विधायक से रंगदारी मांगे जाने से पूर्व भी पप्पू के खिलाफ मार्च 2014 में अंतीचक थाने में केस दर्ज हुआ था. इस केस में अंतीचक थानेदार हारुण मुश्ताक ने कोई कार्रवाई नहीं की. एसएसपी ने पप्पू कर गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया, लेकिन अंतीचक थानेदार ने उसे नजरअंदाज कर दिया. अलबत्ता अपराधी का मनोबल बढ़ा और उसने मई 2014 में विधायक से रंगदारी की मांग कर डाली. अगर पहले ही केस में पप्पू की गिरफ्तारी हो जाती, तो शायद विधायक से रंगदारी मांगने की घटना नहीं होती.
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पुलिस-अपराधी गंठजोड़ में नपे थानेदार
भागलपुर: भागलपुर में पुलिस-अपराधी गंठजोड़ का खुलासा हुआ है. अंतीचक, कहलगांव इलाके का शातिर अपराधी पप्पू साह उर्फ निरंजन की गिरफ्तारी का आदेश जारी होने के बाद भी अंतीचक पुलिस ने उसे नहीं गिरफ्तार किया. नतीजतन पप्पू ने बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सह कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह से रंगदारी मांगी. पप्पू की गिरफ्तारी […]
भागलपुर: भागलपुर में पुलिस-अपराधी गंठजोड़ का खुलासा हुआ है. अंतीचक, कहलगांव इलाके का शातिर अपराधी पप्पू साह उर्फ निरंजन की गिरफ्तारी का आदेश जारी होने के बाद भी अंतीचक पुलिस ने उसे नहीं गिरफ्तार किया. नतीजतन पप्पू ने बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सह कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह से रंगदारी मांगी. पप्पू की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस मुख्यालय ने इसे गंभीरता से लिया और जोनल आइजी ने अंतीचक के थानेदार हारुण मुश्ताक को निलंबित कर दिया. थानेदार पर अपराधी पप्पू को गिरफ्तार नहीं करने का आरोप लगा है.
थानेदार ने पुलिस की छवि को किया धूमिल
आइजी ने कहा है कि अंतीचक थानेदार का यह आचरण पुलिस की छवि को धूमिल करनेवाला है. पप्पू की गिरफ्तारी न होना थानेदार पर लगे आरोपों की पुष्टि करता है. यह थानेदार की कर्तव्यहीनता, शिथिलता और संदिग्ध आचरण को दर्शाता है. थानेदार के इस आचरण से पुलिस की छवि धूमिल हुई है. इसलिए उन्हें निलंबित किया गया है.
15 लाख रुपये मांगी गयी थी रंगदारी
मई 2014 के अंतिम सप्ताह में कहलगांव विधायक सदानंद सिंह को फोन कर अपराधियों ने 15 लाख रुपये रंगदारी मांगी थी. पैसे नहीं देने पर उनकी हत्या की भी धमकी दी गयी थी. अपराधियों ने विधायक सदानंद सिंह को 27 और 29 मई के बीच कई बार उनके मोबाइल पर फोन किया था. पहले सवा लाख रुपये मांगा गया था. विधायक ने इनकार किया तो अपराधियों ने रंगदारी की रकम बढ़ा कर 15 लाख रुपये कर दिया था. फिलहाल इस मामले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) कर रही है.
मेरे मामले में भागलपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई नहीं की थी. इस कारण मैंने मुख्यमंत्री से मिल कर मामले की जानकारी दी थी. इसके बाद मामला सीआइडी कंट्रोल में चला गया था. अब सीआइडी ने क्या जांच की, मुङो जानकारी नहीं है. लेकिन इतना तय है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस की कार्रवाई संतोषप्रद नहीं रही थी.
सदानंद सिंह, विधायक सह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
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