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चर्चित बांधवी घोषाल हत्याकांड: पांच दोषी करार, कोर्ट में हंगामा
भागलपुर: चतुर्थ अपर व सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार ने चर्चित बांधवी घोषाल की हत्या के मामले में सोमवार को पांच अभियुक्त को दोषी करार दिया. इस मामले में सजा नौ अप्रैल को सुनायी जायेगी. वहीं कोर्ट में दोषी करार दिये जाने के बाद न्यायाधीश जैसे ही अपने चेंबर में गये, आरोपियों ने कोर्ट रूम में […]
भागलपुर: चतुर्थ अपर व सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार ने चर्चित बांधवी घोषाल की हत्या के मामले में सोमवार को पांच अभियुक्त को दोषी करार दिया. इस मामले में सजा नौ अप्रैल को सुनायी जायेगी. वहीं कोर्ट में दोषी करार दिये जाने के बाद न्यायाधीश जैसे ही अपने चेंबर में गये, आरोपियों ने कोर्ट रूम में ही हंगामा करना शुरू कर दिया.
दो घंटे तक किया हंगामा : सुबह साढ़े 11 बजे से सवा एक बजे तक आरोपियों ने जम कर उत्पात मचाया, लेकिन कोर्ट रूम में खड़ी पुलिस मौन होकर तमाशा देखती रही. बाद में सवा एक बजे पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट रूम से बाहर निकाला. इसके बाद वहां का माहौल शांत हो सका. कोर्ट रूम में इस तरह के हंगामे को लेकर कई अधिवक्ताओं ने नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने ऐसी गतिविधि को कोर्ट की गरिमा के खिलाफ करार दिया है. इस केस में सरकार की ओर से लोक अभियोजक सत्य नारायण साह, सूचक की तरफ से दिगंबर ओझा तथा बचाव पक्ष से पन्ना बाबू ने पैरवी की.
हाउस सजर्नशिप के लिए मांगे गये थे 60 हजार : बेतिया निवासी बांधवी घोषाल की शादी तिलका मांझी निवासी डॉ राजकुमार घोषाल पिता अजय घोषाल से 3 फरवरी 2007 को हुई थी. इस शादी में बांधवी के परिजन ने राजकुमार को दहेज के रूप में आभूषण आदि मिला कर 12 लाख रुपये दिये थे. शादी के बाद ससुराल में रह रही बांधवी से और दहेज की मांग होने लगी. उसकी सास मुनमुन घोषाल ने कहा कि उसके बेटे डॉ राजकुमार को हाउस सजर्नशिप करना है. इसके लिए उसे 60 हजार रुपये की जरूरत है.
घर में कर दिया गया था नजरबंद : रुपये देने की सूचना बांधवी के भाई असीम कुमार चटर्जी पुत्र सुजीत कुमार चटर्जी को दी गयी. असीम ने रुपये देने से मना कर दिया. इसके बाद सास मुनमुन घोषाल, ससुर अजय घोषाल, पति डॉ राजकुमार, ननद अर्चना बनर्जी उर्फ रोजी, रश्मि गोस्वामी तथा उसके ननदोसी तापस ने बांधवी को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. आये दिन उसके साथ र्दुव्यवहार किया जाने लगा और घर में उससे कोई बातचीत नहीं करने लगा. यहां तक की उसे घर में नजरबंद कर दिया गया.
भाई को मिलने से किया गया था मना
भाई असीम को सूचना मिलने पर वह अपनी बहन बांधवी से मिलने के लिए अपनी नानी के साथ भागलपुर आया. यहां बांधवी के ससुरालवालों ने उनको बांधवी से नहीं मिलने दिया. ससुरालवालों का रवैया देख कर असीम ने बांधवी को अपने साथ ले जाने का निवेदन किया, तो वे नहीं माने. अचानक 15 मई 2007 को असीम कुमार चटर्जी को सुबह 9 बजे सूचना आयी कि उसकी बहन की मौत हो गयी है. सूचना के बाद वे बेतिया से भागलपुर आये. उसकी सूचना पर तिलकामांझी थाना में मामला दर्ज कर लिया गया.
पंखे से लटकी मिली थी बांधवी की लाश
बांधवी की लाश पंखे से लटकी मिली थी. बांधवी के शरीर पर कई जगह चोट तथा पैर व हाथ पर कटे हुए निशान पाये गये थे. बांधवी की लाश के समीप ही एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें बांधवी के विक्षिप्त अवस्था में खुदकुशी करने का उल्लेख था. बाद में इस सुसाइड नोट की सीआइडी लैब में जांच करवायी गयी थी. इस रिपोर्ट में बांधवी की सुसाइड नोट में लिखावट होने पर अस्पष्टता व्यक्त की गयी थी.
आरोपी करते रहे हंगामा, मूकदर्शक बनी रही पुलिस
आरोप तय होने के बाद कोर्ट रूम में बांधवी घोषाल की हत्या के आरोपियों ने हंगामा किया और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे. हाल यह था कि चतुर्थ अपर व सत्र न्यायाधीश के कोर्ट रूम में शोरगुल पूरे कोर्ट परिसर में कौतूहल का विषय बन गया. अधिवक्ता से लेकर आम लोग एक बार कोर्ट रूम के बाहर खड़े होकर हो रहा हंगामा देख रहे थे. करीब डेढ़ घंटे तक आरोपियों के हंगामे पर लगाम लगाने की बजाय बीच-बीच में पुलिसकर्मी महज समझाने का प्रयास करते नजर आये. किसी ने भी उन्हें कोर्ट रूम की गरिमा समझते हुए आरोपियों को वहां से बाहर निकालने का प्रयास नहीं किया.
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