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गौ, गंगा व गौरी से बचेगी भारतीय संस्कृति

भागलपुर: भारतीय संस्कृति में गौ, गंगा व गौरी(स्त्री) खास हैं. भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए गौ, गंगा व गौरी को बचाना जरूरी है. गाय को भी माता माना गया है. इसी प्रकार गंगा व गौरी भी मां स्वरूप हैं. उक्त बातें वृंदावन से पधारे बाल व्यास अमनदेव महाराज ने रविवार को मंदरोजा चौक स्थित […]

भागलपुर: भारतीय संस्कृति में गौ, गंगा व गौरी(स्त्री) खास हैं. भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए गौ, गंगा व गौरी को बचाना जरूरी है. गाय को भी माता माना गया है. इसी प्रकार गंगा व गौरी भी मां स्वरूप हैं.

उक्त बातें वृंदावन से पधारे बाल व्यास अमनदेव महाराज ने रविवार को मंदरोजा चौक स्थित कार्यालय में संवाददाताओं को कही. उन्होंने बताया श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से ही जगह-जगह लोगों को भारतीय संस्कृति और गौ, गंगा व गौरी को बचाने का संदेश दे रहा हूं.

इनकी महत्ता को समझा कर इसे बचाने को प्रेरित कर रहा हूं. अब तक उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार आदि प्रांतों के विभिन्न महानगरों में प्रवचन के माध्यम से अभियान चलाया और चला रहे हैं. उन्होंने बताया गौ, गंगा व गौरी के बिना संसार अधूरा है. लोग गौरी अर्थात लड़की की भ्रूण हत्या कर रहे हैं, इससे समाज में असमानता आ रही और अशांति फैल रही है. बिना लड़की के समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. इसी प्रकार गौ अर्थात गाय एवं गंगा नदी का भी मानव जीवन के लिए जरूरी है. इस अभियान में केशव प्रेरणा बाल परिवार के अंजनी शर्मा, बालकृष्ण मोयल, गोपाल भारती गौड़, अनूप शर्मा, अनिकेत शर्मा, आशीष, दीपक, रतन, हेमंत, बद्री प्रसाद बाजोरिया, गोविंद, परमानंद शर्मा, वशिष्ठ आदि लगे हुए हैं.

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