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जिला स्थापना दिवस पर असमंजस बरकरार
भागलपुर: आसपास के कई जिले अपना स्थापना दिवस धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाते रहे हैं, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध भागलपुर जिला इसको लेकर हमेशा से उपेक्षित रहा है. जिला की स्थापना कब हुई थी, इसको लेकर जिला प्रशासन के पास कोई दस्तावेज ही नहीं है. जो तारीखें हैं भी उस पर असमंजस की स्थिति […]
भागलपुर: आसपास के कई जिले अपना स्थापना दिवस धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाते रहे हैं, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध भागलपुर जिला इसको लेकर हमेशा से उपेक्षित रहा है. जिला की स्थापना कब हुई थी, इसको लेकर जिला प्रशासन के पास कोई दस्तावेज ही नहीं है. जो तारीखें हैं भी उस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
जिला गजेटियर की तारीख से इतर कला-संस्कृति विभाग के पास जिला की स्थापना को लेकर अलग तारीख है, तो स्थानीय इतिहासकार जिला प्रशासन को एक अलग ही तारीख बताते हैं. तारीख ही नहीं इसमें वर्ष को लेकर भी मतभेद हैं. भिन्न-भिन्न तारीख व वर्ष होने के कारण आज तक जिले का स्थापना दिवस मनाया ही नहीं जा सका है.
पूर्व में की गयी पहल : पूर्व जिला पदाधिकारी नर्मदेश्वर लाल ने जिला का स्थापना दिवस मनाने की पहल की थी. उन्होंने कला संस्कृति विभाग से इसके लिए एक तारीख भी मांगी थी. उनकी पहल पर कला संस्कृति विभाग ने भी असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी. विभाग की ओर से जिला स्थापना दिवस को लेकर दो तारीख दे दी गयी. विभाग के अनुसार जिला की स्थापना 12 फरवरी 1773 या दो जनवरी 1775 को हुई थी. दूसरी ओर, जिला गजेटियर के अनुसार जिला की स्थापना सात अक्तूबर 1774 को बताया जा रहा है. हालांकि इसको लेकर जिला प्रशासन ने इतिहासकारों से भी राय ली. इतिहासकारों ने एक अलग ही तारीख चार मई 1773 को जिला का स्थापना दिवस बता दिया. इस तरह चार तारीखों के बीच स्थापना दिवस को लेकर जिला प्रशासन आज तक असमंजस में है. पिछले वर्ष तत्कालीन जिला पदाधिकारी बी कार्तिकेय ने स्थापना दिवस को समारोहपूर्वक मनाने के लिए नये सिरे से पहल की थी. उन्होंने पदाधिकारियों के साथ इसको लेकर बैठक भी की थी. तारीख पर असमंजस बरकरार रहने के कारण उन्होंने बिहार दिवस के ही दिन जिला का स्थापना दिवस मनाने पर विचार किया गया था, लेकिन यह भी सफल नहीं हो पाया.
स्थापना दिवस समारोह मनाने पर विचार किया जा रहा है. अपर समाहर्ता (विभागीय जांच) को आवश्यक जिम्मेदारी दी जा रही है. पुरानी फाइलों का अध्ययन करने के बाद स्थानीय इतिहासकारों व विभाग से भी इसको लेकर संपर्क किया जायेगा.
डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव, जिला पदाधिकारी
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