भागलपुर: जेएलएनएमसीएच के एनाटॉमी विभाग के शिक्षक डॉ आलोक कुमार शर्मा ने बताया कि 27 वर्ष पुरानी सीडी 100 बाइक ही मेरे पास कॉलेज आने-जाने का साधन था.
अब हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम बाइक खरीद सकें. चूंकि बच्चों की पढ़ाई में ही इतना खर्च है कि दूसरा काम नहीं कर सकते हैं. हमारा परिवार कॉलेज की नौकरी पर ही आश्रित है. हमारे घर में एक पुरानी साइकिल है उसे ही ठीक करायेंगे और कॉलेज आयेंगे. उन्होंने बताया कि वह भागलपुर में सन दो हजार से ही काम कर रहे हैं.
घटना से वह काफी दु:खी हैं. उनका कहना है कि जब छात्र पहली बार कॉलेज में नामांकन लेते हैं तो पहली मुलाकात मुझसे ही होती है और उस वक्त छात्रों को हम अपने पुत्र की तरह समझाते हैं. उनसे कहा जाता है कि कॉलेज में मां-पिता ने अच्छी शिक्षा लेने बड़े अरमान से भेजा है. उनकी लाज रखते हुए पढ़ो और दिक्कत हो तो मुङो अपने पिता समझ कर बताना. छात्रों की परेशानी में मैं उनके साथ हमेशा खड़ा रहता हूं, पर पता नहीं किसके बहकावे में उन लोगों ने ऐसा किया. उन्होंने बताया कि जब पिछली बार कोतवाली थाना में 2010 बैच के छात्रों पर मारपीट का आरोप लगा था तो मैं खुद इनके साथ खड़ा था. कोतवाली में बांड भी हमने ही भरवाया था और कहा था कि दोबारा इस तरह की घटना होगी तो नहीं बख्शा जायेगा.