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व्यवस्था जिसमें रोज पैदा होते रावण

भागलपुर: कैसी यह व्यवस्था, जिसमें रोज एक रावण पैदा होता है. कहां गया मेरी गौरवशाली परंपरा. सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं. युगों से रावण का पुतला दहन करने वाले लोग रावण का साथ दे रहे हैं. घर-घर में कैद है रावण के चंगुल में सीता. उक्त संवाद अंग नाट्य मंच की ओर […]

भागलपुर: कैसी यह व्यवस्था, जिसमें रोज एक रावण पैदा होता है. कहां गया मेरी गौरवशाली परंपरा. सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं. युगों से रावण का पुतला दहन करने वाले लोग रावण का साथ दे रहे हैं. घर-घर में कैद है रावण के चंगुल में सीता. उक्त संवाद अंग नाट्य मंच की ओर से आह्वान नाटक के मंचन के दौरान प्रस्तुत किया गया. संजय पांडेय ने नाटक के सूत्रधार की भूमिका निभायी. इसमें आज की व्यवस्था को रामायण से जोड़ कर देखा गया था. इससे पहले महोत्सव का शुभारंभ नन्ही कलाकार बेबी तुलिका ने विष्णु वंदना पर शास्त्रीय नृत्य पेश कर लोगों को हैरत में डाल दिया. युवा नाट्य संगीत एकेडमी, रांची के कलाकारों ने सरहूल नृत्य किया. इसके बाद पथ, जमशेदपुर की ओर से गदहे की बरात, मणिपुर के पीपुल्स फाउंडेशन की ओर से पिदोनु, ओडिशा रणसिंहपुर के रघुनाथ क्लब की ओर से सिर बलिदान और मास्टर राणा के निर्देशन में कालिका नाट्य मंच, राघोपुर की ओर से यह देश है वीर जवानों का नाटक का मंचन किया गया. पिदोनु नाटक में गरीब और अमीर के बीच खाई को दर्शाया गया.

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