तसवीर मनोज- जानकारी व सुरक्षा के अभाव में 43 प्रतिशत स्टाफ नर्सों को हो जाती है बीमारी- आधुनिक तरीके से इलाज करने पर हो सकता है बचाव वरीय संवाददाताभागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु विभाग के सेमिनार हॉल में डॉ आरके सिन्हा की अध्यक्षता में नर्स, कंपाउंडर एवं ड्रेसर को नस में इंजेक्शन देने का प्रशिक्षण दिया गया. डॉ सिन्हा ने बताया कि नयी विधि से स्लाइन चढ़ाने, खून चढ़ाने व विभिन्न जांचों के लिए खून का नमूना निकालने, फिडिंग ट्यूब डालने के सही तरीके से संक्रमण से भी बचाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि तकरीबन एक लाख मरीजों के इलाज के दौरान स्टाफ नर्स व अन्य कर्मी जख्मी हो जाते हैं. इनमें 43 प्रतिशत स्टाफ नर्स, 28 प्रतिशत चिकित्सक, 15 प्रतिशत टेक्नीशियन व चार प्रतिशत छात्र-छात्राएं शामिल हैं. इन जख्मों के चलते कई तरह की बीमारियां जैसे एड्स, पीलिया, मलेरिया, हरपिस, सिफलिस जैसी बीमारियां हो जाती हैं. दुर्भाग्यवश इन बीमारियों से बचने के लिए किसी तरह की सुरक्षा अस्पताल में नहीं है. जबकि 88 प्रतिशत ऐसे बीमारियों से बचने के सरल उपाय हैं. अगर उनके बीच सुरक्षा के लिए जागरूकता पैदा किया जाये तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है. इस मौके पर अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने डॉ सिन्हा से आधुनिक उपकरणों की मांग करने की सलाह दी. कार्यक्रम में डॉ खलील अहम, डॉ राजीव कुमार, डॉ केके सिन्हा, डॉ सुशील भूषण समेत अन्य मौजूद थे.
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नयी विधि से नस में इंजेक्शन देने का नर्सों को दिया प्रशिक्षण
तसवीर मनोज- जानकारी व सुरक्षा के अभाव में 43 प्रतिशत स्टाफ नर्सों को हो जाती है बीमारी- आधुनिक तरीके से इलाज करने पर हो सकता है बचाव वरीय संवाददाताभागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु विभाग के सेमिनार हॉल में डॉ आरके सिन्हा की अध्यक्षता में नर्स, कंपाउंडर एवं ड्रेसर को नस […]
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