लहरी टोला स्थित इएसआइ क्लिनिक में ठीक से इलाज की बात तो दूर रेफर भी मुश्किल से ही होता है. स्थिति यह है कि 17 स्वीकृत पद में मात्र चार कर्मचारी व एक डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है. जिला में लगभग आठ हजार कर्मचारी इएसआइ से जुड़े हैं. इनमें सौ से अधिक मरीजों को मुख्यालय से रेफर किया जाता है एवं दो सौ से अधिक कहलगांव से रेफर किया जाता है. इसके अलावा शहर में दो चयनित नर्सिग होम में इलाज होता था पर अभी यह भी बंद है.
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अब इएसआइ के भरोसे इलाज नहीं
भागलपुर: अगर आप इएसआइ से जुड़े हैं तो इस शहर में आपका इलाज संभव नहीं है. इएसआइ से चयनित नर्सिग होम ने मरीजों का इलाज करना बंद कर दिया है. ऐसे में मरीजों की परेशानी यह है कि उनके वेतन से हर माह पैसे भी कट रहे हैं और इसका लाभ भी नहीं ले पा […]
भागलपुर: अगर आप इएसआइ से जुड़े हैं तो इस शहर में आपका इलाज संभव नहीं है. इएसआइ से चयनित नर्सिग होम ने मरीजों का इलाज करना बंद कर दिया है. ऐसे में मरीजों की परेशानी यह है कि उनके वेतन से हर माह पैसे भी कट रहे हैं और इसका लाभ भी नहीं ले पा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार तिलकामांझी स्थित हीलिंग टच व मोक्षदा गल्र्स हाइस्कूल रोड स्थित सुशीला क्लिनिक में इएसआइ के लाभुकों का इलाज किया जाता था. लेकिन एक मार्च से दोनों क्लिनिकों में इलाज बंद है. हीलिंग टच के संचालक डॉ संजय सिंह का कहना है कि हमलोगों को फरवरी तक ही काम करने का निर्देश मिला था. इसलिए एक मार्च से काम बंद कर दिये हैं. उन्होंने बताया कि पटना से दूरभाष पर यह सूचना दी गयी थी कि फिलहाल फरवरी तक ही काम करें. अगर मार्च में करेंगे तो उसका पैसा अभी नहीं दिया जायेगा. यही वजह है कि हमलोग मरीजों का इलाज अभी नहीं कर रहे हैं. इधर इएसआइ क्लिनिक में बुधवार को सिर्फ एक लिपिक उदय कुमार एवं एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी मौजूद थे. बताया गया कि यहां सोमवार और मंगलवार को डॉ शशि शेखर सिंह आते हैं. उनके पास भागलपुर, मुंगेर और कहलगांव का प्रभार है. इस पूरे मामले पर हेल्थ कमिश्नर डॉ अजय कुमार के मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया पर संपर्क नहीं हो सका.
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