भागलपुर: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जबरदस्त करारी हार के बाद उस पर सहयोगियों रालोसपा व लोजपा का जबरदस्त दबाव बढ़ेगा. इस बात को भाजपा भी समझ रही है.
कोसी व पूर्व बिहार में रालोसपा व लोजपा नेताओं का दौरा चल रहा है. रालोसपा के सम्मेलनों में जिस तरह से भीड़ उमड़ रही है उससे उसके नेता गदगद हैं. ऐसे भी भाजपा का लोकसभा चुनाव में कोसी व पूर्व बिहार से सफाया हो गया था जबकि उसक ी सहयोगी लोजपा को तीन सीटें मिली थी. कुल 11 सीटों में आठ सीट राजद, कांग्रेस व जदयू के खाते में गयी थी. सूबे में जारी राजनीतिकि उठापटक से अभी पूरे राज्य का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. इस राजनीतिक उठापटक से इसी साल राज्य में होनेवाला विधानसभा चुनाव भी अछूता नहीं रहेगा. कोसी व पूर्व की 58 सीटों पर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. संभािवत उम्मीदवारों ने अपनी स्तर से कवायद शुरू कर दी है.
भाजपा का जहां सदस्यता अभियान चल रहा है वहीं रालोसपा व लोजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन. जदयू की भी राजनीतिक गतिविधि जारी है. इधर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद उसके सहयोगियों रालोसपा व लोजपा का दबाव बढ़ने के आसार हैं. इसकी चर्चा शुरू हो गयी है. पहले से दोनों दल दो- दो दर्जन सीट के लिए दवा ठोक रहे हैं.
लोजपा का जमुई, मुंगेर और खगड़िया लोकसभा सीट पर कब्जा है. जानकारों का कहना है कि लोजपा व रालोसपा ने अपने अपने स्तर से अपनी अपनी पसंद की सीट तय कर रखी है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव पूर्व सीटों के तालमेल को लेकर सहयोगियों के साथ तंज कस सकता है. भाजपा के बड़े नेता भी दबे स्वर से स्वीकार करते हैं कि पहले की तुलना में सहयोगियों का प्रेशर बढ़ेगा. लोजपा व रालोसपा नेता खुल कर इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.