इस मौके पर स्टेट प्रोग्राम को-ऑडिनेटर राजेश्वर कुमार ने कहा कि अन्य राज्य की तुलना में बिहार में मुसलिम महिलाएं ज्यादातर निरक्षर हैं. मुसलिम महिलाओं को शिक्षा से जोड़ा जायेगा. तालीम मजहब से जोड़ता है. साक्षर महिलाएं ही एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकती हैं. सरकार ने इसके लिए नीति तैयार की है. इसमें मदरसा के मौलवियों, तालीमी मरकज व साक्षर भारत के प्रेरक को जोड़ा जायेगा.
वे लोग एक -एक घर जाकर मुसलिम महिलाओं को साक्षर होने का लाभ बतायेंगे. मदरसा शिक्षकों के माध्यम से मुसलिम मोहल्लों के लोगों को जोड़ा जायेगा. सरकार का लक्ष्य है कि मुसलिम महिलाओं को वर्ष 2017 के 31 मार्च तक साक्षर किया जायेगा. डीपीओ फूल बाबू चौधरी ने कहा कि शिक्षा के प्रति मुसलिम महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है. इस अवसर पर रंजीत गोस्वामी, अरविंद कुमार, डॉ फारूक अली, यासमीन बानो, शाहिद, बाकी अहमद आदि ने कार्यक्रम की रूप रेखा के बारे में विस्तार से बताया.