा जाता रहा है. कभी काली कोठरी, तो कभी कांटों का घर नाम से. खुद विवि के पदाधिकारी इसे स्वीकारते भी रहे हैं. वर्ष 2012 में 12 जून को तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार ने बताया था कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बंगाल के हजारों छात्र-छात्रओं का शोषण हो रहा है. उनके शोषण के लिए कुछ निजी कॉलेजों का बड़ा रैकेट विश्वविद्यालय में चलाया जा रहा है. रिजल्ट पेंडिंग का एक कारण यह भी है. यही नहीं दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के मूल प्रमाणपत्र पर डॉ विमल कुमार के ही हस्ताक्षर हैं, जिसका खुलासा तब हुआ, जब दिल्ली पुलिस कर्मचारियों के साथ कड़ाई से पेश आयी.
सिंडिकेट ने विजिलेंस जांच का लिया था फैसला
टीएमबीयू में 11 मई 2013 को सिंडिकेट की बैठक आयोजित की गयी थी. सिंडिकेट के सदस्यों ने माना था कि विवि का परीक्षा विभाग गड़बड़ियों से भरा हुआ है. सदस्यों ने निर्णय लिया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन विजिलेंस विभाग को बीते कई वर्षो में हुई गड़बड़ियों की जांच करने का अनुरोध करेगा. बैठक के लगभग तीन माह बाद तत्कालीन कुलपति प्रो एनके वर्मा का कहना था कि परीक्षा विभाग की विजिलेंस से जांच कराने के लिए राजभवन को पत्र भेज दिया गया है, लेकिन अनुमति नहीं मिली है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement