भागलपुर: डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भागलपुर का सिल्क उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो गया है, इससे सिल्क कारोबारियों की परेशानी बढ़ गयी है. रुपये की कमजोरी से बाजार में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का कारोबार भी प्रभावित होने की संभावना है. सिल्क कारोबारियों को पुराने ऑर्डर पूरा करना घाटा का सौदा साबित हो रहा है. यहां पर अधिकांश धागा विदेशों से आयात किया जाता है. धागे के दाम पहले से 50 से 100 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है. सिल्क धागे के बढ़े दाम के कारण नया ऑर्डर भी मिलना बंद हो गया है. उस हिसाब से सिल्क वस्त्रों के दाम भी बढ़ चुके हैं. यहां रोजाना 40 लाख से अधिक का सिल्क व लिनेन वस्त्रों का कारोबार प्रभावित हो रहा है.
सिल्क धागा आयातक सह मेयर दीपक भुवानियां दीपू ने बताया कि रुपये के कमजोर होने से सिल्क का धागा महंगा हो गया है. अधिकांश धागा दूसरे देशों से आयात किया जाता है. व्यवसायियों के ऑर्डर पुराने दाम पर पूरा करना पड़ेगा, इससे सिल्क उद्यमियों को घाटा हो रहा है. वहीं दूसरी ओर कारोबारी नया ऑर्डर नहीं ले पा रहे हैं. ऑर्डर देने वाले भी इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं. बुनकर मो इबरार अंसारी ने बताया कि रुपये के कमजोर होने से चार दिनों में हर प्रकार का सूता लिनेन, तसर, डुपियन, कतान आदि 50-100 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है.
ऐसी स्थिति में जो ऑर्डर एक सप्ताह पहले बुनकरों ने लिया. तानी करने के बाद बाना कर सूता खरीदारी के लिए 50 से 100 रुपये प्रति किलो का भुगतान करना पड़ रहा है. एक सप्ताह पहले लिये ऑर्डर में 10 से 15 रुपये प्रति मीटर दाम में अंतर आने लगा है. रोजाना 40 से 50 लाख का कारोबार प्रभावित हो रहा है. दूसरे सिल्क व लिनेन कारोबारी प्राणोश राय ने बताया कि लगातार लिनेन व सिल्क के धागे के दाम बढ़ रहे हैं.
एक सप्ताह में सौ रुपये प्रति किलो लिनेन के धागे में वृद्धि हो रही है. इससे रोजाना 40 लाख से अधिक का कारोबार प्रभावित हो रहा है. इधर इलेक्ट्रॉनिक्स व्यवसायी एनबी राजू ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स सामान में एलसीडी, एलक्ष्डी, कैमरा आदि का आयात विदेशों से होता है. जैसे सोनी, तोसिबा, पानासोनिक कंपनी के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान चीन व जापान से आयात किया जाता है. कोरिया से एलजी व सेमसंग कंपनी के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान आयात होते हैं. निकोन व कैनन कैमरा जापान से आयात होते हैं. यदि रुपये की स्थिति नहीं सुधरी तो सभी सामान महंगे हो जायेंगे. इलेक्ट्रॉनिक कारोबारियों को विदेश जाना महंगा हो गया. दो वर्ष में डेढ़ गुना खर्च में बढ़ोतरी हुई है.