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बाबू कुल्हाड़ी के दो सहयोगी गिरफ्तार

भागलपुर: कूरियर संचालक संतोष मुरारका से 10 लाख रंगदारी मांगे जाने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर लिया है. इस सिलसिले में पुलिस ने रंगदारी मांगने वाले अपराधी बाबू कुल्हाड़ी के दो सहयोगी को गिरफ्तार किया है. दोनों के पास से पुलिस ने कुल तीन मोबाइल बरामद किया है. इसमें वह मोबाइल भी शामिल […]

भागलपुर: कूरियर संचालक संतोष मुरारका से 10 लाख रंगदारी मांगे जाने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर लिया है. इस सिलसिले में पुलिस ने रंगदारी मांगने वाले अपराधी बाबू कुल्हाड़ी के दो सहयोगी को गिरफ्तार किया है. दोनों के पास से पुलिस ने कुल तीन मोबाइल बरामद किया है. इसमें वह मोबाइल भी शामिल है, जिससे व्यवसायी को फोन कर व्यवसायी संतोष मुरारका से दस लाख की रंगदारी मांगी थी.

यह नंबर कोलकाता का है. हालांकि पुलिस असली अपराधी बाबू कुल्हाड़ी को गिरफ्तारी नहीं कर पायी है. गिरफ्तार बदमाशों में फुरकान अंसारी (पिता मोइसा खान) तहवलपुर, लोदीपुर और हैदर अली (पिता नूर मोहम्मद) शहादत हुसैन लेन, इशाकचक शामिल हैं. दोनों की गिरफ्तारी लोदीपुर इलाके से हुई है. हैदर मूलत: पश्चिम बंगाल का रहने वाला है और इशाकचक में उसका ससुराल है. पिछले 19 साल से वह ससुराल में रह कर कूरियर का व्यवसाय करता है. दोनों बाबू कुल्हाड़ी के लिए काम करते हैं,जो भीखनपुर का रहनेवाला है.

मोबाइल से मिला सुराग : इस मामले में पुलिस को मोबाइल से सुराग मिला. अपराधियों ने रंगदारी मांगने में जिस नंबर का उपयोग किया था, उसी नंबर के आधार पर पुलिस अपराधियों तक पहुंच गयी. पुलिस ने पहले मोबाइल का डिटेल्स निकाला, लेकिन अपराधी काफी चालाक निकले. इस नंबर का उपयोग अपराधियों ने सिर्फ व्यवसायी को धमकाने और रंगदारी मांगने में ही किया था. इस कारण पुलिस को कॉल डिटेल्स में कुछ विशेष हाथ नहीं लगा. इसके बाद पुलिस ने उक्त नंबर का कैफ (कस्टरमर एप्लीकेशन फार्म) निकाला. यह नंबर पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना निवासी अमर नसकर के नाम से जारी हुआ था. यानी अपराधियों ने नंबर लेने के लिए फर्जी आइडी प्रूफ का सहारा लिया था. इसके बाद पुलिस ने अपराधी के मोबाइल के आइएमइआइ नंबर के आधार पर छानबीन शुरू की, तो पुलिस को सफलता हाथ लग गयी. संयोग से अपराधियों ने एक अन्य नंबर पर भी इस नंबर से कॉल किया था. इससे पुलिस को सुराग मिल गया.
कोलकाता में हुआ बाबू कुल्हाड़ी से संपर्क
फुरकान के बड़े भाई की किडनी खराब है. इस कारण वह अपने भाई के इलाज के सिलसिले में कोलकाता गया था. जहां हैदर से उसकी मुलाकात हुई. हैदर ने फुरकान को खिदिरपुर इलाके में 1500 रुपये महीना पर एक कमरा भी किराया पर दिलवा दिया, ताकि कोलकाता में रह कर वह अपने भाई का इलाज करवा सके. हैदर के साथ ही एक दिन बाबू कुल्हाड़ी उर्फ रिजवान फुरकान के पास आया था. इसके बाद तीनों में जान-पहचान हो गयी. इस कहानी के पीछे सारा दिमाग बाबू कुल्हाड़ी का है. व्यवसायी का मोबाइल नंबर हैदर ने जुगाड़ किया था, क्योंकि वह कूरियर के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है.

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