पीरपैंती. पिछले पांच माह से ईसीएल की राजमहल परियोजना, से पीरपैंती कोलठंप तक हाइवा द्वारा बंद पड़ी कोयला ढुलाई सोमवार से चालू हो गयी जिससे हाइवा मालिकों, ड्राइवरों, खलासी, कोयला डिपो पर कार्यरत 84 लोडिंग मजदूरों में हर्ष व्याप्त है. यहां से प्रतिदिन करीब दो रैक फरक्का एवं कहलगांव ताप बिजली घरों को रेलमार्ग से आपूर्ति भी कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद रहने के कारण ठप हो गयी जिससे रेलवे की आमदनी भी बाधित हो गयी थी. अब यहां से रैक लोडिंग भी प्रारंभ हो जायेगी. पिछले 11 जून से कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद हो जाने से बैंक से ऋण लेकर हाइवा खरीदने वालों द्वारा किस्त का भुगतान तक नहीं हो पा रहा था एवं उस पर काम करने वाले ड्राइवर-खलासी के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. कोयला तस्करों में खुशीकोयला ढुलाई बंद होने से क्षेत्र के भट्ठा संचालकों को ऊंचे दर पर कोयला खरीदना पड़ रहा था लेकिन ट्रांसपोर्टिंग शुरू हो जाने से अब उन लोगों के अच्छे दिन आ गये. बता दें कि कोयला ढुलाई की डंपरे कोयला तस्करों के लिये अभयारण्य है जहां से कोयला तस्करों द्वारा इसे घोघा के ईंट भट्ठों से लेकर बाखरपुर होते हुए बंग्लादेश तक भेजा जाता है. कोयला ढुलाई बंद होने से इनके रोजगार चौपट हो गये थे, लेकिन अब इनके भी अच्छे दिन आ गये. कई कोयला तस्करों ने रात में बीयर की बोतलें खोल कोयला ढुलाई चालू होने का जश्न मनाया.
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कोयला ढुलाई चालू, आ गये कुछ लोगों के अच्छे दिन
पीरपैंती. पिछले पांच माह से ईसीएल की राजमहल परियोजना, से पीरपैंती कोलठंप तक हाइवा द्वारा बंद पड़ी कोयला ढुलाई सोमवार से चालू हो गयी जिससे हाइवा मालिकों, ड्राइवरों, खलासी, कोयला डिपो पर कार्यरत 84 लोडिंग मजदूरों में हर्ष व्याप्त है. यहां से प्रतिदिन करीब दो रैक फरक्का एवं कहलगांव ताप बिजली घरों को रेलमार्ग से […]
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