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सुस्त पड़े हैं सरकारी संस्थान, फल-फूल रहे निजी स्कूल

आरफीन भागलपुर : जिले के अधिकतर सरकारी प्लस टू स्कूल में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. जिन सरकारी संस्थानों में पढ़ाई हो रही है, वहां शिक्षक और संसाधन का रोना है. इसका सीधा लाभ निजी प्लस टू स्कूल उठा रहे हैं और आर्थिक बोझ अभिभावकों पर पड़ रहा है. अभिभावक बच्चों के बेहतर भविष्य […]

आरफीन
भागलपुर : जिले के अधिकतर सरकारी प्लस टू स्कूल में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. जिन सरकारी संस्थानों में पढ़ाई हो रही है, वहां शिक्षक और संसाधन का रोना है. इसका सीधा लाभ निजी प्लस टू स्कूल उठा रहे हैं और आर्थिक बोझ अभिभावकों पर पड़ रहा है. अभिभावक बच्चों के बेहतर भविष्य को देखते हुए निजी शिक्षण संस्थानों की ओर खींचे जा रहे हैं और यहां मनमाना शुल्क वसूला जाता है.
आंकड़े बताते हैं कि बच्चे सरकारी संस्थानों में पढ़े, तो वहां सालाना 855 से 1335 रुपये खर्च होंगे. इसके अतिरिक्त हर साल पोशाक के लिये सरकार की तरफ से राशि भी मिलेगी. दूसरी ओर निजी शिक्षण संस्थानों में आठ से 50 हजार रुपये सालाना का भुगतान करने को विवश हैं. ऐसा नहीं है कि सरकारी संस्थानों में बच्चे नहीं पढ़ रहे, लेकिन जो पढ़ रहे हैं वे कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.
नहीं लिये जातेमासिक ट्यूशन शुल्क
निजी प्लस टू स्कूलों में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां 11वीं व 12वीं करने के लिये ट्यूशन शुल्क मासिक नहीं लिये जाते. तीन, चार या छह महीने की किस्त बांध दी जाती है. इसके कारण अभिभावकों के ऊपर बड़ी मुसीबत हो जाती है. उन्हें एकमुश्त मोटी रकम का भुगतान करना पड़ता है.
पड़ता है किताबों का भी बड़ा बोझ
निजी संस्थानों में अभिभावकों के ऊपर किताबों का भी बड़ा बोझ पड़ता है. ऐसे कुछेक संस्थान जहां कुछ ही छात्र पढ़ते हैं और वे प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कराते हैं, वहां एनसीइआरटी की किताबों से ही तैयारी करायी जाती है. लेकिन प्राइवेट प्रकाशकों की ऊंची कीमत की किताबों से तैयारी करानेवाले संस्थानों की कमी नहीं है.
सरकार व विभाग की लापरवाही के कारण छात्रों व उनके अभिभावकों को परेशानी ङोलनी पड़ती है. सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने पर कम खर्च आता है. वहीं प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं, तो साल भर में हजारों रुपये प्लस टू की पढ़ाई में खर्च आता है. ऐसे में मध्य वर्गीय परिवार की परेशानी और बढ़ जाती है. जहां -जहां प्लस टू स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो पायी है, वहां सरकार व विभाग जल्द पठन-पाठन शुरू करे.
जावेद खान, भीखनपुर

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