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पढ़ने नहीं, पोशाक के लिए एक लाख बच्चे पहुंचे स्कूल

भागलपुर: सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने के लिए कम और पोशाक के लिए अधिक बच्चे स्कूल आते हैं. जिले के स्कूलों इस बार पोशाक के लिए एक लाख से अधिक ऐसे बच्चों को भी शिक्षा विभाग ने लाभुक बनाया, जो पढ़ने के लिए स्कूल नहीं आते हैं या फिर कभी कभार आते हैं. मध्याह्न् भोजन […]

भागलपुर: सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने के लिए कम और पोशाक के लिए अधिक बच्चे स्कूल आते हैं. जिले के स्कूलों इस बार पोशाक के लिए एक लाख से अधिक ऐसे बच्चों को भी शिक्षा विभाग ने लाभुक बनाया, जो पढ़ने के लिए स्कूल नहीं आते हैं या फिर कभी कभार आते हैं.

मध्याह्न् भोजन योजना से लाभुक बच्चे और पोशाक के लिए चिह्न्ति बच्चों के आंकड़ों से इस मामले का खुलासा हुआ है. नवंबर 2014 में जिले में 1848 विद्यालयों (मदरसा सहित) में से 1824 विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन चला था. यानी महज 24 विद्यालयों के लगभग 7000 बच्चे ही मध्याह्न् भोजन का लाभ नहीं उठा पाये थे.

जिन 1824 विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन योजना चली, उसके आंकड़े के मुताबिक तीन लाख 73 हजार 900 बच्चे लाभान्वित हुए. यानी प्रतिदिन इतने बच्चे स्कूल आते हैं. दूसरी ओर पोशाक राशि के लिए शिक्षा विभाग ने चार लाख 80 हजार 575 बच्चों को चिह्न्ति किया. पोशाक राशि के इस आंकड़े में मध्याह्न् भोजन के लाभुक बच्चों की संख्या से एक लाख छह हजार 675 बच्चे अधिक हैं. उल्लेखनीय है कि 75 फीसदी या इससे अधिक क्लास में उपस्थित होनेवाले बच्चों को ही पोशाक राशि देने का प्रावधान है. ऐसे में सवाल उठता है कि आंकड़े में इतना अंतर कैसे आ गया.

मध्याह्न् भोजन के लाभुक बच्चे व पोशाक राशि पानेवाले बच्चों की संख्या में अंतर आना स्वाभाविक है. दरअसल हर स्कूल में कुछ ऐसे बच्चे होते हैं, जो या तो घर से टिफिन लाते हैं या फिर टिफिन में घर जाकर खाते हैं. यानी ऐसे बच्चे स्कूल का मध्याह्न् भोजन नहीं करते. इन्हीं बच्चों के कारण आंकड़े में फर्क हो जाता है.
नसीम अहमद, डीपीओ, प्रारंभिक शिक्षा

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