फोटो- मनोज जीसंवाददाताभागलपुर : ठंड के साथ बढ़ती कनकनी से स्कूली बच्चों के साथ अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ गयी है. सुबह सात से आठ बजे के बीच बच्चों को तैयार कर स्कूल पहुंचाने में बच्चों की मम्मी परेशान हो जा रही हैं. बच्चों की क्लास लगभग आठ बजे शुरू होती है. दूसरी ओर मम्मियों की ड्यूटी सुबह पांच बजे से ही शुरू हो जाती है. ठंड से जहां अहले सुबह रजाई छोड़ने का मन नहीं करता, उसी समय उन्हें बिछावन छोड़ काम पर लगना पड़ रहा है. छोटी खंजरपुर निवासी रीमा, मुंदीचक की स्नेहा, तिलकामांझी की साधना कुमारी सभी मम्मी की हालत एक जैसी है. वह बताती हैं कि अपने बच्चे सौम्या, अंतरा व उत्सव को तैयार कर स्कूल पहुंचाने और क्लास खत्म होने पर स्कूल से वापस लाना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है. वे कहती हैं कि अन्य दिनों में तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन ठंड के कारण परेशानी थोड़ी बढ़ जाती है. बच्चों से पहले जग कर उन्हें जगाना, ठंड को देखते हुए उन्हें पर्याप्त कपड़े पहना कर तैयार करना, उनके लिए टिफिन तैयार करना यह तो रोजाना का हिस्सा बना हुआ है. ठंड की वजह से बच्चे भी थोड़े नखरे करते हैं. अपर्णा राज के पिता जोगसर निवासी नीलकमल सिंह का कहना था कि स्कूल से छूटने के समय तो परेशानी नहीं होती, लेकिन पहुंचाने में थोड़ा ठंड का असर पड़ता है.
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बच्चों संग मम्मियों की भी परेशानी बढ़ी(ठंड के पैकेज )
फोटो- मनोज जीसंवाददाताभागलपुर : ठंड के साथ बढ़ती कनकनी से स्कूली बच्चों के साथ अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ गयी है. सुबह सात से आठ बजे के बीच बच्चों को तैयार कर स्कूल पहुंचाने में बच्चों की मम्मी परेशान हो जा रही हैं. बच्चों की क्लास लगभग आठ बजे शुरू होती है. दूसरी ओर मम्मियों […]
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